भारत और चीन के बीच का व्यापार संतुलन बिगड़ा हुआ है और भारत जितना वहां से आयात करता है, उससे बहुत कम वहां निर्यात करता है। यानी भारत चीन के साथ व्यापार घाटे की स्थिति का सामना कर रहा है। नाथूला दर्रा से व्यापार में भारत ज्यादा निर्यात और कम आयात करता है। जाहिर हे, यदि वहां से व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ाया जाय, तो भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा कुछ कम हो सकता है।

यदि हम आंकड़ों को देखें, तो पाते हैं कि इस दर्रे से व्यापार बहुत बढ़ा है। 2006 से इस दर्रे से व्यापार की सही मायने में शुरुआत हुई थी, तो उस समय भारत से चीन को निर्यात 20 रुपये का सामना हुआ था और उस रास्ते से भारत कुछ भी उस साल चीन से आयात नहीं कर रहा था। सिक्कम के नाथूला और चीन के रिन्क्वीनजिंग से व्यापार शुरू हुआ था।

लेकिन जनवरी, 2015 में व्यापार की यह राशि बढ़कर 17 करोड़ रुपये की हो गई। इससे पता चलता है कि इस इलाके से दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ाने की विपुल संभावना है। लेकिन इस समय जो नियम कायदे हैं, उसके कारण व्यापार मे तेजी से वृद्धि नहीं हो पा रही है। अभी जो व्यवस्था है, उसके अनुसार भारत से सिर्फ 29 आइटम ही उस रास्ते चीन निर्यात किए जा सकते हैं और सिर्फ 15 आइटम ही उस रास्ते चीन से भारत आयात किए जा सकते हैं।

खराब अनुभवों की स्मृति बहुत कठिनाई से मिटती है। 1962 का भारत युद्ध का अनुभव भी एक खराब अनुभव था, जिसकी स्मृति मिटाना आसान नहीं है। इसके बाद दोनों देशों के बीच के राजनयिक रिश्ते लगातार संवेदनशील रहे। उसके बाद व्यापार के लिए क्लियरेंस मिलने में दिक्कतें होती हैं और एक दूसरे के सामानों को संदेह की नजर से देखा जाता है। बने हुए वर्तमान कायदे कानून भी व्यापार को मुश्किल बना देते हैं। दोनों देशों की सड़कें भी वहां बहुत आसान नहीं हैं। उनकी खराब हालत और ऊंचाई समस्याओं को और भी बढ़ा देती हैं।

मौसम भी बहुत खराब रहता है। इसके कारण साल भर व्यापार भी नहीं हो सकते। खराब मौसम के कारण मई महीने से नवंबर महीने के बीच ही उन रास्तों से व्यापार हो सकते हैं। भारत की तरह व्यापार के लिए बहुत ज्यादा शुल्क अदा करना पड़ता है और गाड़ियों को चलाने के लिए परमिट भी एक ही सप्ताह के लिए मिलता है। प्रत्येक सप्ताह उस परमिट का नवीकरण कराया जाता है।

जहां तक इन्फ्रास्ट्रक्चर की बात है, तो चीन के इलाके में यह ज्यादा विकसित है। रिनकिनजिंग से आगे सड़कें बहुत अच्छी बनी हुई हैं। लेकिन भारत के इलाके में सड़कों का बहुत ही बुरा हाल है। लेकिन भारत की ओर से इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है और उम्मीद की जाती है कि उसके बाद दोनों देशों के व्यापार में काफी वृद्धि होगी। (संवाद)