सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। जबकि विपक्षी वाम मोर्चा और कांग्रेस प्रदेश की गिरती कानून व्यवस्था और आर्थिक मंदी को मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ने जा रहे हैं।

तृणमूल कांग्रेस विकास को मुद्दा बनाने जा रही है। यह कुछ लोगों को विचित्र लग सकता है, क्योंकि उनका मानना है कि प्रदेश मंे विकास हुआ ही नहीं। लेकिन शायद उन्हें वैसा लगे, पर सचाई यह है कि प्रदेश के ग्रामीण इलाकों मंे तृणमूल विकास का दावा कर सकती है। लोगों की स्थिति तो गांवों में भी नहीं सुधरी है, पर जो कुछ किया गया है, वह भी लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र बन गया है।

खासकर पश्चिम बंगाल के दक्षिणी इलाके में गांवों में हुए विकास को लेकर तृणमूल के नेता खासा उत्साहित हैं। यह स्वाभाविक भी है, क्योंकि वहां सत्तारुढ़ दल ने अपनी स्थिति वास्तव में मजबूत कर ली है।

यह विरोधाभासी लग सकता है कि जो प्रदेश लगातार पिछड़ा हुआ हो, वहां के गांव के लोग कैसे विकास को महसूस कर सकते हैं। लेकिन यह सच है। भले ही प्रदेश के नेशनल हाइवे की हालत खराब हो और उसका अधिकांश हिस्सा गाड़ी चलाने के लायक भी नहीं हो, लेकिन गांवों मंे पक्की सड़कें बन गई हैं।

प्रदेश की बड़ी सड़कों की हालत बहुत ही खराब है। उनके निर्माण और पुनर्निमाण के अनेक प्रयास सरकारी विफलता के कारण सफल नहीं हो पाए हैं। उन्हें ठीक करने में प्रशासन तंत्र नाकाम रहा है। नौकरशाही का भ्रष्टचार और उसमें व्याप्त अक्षमता के कारण जो होना चाहिए था, वह हो भी नहीं पाया। केन्द्र सरकार द्वारा दिए गए पैसे पानी की तरह बह गए और कुछ का तो उपयोग भी नहीं हो पाया।

सड़कों की बुरी दशा के कारण प्रदेश का विकास भी नहीं हो पा रहा है। इसके कारण आर्थिक सुस्ती का माहौल बना हुआ है। लेकिन इन सबके बीच ममता बनर्जी द्वारा ली गई निजी दिलचस्पी के कारण गांवों की स्थिति बेहतर हुई है। बरसात के दौरान वहां होने वाले जलजमाव में कमी आई है। अब नीचले इलाके में ही पानी जमा होता है। सड़कों को पक्का ही नहीं किया गया है, बल्कि उनके दोनों ओर पेड़ भी लगाए गए हैं। सड़कों पर रोशनी की व्यवस्था भी की गई है। मत्स्य पालन की योजनाएं भी बनाई जा रही हैं। ग्रामीण इलाकों मंे पीने के पानी की भी बेहतर व्यवस्था की गई है।

सबसे आश्चर्य की बात यह है कि यह सब इस तथ्य के बावजूद हो सका है कि वहां तृणमूल कांग्रेस के अंदर भारी गुटबाजी है। लोग आपस में बहुत लड़ झगड़ रहे हैं।

बहुत कुछ अभी भी किया जाना बाकी है, लेकिन जो कुछ हुआ है, वह बंगाल की गरीब जनता के लिए कम नहीं है। वे उतने से ही बहुत खुश हैं और उसके लिए ममता बनर्जी के प्रति अपना अहसान व्यक्त करते हुए दिखाई देते हैं।

ग्रामीण विकास के काम केन्द्र सरकार की योजनाओ के द्वारा ही हुए। लेकिन उसका श्रेय केन्द्र की भाजपा सरकार को नहीं मिल रहा है, बल्कि लोग उसका श्रेय प्रदेश की तृणमूल सरकार को ही दे रहे हैं। (संवाद)