इस सवाल के जवाब का पता अगले कुछ दिनों में लग जाएगा। लेकिन जो शुरुआती संकेत मिल रहे हैं, उनसे यही पता चलता है कि वालोमा उस जाल में शायद ही फंसे।

यह जाल एक याचिका के रूप में आया है। प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की है और मांग की है कि नवंबर 2013 में जिस मुकदमें में सीपीएम के पूर्व सचिव पी विजयन को बरी कर दिया गया था, उस पर फिर से विचार किया जाय। वह मामला लवलीन केस के रूप में भी जाना जाता है।

हाई कोर्ट को उस मामले में दायर की गई याचिका में कुछ ठोस आधार भी दिखाई देते हैं। सरकार ने मांग की है कि उस मामले पर जल्द से जल्द सुनवाई हो।

प्रदेश सरकार की मांग को स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट उस पर तेजी से सुनवाई के लिए तैयार है और उस पर अंतिम सुनवाई फरवरी महीने के अंतिम सप्ताह में हो जाएगी। जाहिर है, उस फैसला उसके बाद मार्च अथवा अप्रैल महीने तक आ जाएगा।

स्थानीय निकायों के चुनावों में पराजित होने के बाद मुख्यमंत्री चांडी को कुछ न कुछ करना था। उनके नेतृत्व वाली संयुमो सरकार की घटक पार्टियों के हौसले उस हार के बाद पस्त पड़ गए हैं। अब लवलीन केस को फिर खोलकर चांडी आगामी विधानसभा चुनाव के पहले माहौल अपने पक्ष में करना चाहते हैं।

गौरतलब हो कि अप्रैल और मई महीने में ही विधानसभा के चुनाव केरल में हो रहे होंगे। उस बीच यदि लवलीन केस मे सीपीएम नेता पी विजयन के खिलाफ कोई फैसला आता है, तो सीपीएम के नेतृत्व वाले वालोमा की क्या स्थिति होगी, इसका कोई भी अनुमान लगा सकता है।

वैसी स्थिति में लोगों का मूड कांग्रेस और उसके नेतृत्व वाले संलोमा के के पक्ष में बन जाएगा, क्योंकि वालोमा का नेतृत्व पी विजयन कर रहे होंगे।

इस याचिका को दाखिल करने का समय भी बहुत दिलचस्प है। सीपीएम नेता पी विजयन प्रदेश व्यापी नव केरल यात्रा पर निकले हैं। उसका उद्देश्य कांग्रेस अध्यक्ष वी सुधीरन की जन रक्षा यात्रा का सामना करना है। विजयन की यात्रा का उद्देश्य प्रदेश की चांडी सरकार के भ्रष्ट कारनामो को उजागर करना है और कांग्रेस के उस आरोप को भी धता बताना है, जिसके तहत सीपीएम को विकास विरोधी कहा जाता है।

सीपीएम नेता की यात्रा बहुत ही सुनियोजित तरीके से जारी है और वह यह बताने की कोशिश कर रही है कि भ्रष्टाचार मुक्त माहौल में ही विकास हो सकता है। यात्रा के दौरान पी विजयन आरोप लगा रहे हैं कि चांडी की सरकार भ्रष्टाचार में लिप्त है और उसके कारण प्रदेश का विकास नहीं हो पा रहा है।

लवलीन मुकदमे को फिर से जिंदा कर कांग्रेस ने सीपीएम में आई एकता को तोड़ने की भी कोशिश की है। इसके द्वारा कांग्रेस सीपीएम नेता अच्युतानंद और विजयन के बीच टकराव की स्थिति पैदा करना चाहती है। इसका कारण यह है कि अच्युतानंदन का इस मसले पर रुख विजयन के रुख से अलग रहा है। इसके कारण अच्युतानंदन को विजयन के खिलाफ सार्वजनिक रूप से बोलना पड़ेगा और इसके कारण दोनों नेताओं की एकता समाप्त हो जाएगी। यही कांग्रेस की रणनीति है।

लेकिन सीपीएम के नेता भी कांग्रेस की इस राजनीति को समझ रहे हैं। उन्हें पता है कि कांग्रेस किस तरह की जाल उसके लिए बिछा रही है। यही कारण है कि अच्युतानंदन इस मसले पर अपने आपको किसी विवाद से दूर रख रहे हैं और वे कांग्रेस के मंसूबे को कामयाब नहीं होने दे रहे हैं।

अच्युतानंदन ने अपने भाषणों मे लवलीन केस से सबंधित बयानबाजी से अपने को दूर ही रखा है। वे भी कांग्रेस नेतृत्व वाली संलोमा सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के मसले को उठा रहे हैं और विजयन की यात्रा की सफलता की शुभ कामना व्यक्त कर रहे हैं।

लवलीन केस पर अच्युतानंदन का रुख जग जाहिर है, लेकिन यह भी सच है कि जब उस मामले में विजयन बरी हो गए थे, तो अच्युतानंदन ने उन्हें बधाई दी थी और कहा था कि इस मसले पर उन्होंने अतीत में जो कुछ कहा था, उसे भुला दिया जाय। यदि वे इसी रुख पर अमल करते रहे, तो कांग्रेस की राजनीति विफल हो जाएगी। (संवाद)