लोकसभा चुनाव 2014 में मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, उत्तरप्रदेश, दिल्ली एवं उत्तराखंड में भाजपा ने विपक्ष को सफाया कर दिया था। मोदी की अगुवाई एवं गुजरात, राजस्थान एवं मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकारों की बदौलत भाजपा ने ऐतिहासिक रूप से बड़ी संख्या में इन राज्यों में जीत हासिल की थी। पर 2015 में भाजपा ने दिल्ली एवं बिहार विधानसभा में मिली करारी हार के बाद भाजपा के दिग्गज आदिवासी नेता दिलीप सिंह भूरिया के निधन से खाली हुई रतलाम लोकसभा सीट से प्रदेश भाजपा, मुख्यमंत्री चैहान के साथ-साथ भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को भी बड़ी आशा थी। मध्यप्रदेश में 12 सालों से काबिज भाजपा को उपचुनावों में अधिकांशतः जीत ही मिली है। ऐसे में भाजपा को पूरा भरोसा था कि रतलाम लोकसभा सीट पर उसे जीत हासिल होगी।

दिलीप सिंह भूरिया की बेटी निर्मला भूरिया को उतारकर भाजपा ने यहां सहानुभूति की लहर पर जीत का सपना संजोया था। इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान सहित मंत्रियों एवं विधायकों की फौज चुनाव अभियान में लगी हुई थी। गुजरात सीमा से सटे झाबुआ, अलीराजपुर जिलों में भाजपा के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी सक्रिय रहा है। मुख्यमंत्री ने यहां मतदाताओं से कई वायदे भी किए। यहां का चुनाव कांग्रेस नेता कांतिलाल भूरिया बनाम मुख्यमंत्री चैहान बन गया। ठीक उसी तरह से जिस तरह से दिल्ली में केजरीवाल बनाम मोदी और बिहार में नीतीश बनाम मोदी बन गया था।

लोकसभा के इस उपचुनाव के साथ मध्यप्रदेश विधानसभा के देवास सीट पर हुए उपचुनाव का परिणाम भाजपा के लिए संतोषजनक रहा। पूर्व मंत्री एवं भाजपा विधायक तुकोजी राव पवार के निधन से खाली हुई इस सीट से उनकी पत्नी श्रीमती गायत्री राजे पवार ने कांग्रेस उम्मीदवार जयप्रकाश शास्त्री को 30 हजार 778 मतों से हराकर जीत हासिल की है। यद्यपि वह तुकोजी राव पवार के जीत के अंतर को बरकरार नहीं रख पाई। यहां की जीत को भाजपा की जीत के रूप में नहीं देखा जा रहा है, बल्कि इसे राजपरिवार के प्रभाव की जीत कहा जा रहा है। यहां जीत का अंतर लगभग 20 हजार कम हो गया है।

रतलाम लोकसभा उपचुनाव में कांतिलाल भूरिया को 5,36,743 मत एवं श्रीमती निर्मला भूरिया को 4,47,911 मत हासिल हुए। देवास विधानसभा उपचुनाव में श्रीमती गायत्री राजे पवार को 89,358 एवं जयप्रकाश शास्त्री को 58,580 मत हासिल हुए।

दोनों उपचुनावों के परिणाम भाजपा के लिए हताश करने वाले रहे हैं। बिहार विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा को निराशा से बाहर लाने के लिए प्रदेश भाजपा एवं मुख्यमंत्री चैहान रतलाम लोकसभा उप चुनाव में जीत हासिल कर केंद्रीय नेतृत्व को तोहफा देना चाहते थे। चैहान मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल का 10 साल पूरा करने जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में रतलाम की यह करारी हार और देवास की सामान्य जीत चैहान के गिरते ग्राफ के रूप में इंगित कर रहा है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय सिंह ने कांतिलाल भूरिया की जीत पर कहा है कि यह साम, दाम, दंड, भेद के खिलाफ जनमत है। भाजपा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान को इस परिणाम के जरिये जनता ने जवाब दिया है कि सिर्फ और सिर्फ झूठ और नकली आंसूओं से अब वे उन्हें मूर्ख नहीं बना सकते। मुख्यमंत्री के उपलब्धियों का गान, सुशासन का दावा, झूठ और सिर्फ आंकड़ों की बाजीगरी है, जिसकी पोल खुल चुकी है और जनता ने इसका जवाब भी देना शुरू कर दिया ळें (संवाद)