केरल की चांडी सरकार ने उस बंदरगाह का अवार्ड गुजराती उद्यमी अदानी को दिया है, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का बेहद करीबी माना जाता है। उन्हें इसका अवार्ड देने से विवाद पैदा हो गया है।

सीपीएम के नेतृत्व वाला यूडीएफ विपक्ष ने सरकार द्वारा वह बंदरगाह अडानी को दिए जाने के उस फैसले की आलोचना की है। विपक्ष ने सरकार पर अदानी के साथ सांठगांठ करने का आरोप लगाया है। उसका कहना है कि जिन शर्तो पर बंदरगाह को अदानी के हाथों में दिया गया है, उनसे प्रदेश का हित मारा जाएगा।

सीपीएम नेता विधानसभा में विपक्ष के नेता वीएस अच्युतानंदन और सीपीएम प्रदेश सचिव के बालाकृष्णन सरकार पर तीखे हमले कर रहे हैं। विपक्ष चाहता था कि यह प्रोजेक्ट सरकारी सेक्टर में ही रहे और निजी हाथ में नहीं दिया जाय। वे आलोचना कर रहे हैं कि इस प्रोजेक्ट से अडानी को फायदा होगा, न कि केरल को।

विपक्ष का कहना है कि यह सिर्फ चांडी और अदानी के बीच सांठगांठ का मामला नहीं है, बल्कि कांग्रेस और भाजपा की मिलीभगत का इससे पर्दाफाश हो जाता है।

सिर्फ विपक्ष ही सरकार के इस फैसले की आलोचना नहीं कर रहा है, बल्कि कांग्रेस का केन्द्रीय नेतृत्व भी इससे खुश नहीं है। प्रधानमंत्री के नजदीकी एक उद्योगपति को यह प्रोजेक्ट देने पर कांग्रेस के आलाकमान को भी आपत्ति है।

आगामी अक्टूबर महीने में स्थानीय निकायों के चुनाव होने हैं और अगले साल विधानसभा के आमचुनाव भी होने हैं। कांग्रेस आलाकमान को लगता है कि कांग्रेस और भाजपा के बीच मिलीभगत का आरोप लगने से पार्टी को चुनावों में नुकसान हो सकता है।

दूसरी तरफ मुख्यमंत्री इस प्रोजेक्ट को लेकर पार्टी में उभरे किसी मतभेद की बात से इनकार कर रहे हैं। वे दिल्ली जाने की योजना भी बना रहे हैं, जहां वे कांग्रेस आलाकमान को यह समझाने की कोशिश करेंगे कि अदानी को वह प्रोजेक्ट देकर कुछ भी गलत नहीं किया गया। प्रोजेक्ट पर विलंब होने से कांग्रेस को नुकसान होता। चांडी के ग्रुप के नेताओं का यह दावा है।

केरल के अंदर भी कांग्रेस में सरकार के इस निर्णय को लेकर विभाजन है। चेनिंथाला गुट इस फैसले को लेकर नाराज है। उसका कहना है कि इतना बड़ा फैसला लेने के पहले पार्टी के अंदर विचार विमर्श होना चाहिए था।

पार्टी के अंदर उभर रहे असंतोष को समाप्त करने की कोशिशें भी शुरू हो गयी हैं। नेताओं के बीच में बैठकों का दौर शुरू हो गया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुधीरन, मुख्यमंत्री चांडी और गृहमंत्री चेनिंथाला आपस में लगातार बैठकें कर रहे हैं।

अब यदि पार्टी का आलाकमान केरल सरकार के इस निर्णय को गलत बता देता है, तो इससे मुख्यमंत्री चांडी की भारी भद्द पिटेगी। एक विधानसभा उपचुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री राहत की सांस ले रहे थे और उनके विरोधी शांत हो गए थे। आलाकमान की ओर से यदि उन्हें झिड़का जाता है, तो उनके विरोधी एक बार फिर उनके खिलाफ सक्रिय हो जाएंगे (संवाद)