इसके जल्द से जल्द गठन को लेकर रेल मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय को कई बार लिख चुका है लेकिन वित्त मंत्रालय इस प्रस्ताव को इसलिए हरी झंडी नहीं दिखा पा रहा क्योंकि कैग ने सालाना आॅडिटिंग में परेषानी की बात कही है। अमूमन ऐसा होता है कि भारत सरकार द्वारा जारी बजट यदि खर्च नहीं हो पाता है तो वह अपने आप सरकार के खाते में पहुंच जाता है जिसे कैग के आॅडिंटिंग में सरकारी बजट में षामिल हो जाता है लेकिन जो फंड लैप्स ही नहीं होगा उसकी अकाउंटिंग कैसे की जाएगी, इसी परेशानी को लेकर कैग ने इसके औचित्य पर सवाल उठाए हैं।
कैग की आपत्ति अपनी जगह पर सही है कि किसी भी प्रोजेक्ट के लिए यदि बजट का प्रावधान किया जाता है तो वह निवेश एक तरह से एसेट निर्माण के लिए होता है। कैग इस तरह की अकाउंटिंग करने से मना कर रहा है। कैग का सुझाव है कि रेलवे अपने बजट में ऐसी व्यवस्था बना लेे जो उसके मुनाफे से आती है न कि केंद्रीय फंड से।
हाल ही में कैबिनेट में एक निर्णय लिया गया है वित्त मंत्रालय ऐसी व्यवस्था करे कि वह वित्त मंत्रालय को अपने आदेश को कायम रखने में मदद कर सके।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि रेलवे के मुनाफे से लैप्स नहीं होने वाले फंड का निर्माण अभी व्यवहार संगत नहीं हो सकता जहां रेलवे में इसके लिए उचित व्यवहारिक वातावरण ही नहीं है। इस तरह के फंड का निर्माण से पूर्वोत्तर क्षेत्र में विकास का कारक ज्यादा कारगर साबित होगा। इसे देखते हुए रेलवे ने एक बार फिर वित्त मंत्रालय का दरवाजा खटखटाया है।
यह विदित है कि आपातकाल के दौरान 1976 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आकाशवाणी और दूरदर्षन के लिए ऐसा फंड बनाया था। इसे आधार बनाकर रेलवे ने वित्त मंत्रालय को पूर्वोत्तर क्षेत्र में लैप्स नहीं होने वाले फंड के निर्माण के लि राजी करने की कोशिश कर रहा है ताकि बगावत और सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण पूर्वोंत्तर के क्षेत्र में रेलवे अपना आधारभूत ढांचे को और मजबूती प्रदान कर सके और उस क्षेत्र के विकास में नई इबारत लिख सके। अमूमन ऐसा देखा जाता है कि भारत के संविधान के तहत हर साल आवंटित बजट अगले साल के 31 मार्च तक अपने आप समाप्त हो जाता है और पैसा पुनः भारत सरकार के बजट में समाहित हो जाता है। ऐसे में जिन क्षेत्रों में बगावत और अलगाव जैसी स्थितियां होती हैं वहां समय से कार्य नहीं हो पाता ऐसे में पूरा का पूरा बजट वापस लौट जाता है। अंततः नुकसान तो देश को ही होता है। किसी खास क्षेत्र में विकास को नई दिशा और दशा देने के लिए यह जरूरी है कि वहां दिया जाने वाला बजट कतई लैप्स होने वाला न हो। इससे उस क्षेत्र में समग्र विकास का रास्ता सालों भर बना रहेगा और रेलवे जैसे अहम विभाग को देश की सुरक्षा से जुड़े पूर्वोत्तर क्षेत्र में रेल लिंक बढ़ाने के सुगम और अच्छे अवसर मिलेंगे।
पूर्वोत्तर क्षेत्रीय रेल फंड के निर्माण में अडंगा
एम वाई सिद्दीकी - 2015-11-10 16:34
पूर्वोत्तर क्षेत्रीय लैप्स नहीं होने वाले रेल फंड के निर्माण में अड़ंगा लग गया है जबकि आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने इसे पारित कर दिया है और रेल बजट 2014-15 में शामिल कर लिया गया है। वित्तीय साल का आधा समय बीत जाने के बाद इसका हाल वही है जहां पहले था आज भी वहीं का वहीं पड़ा हुआ है। पूर्वोत्तर क्षेत्रीय रेल फंड का 25 प्रतिशत हिस्सा रेलवे के बजट से जबकि 75 प्रतिशत हिस्सा वित्त मंत्रालय के सहयोग से संचालित किया जाएगा। यह बजट मुनाफा देय वाला नहीं होगा ।