भोपाल में केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से एक कार्यशाला इस परियोजना लोक लेकर आयोजित की गई थी। उस कार्यशाला में ही पता चला कि सांसदों की रुचि इस परियोजना में बहुत ही कम है।
इस कार्यशाला में लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसदों को आमंत्रित किया था। लेकिन मात्र 31 सांसद इसमें उपस्थित हुए। अन्य 30 सांसदों ने इस कार्यशाला में अपने प्रतिनिधि भेजे। देश के दूसरे राज्यों की बात ही मत पूछें, खुद मध्यप्रदेश से भी गिने चुने सांसदों ने इस कार्यशाला में भाग लिया।
मध्यप्रदेश लोकसभा में 29 और राज्यसभा में 11 सांसद भेजता है, लेकिन उसके कुल 11 सांसद ही इस कार्यशाला में उपस्थित हुए, जबकि इसका आयोजन प्रदेश की राजधानी भोपाल में किया जा रहा था। सांसदों की बात ही क्या, आदर्श गांवों में पदस्थापित अधिकारियों ने भी इस कार्यशाला में बहुत ही कम संख्या में शिरकत की।
मीडिया में यह बात सामने आई कि इस परियोजना की हालत खराब है। एक खबर यह भी आई कि सांसदों ने ज्यादातर ऐसे गांवों को ही गोद लिया है, जो पहले से ही विकसित है। जो गांव मुख्य सड़कों से जुड़े हुए हैं, उन्हें ही सांसदों ने अपनाया है। ऐसे सांसदो की संख्या बहुत ही कम है, जिन्होंने दूर दराज और अविकसित गांवों को आदर्श ग्राम बनाने के लिए अपनाया है।
एक स्थानीय अखबार ने खबर छापी कि भाजपा के सांसद आलोक संजर ने जिस गांव को गोद लिया है, उसमें पिछले एक साल में कुछ भी नहीं बदला। वहां की महिलाएं पानी लाने के लिए दो किलोमीटर की दूरी तय करती हैं। वहां स्कूल के सामने ही शराब की दुकान है। उसे बंद करने की मांग गांव के लोग करते रहे हैं, लेकिन वह अभी भी चल रही है। उस स्कूल में शिक्षकों की संख्या बहुत कम है।
केन्द्रीय मंत्री नजमा हेपतुल्ला ने इन्दौर में एक गांव को गोद ले रखा है। लेकिन पिछले एक साल में उन्होंने वहां का एक बार भी दौरा नहीं किया। जब उनसे इस बारे मे पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि वहां के स्थानीय विधायक को उन्होंने उस आदर्श गांव का जिम्मा दे रखा है।
राज्यसभा सांसद चन्दन मित्र द्वारा गोद लिए गए एक गांव का सर्वेक्षण भी एक अखबार ने किया। गांव के लोगों ने बताया कि श्री मित्र पिछले एक साल में सिर्फ एक बार ही वहां आए हैं। एक साल बीतने के बावजूद गांव की गलियों में रात की रोशनी का इंतजाम नहीं हो पाया है। केन्द्रीय मंत्री थावर चंद गहलौत द्वारा गोद लिए गए गांव का भी हाल बुरा है। वहां के स्कूल में तो कोई शिक्षक ही नहीं है। केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र तोमर द्वारा गोद लिए गए गांव की स्थिति अच्छी है। श्री तोमर इस गांव में पिछले एक साल मे 4 बार आ चुके हैं। एक करोड़ रुपये की लागत से आंगनबाड़ी का भवन और सड़कें तैयार हुई हैं।
कार्यशाला के दौरान सौंपी गई रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर द्वारा गोद लिए गए गांवों की स्थिति काफी अच्छी है। मोदी का गांव वाराणसी जिले में है और तेंदुलकर का गांवा आंध्रप्रदेश में है। प्रधानमंत्री द्वारा गोद में लिए गए गांव की गलियों में सौर बिजली द्वारा रात को रोशनी की जाती है। (संवाद)
आदर्श गांव को नहीं लिया जा रहा है गंभीरता से
ग्रामीण भारत हो रहा है उपेक्षा का शिकार
एल एस हरदेनिया - 2015-10-01 09:52
भोपालः अब यह साफ हो गया है कि अधिकांश सांसद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ड्रीम परियोजना "आदर्श ग्राम" में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। इस योजना के तहत प्रधानमंत्री ने सांसदों से अनुरोध किया था कि वे एक एक गांव को गोद लें और उनको मिलने वाले विकास फंड का इस्तेमाल उस गांव को आदर्श गांव बनाने में करें।