पिछले दिनों भारतीय जनता पार्टी को दुहरा झटका लगा। एक झटका तो उसे शिवगिरी मठ की ओर से लगा। भाजपा कोशिश कर रही थी कि वह श्री नारायण धर्म परिपालन योगम से गठबंधन करे। योगम प्रदेश के इझावा समुदाय का संगठन है। इस समुदाय की आबादी प्रदेश में बहुत ही ज्यादा है और हिन्दुओं में यह सबसे बड़ी संख्या वाली जाति है। फिलहाल इस जाति को लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट की रीढ़ माना जाता है। लेकिन यह लेफ्ट नेताओं द्वारा मुसलमानों के तुष्टिकरण से आहत है और भारतीय जनता पार्टी को लगता है कि इस समुदाय का विश्वास हासिल किया जा सकता है।

लेकिन शिवगिरी मठ ने उसके उस अरमान पर फिलहाल पानी फेर दिया है। गुरु धर्म प्रचार सभा इस मठ का नियंत्रण करता है। सभा ने एक प्रस्ताव पारित कर कहा है कि मठ का नाम राजनीति मे नहीं घसीटा जाय और संन्यासियों का इस्तेमाल राजनैतिक लाभ उठाने के लिए नहीं किया जाय।

मठ का योगम के साथ कुछ समय से तनावपूर्ण संबंध चल रहा है। योगम के महासचिव वेलापल्ली नतेशन भारतीय जनता पार्टी के साथ राजनैतिक संबंध बनाना चाहते हैं। वे अपने आपको इझावा समुदाय का एक मात्र नेता समझ रहे हैं। जाहिर है कि मठ भारतीय जनता पार्टी के उस प्रयास की सराहना नहीं करता है, बल्कि वह उसे गलत समझता है।

भारतीय जनता पार्टी को दूसरा बड़ा झटका नायर सेवा समाज की ओर से लगा। यह शक्तिशाली नायरों का संगठन है। इझावा के बाद यह प्रदेश की दूसरे सबसे बड़ी संख्या वाला हिन्दु समुदाय है। वह आर्थिक और सांगठिन रूप से भी बहुत ज्यादा शक्तिशाली है। वह समुदाय भी लेफ्ट तथा कांग्रेसी नेताओं के मुस्लिम तुष्टिकरण की नीतियों से दुखी है। भारतीय जनता पार्टी इस समुदाय के साथ भी अपना संबंध मजबूत करने की कोशिश कर रही थी।

नायर सेवा समाज ने हिन्दु एकता की कोशिशों का समर्थन किया था। लेकिन अपने मुखपत्र के एक संपादकीय में नायर सेवा समाज ने अपने सेकुलर एजेंडे का त्याग करने से साफ इनकार कर दिया है। संपादकीय में कहा गया है कि हिन्दू समाज में एकता का उद्देश्य लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और सांप्रदायिक सौहार्द को मजबूत करना होना चाहिए।

संपादकीय में आगे यह भी लिखा गया है कि हिन्दुओं मंे एकता किसी राजनैतिक पार्टी के हस्तक्षेप से नहीं लाई जानी चाहिए और इससे किसी अन्य समुदाय को नुकसान पहुंचाने की कोशिश भी नहीं होनी चाहिए।

मलयालम सिनेमा के सुपरस्टार सुरेश गोपी को कुछ दिन पहले ही नायर सेवा समाज की ओर से झिड़क दिया गया था। उसी पृष्ठभूमि में यह संपादकीय लिखा गया है। इससे समाज का इरादा स्पष्ट हो जाता है और भारतीय जनता पार्टी के लिए एक सदमे से कम नहीं है।

सुरेश से संबंधित घटना भी बहुत नाटकीय थी। नायर सेवा समाज की प्रतिनिधि सभा की बैठक चल रही थी। उस सभा में सुरेश अपने आपको चमकाने की कोशिश कर रहे थे। वे वहां पहुंच गए। सभा में भाग ले रहे नायर समाज के प्रतिनिधियों को पता था कि सुरेश भारतीय जनता पार्टी से जुडे हुए हैं और सभा में आने का उनका इरादा राजनैतिक ही है।

नायर सेवा समाज के महासचिव जी सुकुमारन ने जमकर उसकी लताड़ लगाई और कहा कि जब प्रतिनिधियों की सभा चल रही हो, तो वैसे समय में एकाएक उनका वहां पहुंच जाना उचित नहीं था। (संवाद)