उसके बाद आम आदमी पार्टी ने अरुण जेटली से पांच सवाल पूछे, जो उनके द्वारा किए गए कथित भ्रष्टाचार से संबंधित थे। अरुण जेटली की परेशानी वहीं खत्म नहीं हुई। केपीएस गिल ने हाॅकी इंडिया में जेटली के भ्रष्टाचार को लेकर आरोप लगाए। उन्होने आरोप लगाया कि जेटली ने अपनी बेटी को हाॅकी इंडिया का वकील बना डाला और उससे बहुत बड़ी रकम अपनी बेटी को दिलवा दी।

दोनों मसलों को संसद में भी उठाया गया। वित्तमंत्री के इस्तीफे की मांग भी की गई। गुस्से में आकर अरुण जेटली ने अरविंद केजरीवाल और उनके पांच सहयोगियों के खिलाफ मानहानि का दावा अदालत में दायर कर दिया। उन्होंने केजरीवाल पर दीवानी और आपराधिक मानहानि का दावा दायर किया और खुद भी अदालत जा पहुंचे। जेठमलानी भी उस विवाद में शामिल हो गए हैं। उन्होेने अरविंद केजरीवाल का वकील बनने की घोषणा कर दी है। जेठमलानी अरुण जेटली से पहले ही बहुत नाराज चल रहे हैं। वह दृश्य देखने लायक होगा, जब जेठमलानी जेटली का अदालत में क्राॅस एक्जामिजेशन कर रहे होंगे।

अरुण जेटली पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान का भी लोग अपने तरीके से अर्थ लगा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा था कि उन्हे पूरा विश्वास है कि जेटली लालकृष्ण आडवाणी की तरह अपने ऊपर लगाए आरोपों को झुठलाकर पाकसाफ साबित होंगे। इसका एक अर्थ तो यह है कि नरेन्द्र मोदी इस विवाद में जेटली के साथ हैं और दूसरा अर्थ यह भी हो सकता है कि वे चाहते हैं कि आडवाणी की तरह जेटली भी अपने पद से इस्तीफा दे दें। गौरतलब हो कि जब आडवणाणी पर एक हवाला अपराधी से पैसे लेने का आरोप लगा था, तो उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था और तबतक चुनाव नहीं लड़ा था, जब तक वे आरोप से मुक्त नहीं हो गए थे। सवाल उठता है कि क्या प्रधानमंत्री यही चाहते हैं कि जेटली अपने पद से इस्तीफा दे दें?

दूसरी तरफ भाजपा सांसद कीर्ति आजाद भी अरुण जेटली के पीछे पड़े हुए हैं। अमित शाह द्वारा मना किए जाने के बावजूद उन्होंने एक प्रेस कान्फ्रेंस किया, जिसमें डीडीसीए में हुए भ्रष्टाचार का उन्होंने कच्चा चिट्ठा खोला। उन्होंने जेटली का नाम तो नहीं लिया, लेकिन प्रेस कान्फ्रंेस के तेवर से जाहिर था कि उनका निशाना अरुण जेटली ही थे। उस प्रेस कान्फ्रेंस के बाद अमित शाह ने कीर्ति आजाद को निलंबित भी कर दिया है, लेकिन उससे अरुण जेटली की समस्या समाप्त नहीं हुई है।

कीर्ति आजाद के निलंबन पर भाजपा के वरिष्ठ नेताओ को एतराज है। मार्ग दर्शक मंडल में डाल दिए गए नेता उस पर विपरीत प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं, हालांकि उन्होंने अभी तक कोई बयान जारी नहीं किया है। पर सूत्रों से जो खबरें आ रही हैं, वे अरुण जेटली के लिए अच्छा नहीं है। (संवाद)