पर भारतीय जनता पार्टी के तीसरे मोर्चे के गठन के प्रयासों के सामने ठोस कठिनाइयां उभरती दिखाई दे रही हैं। उसकी नजर हिंदू वोटो पर थी। यूडीएफ और एलडीएफ की सरकारों द्वारा अल्पसंख्यकों के लिए विशेष सुविधाएं उपलब्ध कराने के कारण प्रदेश के हिंदू अपने आपको ठगा महसूस करते हैं। उसी का फायदा उठाने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने हिंदू कार्ड आक्रामक ढंग से खेलने का इरादा बना लिया था।
कुछ ही समय बाद स्थानीय निकायो के लिए चुनाव होने वाले हैं। इन चुनावों के बाद अगले साल मई महीने में विधानसभा के आम चुनाव भी होने वाले हैं। भारतीय जनता पार्टी स्थानीय निकायों के चुनाव मे अपने तीसरे मोर्चे को आजमाना चाह रही थी। उसके लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ मिलकर उसने रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया था।
लेकिन भारतीय जनता पार्टी के मंसूबों पर पानी फिरता दिखाई पड़ रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है सीपीएम ने अपने आधार को बचाने के लिए सुधारात्मक कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। इझावा समुदाय केरल का सबसे बड़ा हिन्दू समुदाय है और यह सीपीएम का मुख्य जनाधार भी है। भारतीय जनता पार्टी उसके इसी जनाधार पर हमला कर थी।
इझावा का प्रतिनिधि संगठन श्री नारायणा धर्म परिपालन योगम है। यह संगठन भारतीय जनता पार्टी के प्रभाव में आ रहा था और सीपीएम के साथ उसके रिश्ते लगातार खराब होते जा रहे थे। अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण की नीतियों से यह संगठन भी काफी नाराज था, जिसका फायदा उठाने की कोशिश भाजपा कर रही थी। लेकिन अब सीपीएम ने इझावा समुदाय के इस प्रतिनिधि संगठन के साथ अपने रिश्ते बेहतर बनाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं।
खबर के अनुसार अलाप्पुझा जिले के सीपीएम सचिव ने श्री नारायणा धर्म परिपालना योगम के महासचिव वेल्लापल्ली नतेशन के साथ एक लंबी बैठक की। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों मे नतेशन प्रदेश के सीपीएम नेताओं के साथ बैठक करेंगे।
केरल के सीपीएम नेताओं को इस बात का अहसास हो गया है कि यदि इझावा समुदाय के लोग उनसे दूर हो गए, तो केरल में भी पार्टी की वही स्थिति हो जाएगी, जो पश्चिम बंगाल में हो गई है।
सीपीएम की नींद तोड़ने मे सीपीआई के प्रदेश सचिव की भूमिका रही है। सीपीआई प्रदेश सचिव के राजेन्द्रन ने अपने मोर्चे की सेकुलर नीति की आलोचना करते हुए कहा था कि अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण पर आधारित वह नीति एलडीएफ को नुकसान पहुंचाने वाली है। उन्होंने सभी वामपंथी नेताओं को कहा था कि वे वैसी सेकुलर नीति पर फिर से विचार करें, जो सिर्फ अल्पसंख्यकों को ही ध्यान में रखकर बनाई गई है। उनका कहना था कि इस नीति के कारण लेफ्ट पार्टियों के जनाधार में काफी कमी आई है।
यदि सीपीएम श्री नारायणा योगम को भाजपा से अपने ओर खींचने में सफल हो जाती है, तो इससे हिन्दुत्व की पार्टी को काफी झटका लगेगा।
उधर एक घटना ने केरल के नायरों को भी भाजपा के खिलाफ करना शुरू कर दिया है। भाजपा समर्थक मलयालम सिनेमा के सुपरस्टार सुरेश गोपी एक बार नायर सर्विस सोसायटी के सभा हाॅल में पहुंच गए थे। उन्हें बिना बुलाए आने के लिए फटकारा गया। फिर भाजपा ने नायरों के उस संगठन के खिलाफ आंदोलन करना शुरू कर दिया, जिसके कारण नायरों मंे भाजपा के खिलाफ नाराजगी पैदा हो गई है। (संवाद)
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केरल में भाजपा की योजना पर पानी फिरा
सीपीएम ने नुकसान रोकने के लिए उठाए कदम
पी श्रीकुमारन - 2015-07-27 11:49
तिरुअनंतपुरमः अरुविक्कारा विधानसभा क्षेत्र में पिछले दिनों हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 34 हजार से भी ज्यादा मत प्राप्त हो गए थे। उससे उत्साहित होकर भाजपा ने केरल में तीसरे मोर्चे के गठन का प्रयास शुरू कर दिया था। गौरतलब है कि इस समय प्रदेश की राजनीति एलडीएफ और यूडीएफ के बीच बंटी हुई है और किसी तीसरे मोर्चे के लिए जगह नहीं बन पा रही है।