सीपीएम को छोड़कर भारी संख्या में इसके कार्यकर्ता भारतीय जनता पार्टी में जा रहे हैं। उसे रोकने के लिए और उससे हुई क्षति की भरपाई के लिए उसने हताशा भरे कदम उठाए। अब सीपीएम वैसी स्थिति का सामना कर रही है, जिसकी उम्मीद उसने कभी नहीं की थी।

सीपीएम का संकट उस समय शुरू हुआ, जब उसने पिछले 5 सितंबर को सीपीएम ने ओनम का उत्सव मनाते हुए हुए एक जुलूस निकालने का फैसला किया। उस जुलूस के साथ एक क्राॅस पर श्री नारायणा गुरू की तस्वीर डाल दी गई। गौरतलब हो कि श्री नारायणा गुरू श्री नारायणा धर्म परिपालन योगम पीठ के संस्थापक हैं। उसी दिन भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस श्रीकृष्ण जयंती के मनाते हुए एक जुलूस निकाल रहे थे।

वह जुलूस सीपीएम समर्थक बालसंघम के तत्वावधान में निकाला जा रहा था। क्राॅस पर श्री नारायणा गुरू की तस्वीर के कारण गुरू के समर्थक भड़क गए। इसे गुरू का अपमान माना गया। उसकी प्रतिक्रिया होने लगी। प्रतिक्रिया से डरकर सीपीएम के प्रदेश सचिव के बालाकृष्णन और विपक्ष के नेता वीएस अच्युतानंदन ने उस घटना पर खेद व्यक्त करना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि जुलूस के आयोजकों को श्री नारायणा गुरू और अन्य सामाजिक सुधारकों की तस्वीरों का इस्तेमाल करते हुए विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।

श्री नारायणा धर्म परिपालना योग पीठम प्रदेश की इझावा जाति का प्रतिनिधि संगठन है। यह प्रदेश में सबसे बड़ी संख्या वाली जाति है और सीपीएम की मुख्य जनाधार है। पीठम और सीपीएम के बीच आरोपों दौर शुरू हो गया। पीठम ने सीपीएम से उस घटना के लिए सीधे सीधे माफी मांगने को कहा। सीपीएम ने जवाब में कहा कि जुलूस में श्री नारायणा गुरू की तस्वीर का उस तरह से इस्तेमाल जानबूझकर किया गया ताकि पीठम और भाजपा के बीच हो रही सांठगांठ को बेनकाब किया जा सके। सीपीएम ने आरोप लगाया कि इस सांठगांठ के द्वारा नारायणा गुरू की शिक्षा को तोड़ा मरोड़ा जा रहा है। सीपीएम ने आगे कहा कि उसका पीठम के साथ कोई अन्य मतभेद नहीं है और वह भी श्री नारायणा गुरू का सम्मान करती है।

लेकिन आरएसएस इस मामले का अपने हक में इस्तेमाल करने को लेकर आतुर है। वह सीपीएम को आसानी से छोड़ नहीं रही है। उस विवाद को जिंदा रखने में संघ का निहित स्वार्थ है। उसने सीपीएम के जले पर नमक छिड़कने की पूरी तैयारी कर रखी है और लगातार नमक छिड़क रही है। उसे लगता है कि सीपीएम की गलती के कारण इझावा जाति के लोग ज्यादा से ज्यादा संख्या में उसे छोडकर भाजपा में आ जाएंगे।

सीपीएम के लिए सबसे अधिक राहत की बात यह है कि वीएस अच्युतानंनद इस मामले पर पार्टी के साथ हैं। सार्वजनिक रूप से वे पार्टी का बचाव कर रहे हैं, हालांकि इस मामले को गलत तरीके से हैंडिल करने के लिए वे पार्टी के अन्य नेताओं से नाराज भी हैं।(संवाद)