सीपीएम की संेट्रल कमिटी ने अपने ताजा निर्देश में प्रदेश ईकाई को कहा है कि वह किसी धार्मिक, सांप्रदायिक जातिवादी या समुदायवादी समूह से किसी तरह का वास्ता नहीं रखे। निर्देश में कहा गया है कि पार्टी लोगों के मसले को उठाती रहे और इसीसे पार्टी की ताकत बढ़ेगी।
प्रदेश ईकाई के अंदर वीएस अच्युतानंदन एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे, जो इस तरह की आवाज उठाया करते थे। वे चाहते थे कि सांप्रदायिक संगठनों के साथ पार्टी के नेता कोई सरोकार नहीं रखे। इस रणनीति पर चलने की मांग वे बराबर करते रहते थे। केन्द्रीय नेतृत्व द्वारा इस प्रकार के आदेश जारी किए जाने से उनकी बात को बल मिल रहा है। यही कारण है कि यह उनकी जीत के रूप में देखा जा रहा है।
जब पार्टी की केरल ईकाई कंथापुरम अबुबाकर मुसलियार से वार्ता कर रही थी, तो वीएस ने उसका विरोध किया था। अबुबकर सुन्नियों के एक धार्मिक गुट के नेता हैं। एलडीएफ के दो विधायक पीटीए रहीम और के टी जलील ने अबुबकर के साथ एक बैठक की थी। वे अबुबकर की पी विजयन के साथ बैठक कराने की पृष्ठभूमि तैयार कर रहे थे। लेकिन केन्द्रीय नेतृत्व के ताजा निर्देश के बाद स्थिति बदल गई है और अब वह बैठक भी शायद अब नहीं होगी।
वीएस पी विजयन की उनके साथ होने वाली बैठक का विरोध कर रहे थे। केन्द्रीय नेतृत्व का यह ताजा निर्देश भी उस विरोध के कारण ही आया है।
अबुबकर ने पिछले चुनाव में यूडीएफ का समर्थन किया था। चुनाव के समय उनकी कुछ मांगें थीं। उन मांगों को पूरा नहीं करने के कारण वे यूडीएफ से नाराज चल रहे थे और एलडीएफ इसका लाभ उठाकर उनके साथ तालमेल बैठाने की कोशिश कर रहा था। पर वीएस उसका विरोध कर रहे थे, जबकि विजयन को उनके साथ तालमेल बैठाने से कोई एतराज नहीं था।
वीएस यह बार बार कहते रहे हैं कि सांप्रदायिक, जातिवादी और धार्मिक तत्वों के साथ सीपीएम के घालमेल से पार्टी हमेशा कमजोर होती रही है। उन्होंने पिछले दिनों केन्द्रीय नेतृत्व को लिखे एक पत्र में बताया था कि किस तरह पार्टी सांप्रदायिक तत्वों के साथ हाथ मिलाने से अतीत में कमजोर हुई है। उन्होंने उन संगठनों का हवाला देते हुए कहा था कि उनसे जब जब पार्टी ने हाथ मिलाया, पार्टी कमजोर हुई।
उन्होंने बताया कि एक बार पार्टी ने अब्दुल नसीर मदनी के नेतृत्व वाली पीडीपी के साथ हाथ मिलया और फिर एक बार इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के साथ भी गठजोड़ किया था। उसके परिणाम पार्टी के लिए अच्छे नहीं रहे थे।
पिछले दिनों सीपीएम केरल कांग्रेस (मणि) के साथ भी हाथ मिलाने की कोशिश कर रही थी। उसका भी वीएस ने विरोध किया था। उनका कहना था कि मणि से हाथ मिलाने से पार्टी की लोकतांत्रिक और सेकुलर छवि को नुकसान पहुंचेगा।
इस वीएस लाईन का वामपंथी खेमों में स्वागत हो रहा है। यह लाईन कोई नई नहीं है। सच तो यह है कि यह मूल रूप से इएमएस नम्बूदरीपाद की लाईन हुआ करती थी।
केन्द्रीय नेतृत्व के इस निर्देश से प्रदेश के पार्टी नेतृत्व को झटका लगा है, क्यांेकि केरल का पार्टी नेतृत्व अबुबकर के साथ घालमेल करना चाह रहा था। (संवाद)
भारत: केरल
वीएस अच्युतानंदन की जीत
विजयन गुट को झटका
पी श्रीकुमारन - 2015-08-25 11:42
तिरुअनंतपुरमः सीपीएम की सेंट्रल कमिटी ने पार्टी की केरल ईकाई को जो ताजा आदेश जारी किए हैं, वह वीएस अच्युतानंदन के लिए एक बड़ी जीत का संकेत है।