कुछ दिन पहले ही नतेशन भारतीय जनता पार्टी के साथ अपने संबंधों को लेकर बहुत ही उत्साह से बात किया करते थे। वे कहते थे कि भारतीय जनता पार्टी का केन्द्र में शासन है और यदि उसके साथ बेहतर संबंध हम रखते हैं, तो इसमें गलत क्या है। वह कहते थे कि भाजपा कोई अछूत पार्टी नहीं है। सत्तारूढ़ पार्टी के साथ रहने के क्या फायदे होते हैं, यह बताते हुए भी नतेशन नहीं थकते थे।

लेकिन अब यह एकाएक बदल गया है। कुछ दिन पहले ही नतेशन ने भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की थी। मुलाकात के बाद उस बैठक को उन्होंने बहुत ही सफल और फलदायी करार दिया था। लेकिन वे एकाएक अब पलटी मार रहे हैं और कह रहे हैं कि श्री नारायण धर्म योग पीठम भाजपा समेत किसी भी राजनैतिक पार्टी से कोई ताल्लुकात नहीं रखेगा। यही नहीं, नतेशन ने गरजते हुए यह भी कह डाला कि केरल के आगामी विधानसभा के आमचुनाव में भारतीय जनता पार्टी अपना खाता भी नहीं खोल पाएगी।

योग पीठम के अंदर नतेशन के दोस्त भी हैं और विरोधी भी। उनके इस बदलाव से दोनों तरह के लोग आश्चर्यचकित हैं और समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि भारतीय जनता पार्टी को लेकर नतेशन ने अपने विचार ही बदल डाले।

नतेशन भारतीय जनता पार्टी से आखिर नाराज क्यों हो गए? यदि कुछ दिनों की घटनाआंे पर नजर डाला जाय, तो कुछ अंदाज लगाया जा सकता है। भाजपा को लेकर अपना रुख बदलने के एक दिन पहले ही नतेशन ने सीपीएम के नेता पूर्व मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन द्वारा की गई अपनी आलोचना सुनी थी। उन्होंने नतेशन के दिल में भाजपा के लिए उमड़े प्यार की कड़ी निदा की थी।

वीएस ने कहा था कि योग पीठम के प्रमुख श्री नारायण गुरू के विचारों का माखौल उड़ा रहे हैं। गौरतलब हो कि उस योगपीठम का नाम नारायण गुरू पर ही है। अच्युतानंदन ने नतेशन की आलोचना योग पीठम द्वारा आयोजित एक बैठक में ही की। उस बैठक में योग पीठम के वरिष्ठ नेता गण मौजूद थे। उन्होंने कहा था कि सांप्रदायिक नेता श्री नारायण गुरू के नाम का बेजा इस्तेमाल कर रहे हैं। गुरू के सिद्धांतों को गलत ढंग से पेश किया जा रहा है और इसके कारण गुरू की प्रतिष्ठा को ठेंस पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। वीएस अच्युतांनदन ने नतेशन का नाम लिए बिना कहा था कि कुछ लोग कुछ लोग श्री नारायण गुरू को अपनी निजी संपत्ति बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

वीएस के उस बयान के एक दिन के बाद ही नतेशन ने भाजपा को लेकर अपने विचार बदल डाले। यह भी एक रहस्य नहीं था कि नतेशन द्वारा भाजपा के प्रति दिखाई जा रही नजदीकी योग पीठम में अनेक लोगों को पसंद नहींथा। यह सच है कि वे लोग अपने विचार खुलकर नहीं रख रहे थे। उधर शिवगिरी मठ ने नतेशन के विचारों के प्रति अपनी असहमति खुलकर जताई थी।

गुजरात के पटेल आंदोलन का भी असर नतेशन पर पड़ा है। उस आंदोलन को आरक्षण विरोधी आंदोलन के रूप में देखा जा रहा है। उसके पीछे संघ की भूमिका की भी चर्चा चल रही थी। संघ के एक वरिष्ठ नेता एमजी वैद्य ने खुलकर आरक्षण का विरोध कर डाला और जाति आधारित आरक्षण को समाप्त करने की मांग कर दी। उसके कारण नतेशन के कान खड़े हो गए, क्योंकि श्री नारायण धर्म परिपालना योग पीठम जाति आधारित आरक्षण का समर्थन करता है। इसलिए नतेशन के लिए संघ और भाजपा के साथ दिखाई पड़ना आत्मघाती साबित हो सकता था। (संवाद)