अंतिम सवाल पर पहले चर्चा करते हैं। हो सकता है कि 1980 के दशक के खालिस्तानी आंदोलन को फिर से उभारने की कोशिश में आईएसआई लगा हुआ हो। लेकिन भारत की जो मौजूदा स्थिति है, उसके कारण फिर से खालिस्तानी आंदोलन पैदा करना नामुमकिन है। लेकिन इस बात का डर जरूर है कि साम्प्रदायिक उन्माद की स्थिति पैदा की जा सकती है, ताकि आने वाले समय में पंजाब में आतंकवाद पैदा किया जा सके।
इसमें कोई शक नहीं कि पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल उदार राजनीति करने के लिए जाने जाते हैं और वे पंजाब मे सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने मे सफल भी रहे हैं, लेकिन सच यह भी है कि पिछल कुछ समय से की जा रही उनकी कुछ घोषणाएं कुछ और कहानी कहती हैं। उदाहरण के लिए वे केन्द्र सरकार पर दबाव डाल रहे हैं कि दूसरे राज्यों की जेलों में बंद आतंकियों को पंजाब की जेलो मे भेजा जाय। यदि केन्द्र सरकार उनकी बात मानती है, तो इससे पंजाब मे खालिस्तानी ताकतो को बल मिलेगा। इससे पंजाब का सांप्रदायिक वातावरण खराब होगा।
पिछले 27 जुलाई को मुख्यमंत्री प्रकाश ंिसंह बादल ने धार्मिकता और सांप्रदायिकता में अंतर करते हुए बताया कि दोनों एक नहीं हैं और धार्मिकता में कुछ भी गलत नहीं है। उन्होंने कहा कि जब धर्म को राजनीति से मिश्रित किया जाता है, तो वह सांप्रदायिकता कहलाता है। उनहोंने का कि कुछ ताकतें जो प्रदेश की तरक्की नहीं देखना चाहती, सांप्रदायिकता फैलाने की कोशिश कर रही हैं।
लेकिन अकाली दल खुद राजनीति को धर्म के साथ मिश्रित करता रहा है। अब यदि बाहरी सांप्रदायिक ताकतें पंजाब में सांप्रदायिक तनाव और उग्रवाद पैदा करने की कोशिश करेंगी, तो उसका क्या हश्र होगा, यह प्रदेश की आंतरिक राजनीति पर निर्भर करेगा। इसलिए अकाली दल के नेताओं को आत्ममंथन करना होगा कि उनकी राजनीति किस तरह की है।
भारत और पाकिस्तान के संबंध हमेशा तनावपूर्ण रहे हैं और पाकिस्तान का सैनिक प्रतिष्ठान पाकिस्तान की सेना और असैनिक प्रतिष्ठानों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ करता रहा है। वह उस इस्तेमाल केा नन स्टेट एक्टर का रूप देता है। करगिल मे जब पाकिस्तान ने कब्जा जमाया, उस समय भी कहा गया कि पाकिस्तान के नन स्टेट एक्टर का वह काम है। मुंबई में हुए हमले के लिए भी यही कहा गया। भारत की संसद पर जब हमला हुआ, तब भी पाकिस्तान की ओर से इसी तरह के बयान जारी किए गए।
भारत और पाकिस्तान के बीच जब बातचीत शुरू होती है या होने वाली होती है, तो इस तरह के हमले भारत पर होने लगते हैं। गुरदासपुर हमले के मामले में भी यही सच है। उफा में भारतीय प्रधानमंत्री की मुलाकता पाकिस्तानी प्रधानमंत्री से हुई। बातचीत को आगे बढ़ाने का दोनों ने निर्णय किया। बातचीत शुरू करने के लिए समय तय किया जा रहा था और इसी बीच गुरदासपुर हमला सामने आ गया। (संवाद)
भारत
गुरदासपुर हमले का पहला सवाल
इसके पीछे कौन?
बी के चम - 2015-08-07 10:48
गुरदासपुर मे हुए आतंकी हमले ने न केवल पंजाब के लिए, अपितु पूरे देश के लिए अनेक सवाल खड़े कर दिए हैं। मारे गए तीनों आतंकियों के पास से जो सामान बरामद हुए हैं, उनसे स्पष्ट है कि वे तीनों पाकिस्तान से आए थे। लेकिन वे क्या पाकिस्तान के नन स्टेट खिलाड़ी थे या वे पाकिस्तान के सत्ता प्रतिष्ठान के समर्थन से भारत में आए थे? या वे आईएसआईएस के आतंकवादी थे? गौरतलब हो कि अभी यह प्रकाश में आया है कि आईएसआईएस ने भारत पर पूरी तरह से हमला करने का फैसला किया है। यह खबर अमेरिका के एक मीडिया संस्थान ने जाहिर की थी। या यह हमला पाकिस्तानी आईएसआई की उस योजना का हिस्सा है, जिसके तहत पंजाब में फिर खालिस्तानी आंदोलन को उभारने की कोशिश की जा रही है?