रेलवे और नागरिक विमानन दो ऐसे क्षेत्र हैं, जो रूसी कंपनियों के ध्यान सबसे ज्यादा खींच रहे हैं। भारतीय रेल का भारी पॅमाने पर आधुनिकीकरण हो रहा है और उसमें रूस की कंपनियों को काफी मौका दिखाई पड़ रहा है। रूस की कंपनियां भारतीय रेलवे से बातचीत कर रही है और उसके विस्तारवादी कार्यक्रमों मंे हिस्सेदारी करना चाहती हैं। हाई स्पीड रेलवे परियोजनाओं में भी वह काफी दिलचस्पी दिखा रही है। सूत्रों के अनुसार रूस की कंपनियां सिग्नलिंग और सुरक्षा के इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश करना चाहती हैं और वह भारत केा इसके लिए आधुनिक प्रणाली उपलब्ध कराना चाहती हैं।
सूत्रों के अनुसार रूस के पास 4000 किलोमीटर हाइ स्पीट रेल लाइन बिछाने की परियोजना है। उन लाइनों में 400 किलामीटर प्रत्येक घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलाई जा सकती है। इसके इलावा उनकी सहायता से 7000 किलोमीटर ऐसी रेल लाइन बिछाई जा सकती है, जिन पर 140 से 200 किलोमीटर की रफ्तार से गाड़ियां चलाई जा सकती हैं।
इस समय रूस को पश्चिमी देशों की तरफ से आर्थिक प्रतिबंध का सामना करना पड़ रहा है। वे प्रतिबंध उसके खिलाफ उसकी उक्रेन नीति के खिलाफ लगाए गए हैं। यही कारण है कि रूस अब निवेश के लिए भारत और चीन की ओर देख रहा है।
भारत के आर्थिक मंत्रालयों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संयुक्त उपक्रमों से संबंधित सहयोग पर मेक इन इंडिया की जरूरतों के साथ फिर से विचार करें। इस अभियान के तहत विश्व स्तरीय उत्पादन इकाइयां और इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण विदेशी सहायता और सहयोग से किया जाना है। दिल्ली और मुम्बई गलियारे पर जापान के सहयोग से शुरुआती काम शुरू भी हो गया हैं। अमेरिकी कंपनियां भी संभावना तलाश रही हैं।
रूस द्वारा किए गए एक आकलन के अनुसार, रूसी गाड़ियों, उपकरण, परिवहन, रसायन उत्पाद, खाद, धातु, कोयला, हीरा इत्यादि का भारत में भारी मांग है। भारतीय और रूसी व्यापारियों को व्यापार की संभावनाओं तेजी से माथापच्ची करनी होगी, ताकि दोनों के बीच के व्यापार को काफी बढ़ाया जा सके और उससे दोनों देशों को फायदा पहुंचाया जा सके।
अभी तो हकीकत यह है कि दोनों देशों के बीच कुछ सालों से व्यापार मात्र 10 अरब डाॅलर तक ही सीमित है। पिछले साल तो साढ़े नौ अरब डाॅलर के व्यापार दोनों देशों के बीच हो सके थे।
भारत और रूस दोनों ने व्यापार की यह खस्ता हालत पर ध्यान दिया है। दोनों के बीच उच्च स्तर पर बातचीत चल रही है। दोनों देश व्यापार बढ़ाने के लिए काफी उत्सुक और उत्साहित हैं। रूस के सूत्रों का कहना है कि वहां की सरकार दोनों सरकार के बीच हुए समझौते को अपडेट करने का इरादा बना चुकी है। भारत की वाणिज्य राज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि दानों देशों के बीच आर्थिक व्यापारिक संबंधों में आने वाली अड़चनों को समाप्त किया जाएगा। उन्होंने यह बात रूस की अपनी यात्रा के दौरान कही थी। उन्होंने यह भी कहा कि रूस सरकार ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वह भारत के व्यापारियों के साथ ज्यादा से ज्यादा सहयोग करेगी। (संवाद)
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रूस ने मेक इन इंडिया अभियान में दिलचस्पी दिखाई
रेलवे और नागरिक विमानन है प्राथमिकता वाले क्षेत्र
नित्य चक्रबर्ती - 2015-06-24 15:21
प्रमुख रूसी कंपनियां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मेक इन इंडिया अभियान में दिलचस्पी लेने लगी हैं। रूस ही सरकार पहल कर रही है और उससे उत्साहित होकर रूस की कंपनियां भारत के निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के साथ मिलकर भारत में संयुक्त उत्पादन की प्रक्रिया में शामिल होने की इच्छुक हैं।