यह बहस पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी के एक बयान के बाद शुरू हुई। उस बयान मे श्री येचुरी ने कहा था कि उनकी पार्टी में रिटायर होने की उम्र नहीं होती है और कोई भी किसी भी उम्र में पार्टी या सरकार की किसी भी तरह की जिम्मेदारी उठा सकता है। उन्होने यह भी कहा था कि विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए उनकी पार्टी ने कोई अधिकतम सीमा निर्धारित नहीं की है।

सीताराम येचुरी के उस बयान को वीएस अच्युतांनदन के पक्ष में दिया गया बयान मान लिया गया है। उनका वह बयान का संदर्भ भी वीएस ही थे। वीएस केरल के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में उन्हें ही मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पेश कर चुनाव लड़ा गया था। इस समय वीए 90 साल के हैं। इसलिए कई लोग उम्मीद कर रहे थे कि वीएस इस बार अपनी उम्र के कारण चुनाव लड़ ही नहीं पाएंगे। और यदि वे चुनाव लड़ ही नहीं पाएंगे, तो फिर बहुमत आने की स्थिति में उनके मुख्यमंत्री बनने का सवाल ही कहां उठता है।

लेकिन सीताराम के बयान ने उस तरह की अटकलबाजियों पर विराम लगा दिया है। अटकलबाजियां तो रुकी, लेकिन उसके कारण एक नई बहस शुरू हो गई है और वह बहस वीएस के मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनने को लेकर है।

सीपीआई के प्रदेश सचिव कनम राजेन्द्रन और पी रवीन्द्रन ने बयान देकर कहा है कि एलडीएफ के मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में वीएस अच्युतानंदन को पेश किया जाना चाहिए। कनम ने तो यहां तक कह डाला है कि जो राज्यव्यापी यात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं, उन्हें मुख्यमंत्री बनने की जरूरत नहीं है। गौरतलब हो कि सीपीएम के पूर्व प्रदेश सचिव पी विजयन पार्टी की प्रदेश व्यापी यात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं। यह यात्रा जल्द ही शुरू होने वाली है। पी रवीन्द्रन ने भी राजेन्द्रन के बयान से सहमति जताई। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि सीपीएम किसको मुख्यमंत्री बनाना चाहेगी, इसका निर्णय वह खुद ही करे।

सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी इस बहस को हवा दे रहे हैं। उन्हांेने पिछले स्थानीय निकायों के चुनावो में एलडीएफ की जीत का श्रेय वीएस को ही दे डाला। उन्होंने कहा कि उस जीत में वीएस ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई। यह किसी से छिपा हुआ नहीं है कि सीताराम और वीएस में बहुत करीबी है। येचुरी ने तो यहां तक कहा कि वीएस सीपीएम का हिस्सा हैं और आप वीएस और सीपीएम को दो अलग अलग चीज नहीं मान सकते। उन्होंने वीएस की प्रशंसा करते हुए कहा कि 90 साल की उम्र में भी वीएस जिस तरह चुनाव प्रचार करते हैं, उससे पार्टी के अन्य नेताओं को भी सीखना चाहिए।

पी विजयन ने सीताराम येचुरी द्वारा वीएस की प्रशंसा पर अपनी तरफ से टिप्पणी की और कहा कि पार्टी की जीत किसी व्यक्ति पर निर्भर नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि कोई एक व्यक्ति पार्टी के लिए अपरिहार्य नहीं होता है। गौरतलब हो कि स्थानीय निकायों के चुनाव में पार्टी औ फ्रंट को मिली जीत में वीएस की भूमिका को पी विजयन ने ज्यादा तवज्जो नहीं दिया था।

इस बहस में सबसे दिलचस्प बात यह सामने आई कि केरल प्रदेश सीपीएम सचिव ने पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी का बात का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि उम्र वीएस के चुनाव लड़ने में बाधा नहीं बनेगी। यह पी विजयन के विचारो के विरुद्ध दिया गया बयान है।

लेकिन इस बहस को लेकर सीपीएम के अंदर चिंता भी व्यक्त की जारी है। उनका कहना है कि यह इस प्रकार की बहस का समय नहीं है और इससे पार्टी को नुकसान हो सकता है। आज समय की मांग है कि वीएस और विजयन एक मंच से मिलकर पार्टी के लिए प्रचार करें। (संवाद)