सनातन संस्था का मुख्यालय वैसे तो गोवा में है लेकिन उसकी सर्वाधिक सक्रियता महाराष्ट्र और उसके पडोसी राज्य कर्नाटक में हैं। पिछले दो साल के दौरान इन दो राज्यों में तीन ऐसे लोगों की हत्या कर दी गई जो प्रगतिशील मूल्यों और वैज्ञानिक चेतना के वाहक थे और अपने स्तर पर समाज में व्याप्त अंधविश्वासों और उन पर आधारित धार्मिक मान्यताओं के प्रति लोगों को जागरूक करने में लगे थे। दो साल पहले पुणे में तर्कशील आंदोलन के कार्यकर्ता और लेखक डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या कर दी गई थी तो इसी साल फरवरी में कोल्हापुर में कम्युनिस्ट नेता गोविंद पानसरे की और कुछ ही दिनों पहले कर्नाटक विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और कन्नड भाषा के जानेमाने साहित्यकार एमएम कलबुर्गी की हत्या कर दी गई।
तीनों हत्याओं के लिए सनातन संस्था के कार्यकर्ताओं पर संदेह जताया जा रहा है लेकिन अब तक आधिकारिक तौर पर न तो दाभोलकर के हत्यारे पकडे गए हैं और न ही पानसरे और कलबुर्गी के। इसी संगठन के कार्यकर्ताओं ने नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर कन्नड के प्रतिष्ठित साहित्यकार यूआर अनंतमूर्ति को पाकिस्तान जाने का टिकट भेजने जैसी वाहियात हरकत भी की थी और उसके कुछ ही दिनों बाद उनकी मौत पर पटाखे भी फोडे थे।
सनातन संस्था के दो सदस्य 2008 में मुंबई के हुए तीन धमाकों के आरोप में गिरफ्तार किए गए थे। दोनों जोधा अकबर’ फिल्म और एक मराठी नाटक दिखाए जाने के खिलाफ थे। मुंबई की एक अदालत ने दोनों को दस साल की सजा सुनाई थी लेकिन बाद में वे जमानत पर रिहा हो गए। अभी यह मामला चल ही रहा है। अक्टूबर 2009 में गोवा में हुए एक स्कूटर धमाके में मारे गए दो लोग कथित रूप से संस्था के सदस्य बताए गए। पुलिस के मुताबिक कृष्ण की प्रतिमा के कथित अपमान का बदला लेने के लिए स्कूटर पर विस्फोटक ले जाया जा रहा था। इस सिलसिले में जिन आठ लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हुई थी उनमें से तीन अभी भी फरार हैं जबकि पांच को पर्याप्त सबूतों के अभाव में छोड दिया गया।
अपने को हिंदुत्व की सबसे बडी संरक्षक बताने वाली और आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त इस सनातन संस्था की स्थापना गोवा में हिप्नोथैरेपिस्ट कहे जाने वाले डॉक्टर जयंत बालाजी आठवले ने की है। संस्था की वेबसाइट पर उनके बारे में अजीबो-गरीब दावे किए गए हैं, मसलन- आठवले के केशो का रंग सुनहरा होता जा रहा है। उनके शरीर मे अनेक दैवी परिवर्तन हो रहे हैं। उनके शरीर से दिव्य कण निकलते हैं, उनमें जबर्दस्त खुशबू होती है। उनके नाखूनों, जुबान और पेशानी पर ओम (ऊँ) के चिन्ह उभर आए हैं। वे विष्णु के अवतार है। उनके शरीर पर कमल और त्रिशूल भी उभर आए है। वे हिदू राष्ट्र’ की स्थापना करेंगे। उनकी वेबसाइट उन्हें दूसरा विवेकानंद और भारत का भाग्य-विधाता मानती है।
संस्था की वेबसाइट पर लोगों के लिए निर्देश है कि उन्हें कैसे कपडे पहनने चाहिए, उनके बाल कैसे होने चाहिए, त्योहार कैसे मनाना चाहिए आदि। संस्था ने वेबसाइट पर लंबे बालों वाली महिला का फोटो देते हुए लिखा है कि नारी के लंबे बालों से जो ऊर्जा पैदा होती है उससे पर्यावरण में शक्ति की तरंगे फैल जाती है। आजकल की औरतें जो छोटे बाल रखने लगी है उसकी वजह से पूरी मानवता नकारात्मकता की तरफ जा रही है। संस्था के मुताबिक हिन्दू धर्म मे कहा गया है कि नारी को लंबे बाल रखने चाहिए। मर्द को छोटे बाल रखने चाहिए। मर्दों के लंबे बालों से जो तरंगे निकलती हैं उससे पर्यावरण प्रदूषित होता है। सनातन संस्था मानती है कि जो शादियां रजिस्टी से होती है वे अर्थहीन होती है। धार्मिक कर्मकांडांे से होने वाली शादी ही श्रेष्ठ है। वेबसाइट पर बताया गया है कि क्या-क्या पहनना है। औरतें ये पहनेंगी और मर्द ये पहनेंगे। छोटे कपड़े, टाइट जिंस और बहुरंगीय और काले रंग के कपडे पहनने की मनाही है।
महाराष्ट्र सरकार ने 2011 में केंद्र सरकार को सनातन संस्था पर एक विस्तृत रिपोर्ट भेज कर उस पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी। लेकिन वह सिफारिश गृह मंत्रालय में नौकरशाहों के पास फाइलों में ही दबी रह गई। गोवा के भाजपा विधायक विष्णु वाघ का मानना है कि सनातन संस्था एक आतंकवादी समूह है। गोवा सरकार और महाराष्ट सरकार को इस पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। वाघ के मुताबिक गोवा सरकार के मंत्री और भाजपा के सहयोगी दल सनातन संस्था को राजनीतिक संरक्षण दे रहे है। महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के एक नेता इस संस्था को वित्तीय सहायता दे रहे हैं। सनातन संस्था के मैनेजिंग ट्रस्टी वीरेंद्र मराठे का कहना है कि प्रतिबंध लगाने से क्या होगा, हम बिना नाम के भी काम करते रहेंगे। मराठे का दावा है कि महाराष्ट्र में उनकी संस्था के एक लाख साधक हैं और संस्था सर्बिया, आस्टेलिया आदि कई देशो सें इंटरनेट के माध्यम से जुडी हुई है।
दाभोलकर और पानसरे की हत्या के बाद महाराष्ट्र के तीन लोगों- डॉ. नरेंद्र दाभोलकर के भाई दत्तप्रसाद दाभोलकर, श्रमिक मुक्ति दल के नेता एवं वामपंथी कार्यकर्ता भारत पाटणकर और ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता लेखक भालचंद्र नेमाडे को धमकी मिली है। दत्तप्रसाद दाभोलकर, इसलिए निशाने पर हैं क्योंकि उन्होंने स्वामी विवेकानंद के जीवन एवं कार्य को अलग ढंग से व्याख्यायित करने की कोशिश की है। दक्षिणपंथियों ने विवेकानंद की खास किस्म की हिन्दूवादी छवि को प्रोजेक्ट कर उन्हें जिस तरह अपने प्रेरणा-पुरूष के रूप में समाहित किया है, पानसरे उसकी मुखालिफत करते हैं। इस मसले पर वे जगह-जगह व्याख्यान भी देते हैं। मार्क्स एवं फुले-आंबेडकर के विचारों से प्रेरित कामरेड भारत पाटणकर विगत लगभग चार दशक से मेहनतकशों एवं वंचित-दलितों के आंदोलन से सम्बद्ध हैं और साम्प्रदायिक एवं जातिवादी राजनीति के विरोध में काम करते हैं।
एनडीटीवी इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक गोविन्द पानसरे की हत्या में कथित तौर पर शामिल होने को लेकर जबसे सनातन संस्था’के कार्यकर्ताओं के नाम आए हैं, तबसे सनातन संस्था ने वरिष्ठ पत्रकार निखिल वागले, युवराज मोहिते, तर्कशील आंदोलन के कार्यकर्ता श्याम सुंदर सोनार और मशहूर डाक्यूमेंटरी निर्माता आनंद पटवर्धन को धर्मदोही करार दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस को संकेत मिले हैं कि निखिल वागले को जान से मारने की योजना भी इस संस्था ने बनाई थी।
अगर ऐसी खुल्लमखुल्ला धमकियां मिलने के बाद भी अगर महाराष्ट्र सरकार नहीं चेतती है तो यह बात पुख्ता हो जाएगी कि हुकूमत में बैठे लोग भले ही दावे जाति एवं साम्प्रदायिक तनाव मुक्त भारत के निर्माण के करते हो, मगर हकीकत में वे अपने आचरण से कहीं न कहीं ऐसी ताकतों को शह ही देते हैं। शायद ऐसी ही सरकारों के लिए फ्रांस के क्रांतिकारी दार्शनिक वॉल्टेयर ने कहा है- अगर सत्ताधारी ताकतें गलत हों तो लोगों का सही होना खतरे से खाली नहीं होता।’ (संवाद)
महाराष्ट्र में 'सनातन' आतंक को सत्ता की शह
संस्था की वेबसाइट पर लोगों के लिए निर्देश
अनिल जैन - 2015-10-13 11:11
हमारे देश में महाराष्ट्र की ख्याति एक ऐसे सूबे के रूप में रही है, जिसकी सरजमीं से कई प्रगतिशील और सुधारवादी आंदोलनों का सूत्रपात हुआ और जहां पैदा हुए कई क्रांतिकारी संत कवियों और समाज सुधारकों ने लोगों को अंधविश्वासों और तमाम तरह की रूढियों की कैद से आजाद करा कर उन्हें उदात्त मानवीय मूल्यों और विचारों से अनुप्राणित किया है। आज उसी महाराष्ट्र में अंधविश्वासों और उन पर आधारित धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ बोलना या लिखना बेहद जोखिम भरा काम हो गया है। जो कोई यह काम करने की हिम्मत करता है, उसे धर्म के ठेकेदार बने लफंगों द्बारा पहले तो धमकी दी जाती है और फिर उस पर या तो जानलेवा हमले किए जाते हैं या फिर उसकी हत्या कर दी जाती है। इसके अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर भी पत्थर या बम बरसाए जाते हैं। यह एक किस्म का आतंकवाद है जिसे सनातन संस्था नामक एक संगठन चला रहा है और महाराष्ट्र की सरकार मूकदर्शक बनी हुई है।