कैलाश जोशी भारतीय जनता पार्टी के ऐसे नेता हैं, जो पहली बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने, लेकिन उस समय भारतीय जनता पार्टी का अ्िरस्तत्व नहीं था। श्री जोशी जनता पार्टी के मुख्यमंत्री थे और जनता पार्टी में उनका भारतीय जनसंघ समाहित था। बाद में जनता पार्टी से जनसंघ बाहर निकला और तब उसने अपना वर्तमान नाम भारतीय जनता पार्टी ग्रहण कर लिया।

कैलाश जोशी मात्र 6 महीने तक ही मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के पद पर रह सके थे। उसका कारण यह था कि कट्टर आरएसएस नेताओं को श्री जोशी रास नहीं आए और उनको हटाकर उनकी जगह वीरेन्द्र कुमार सकलेचा को मुख्यमंत्री पद पर बैठा दिया गया।

जब 1980 में लोकसभा के चुनाव हुए, तो उसमें जनता पार्टी की हार हो गई थी। मध्यप्रदेश भी इसका अपवाद नहीं था। हार के बाद वीरेन्द्र कुमार सकलेचा को भी मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा। उनकी जगह पर सुन्दर लाल पटवा मुख्यमंत्री बने, पर पटवा सरकार को केन्द्र सरकार ने बर्खास्त कर दिया और उनकी सरकार की जगह राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया।

1990 में भारतीय जनता पार्टी को अपने बूते मध्यप्रदेश में बहुमत मिल गया और एक बार फिर सुन्दर लाल पटवा को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया। 6 दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद ध्वंस के बाद मध्यप्रदेश की पटवा सरकार को बर्खास्त कर वहां केन्द्र की सरकार ने राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया। इस तरह सुन्दरलाल पटवा एक बार फिर केन्द्र की बर्खास्तगी का शिकार हुए।

2003 में भारतीय जनता पार्टी को एक बार फिर बहुमत मिला। भाजपा ने वह चुनाव उमा भारती को मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में प्रोजेक्ट करके लड़ा था। चुनाव के बाद वह मुख्यमंत्री बनी, लेकिन एक मुकदमे में आरोपित होने के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री का पद छोड़ दिया। वह एक साल भी मुख्यमंत्री नहीं रह पाईं।

डमा भारती के बाद बाबूलाल गौर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। लेकिन बाबूलाल गौर भी मुश्किल से एक साल अपने मुख्यमंत्री पद पर रह सके। उन्हें भी अपना पद छोड़ना पड़ा। दरअसल उमा भारती और बाबूलाल गौर पार्टी के अंदर के अपने विरोधियों की साजिश के शिकार हो गए।

बबूलाल गौर के बाद 29 नवंबर, 2005 को शिवराज सिंह चैहान प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए। उनका मुख्यमंत्री के रूप में उदय एकाएक हुआ। उस समय वे लोकसभा के सदस्य थे। लालकृष्ण आडवाणी ने उन्हें उस पद के लिए चुना था। वे लालकृष्ण आडवाणी के प्यारे बने रहे। उन्होंने तो शिवराज सिंह चैहान को नरेन्द्र मोदी से भी बेहतर मुख्यमंत्री बता दिया था।

सत्ता संभालने के बाद शिवराज सिंह चैहान का आत्मविश्वास लगातार बढ़ता गया और बिना किसी चुनौती के वे अपने पद पर लगातार बने हुए हैं। पार्टी के अंदर उनके खिलाफ तेज उठाने वाला आज कोई नहीं है। आरएसएस का संरक्षण उनका मिलता रहा और इसके कारण उनके खिलाफ आवाज बुलंद करने से उनके विरोधी उनसे डरते रहे। उनकी सरकार की दो सबसे बड़ी उपलब्धियां पक्का रोड बनाना और बिजली आपूर्ति को सही कर देना है। (संवाद)