समाजवादी पार्टी के लिए इन चुनावों के नतीजे खासतैार से मायने रखते हैं। इसका एक कारण यह है कि 2012 के विधानसभा आम चुनाव में इन सीटों से उसके उम्मीदवारों की ही जीत हुई थी। उसके ही विधायकों की मौत के कारण ये सीटें खाली हुई हैं।

इसलिए समाजवादी पार्टी पर जबर्दस्त दबाव है कि वह इन तीनों सीटों पर न केवल चुनाव जीते, बल्कि जीत का फासला भी बहुत ज्यादा हो, क्योंकि तभी यह संदेश प्रदेश भर में जाएगा कि अखिलेश यादव की सरकार से प्रदेश की जनता बहुत खुश है। इस तरह का संदेश जाने से आगामी विधानसभा चुनाव के लिए प्रदेश में समाजवादी पार्टी के प्रति अच्छा माहौल बनेगा।

आमतौर पर विधानसभा के उपचुनावों के नतीजे सत्तारूढ़ दलों के पक्ष में ही जाया करते हैं। यदि सत्तारूढ़ पार्टी चुनाव हार भी जाती है, तो कहा जाता है कि उस हार का सरकार के काम से कुछ लेना देना नहीं है।

मुलायम सिंह यादव अपने बेटे अखिलेश यादव की सरकार के कामकाज से बहुत खुश नहीं हैं। अनेक मंत्रियों के कामकाज के खिलाफ वे अपना असंतोष सार्वजनिक करते रहे हैं। वे इन चुनावों को बहुत ही गंभीरता से ले रहे हैं। वे अभी से चेतावनी दे रहे हैं कि यदि इन उपचुनावों के नतीजे अच्छे नहीं हुए, तो उनलोगों की खैर नहीं, जिनकी जिम्मेदारी इन उपचुनावों में पार्टी को जीत दिलाने की है।

पार्टी के अंदर इस बात को लेकर एक राय है कि यदि इन उपचुनावों में पार्टी की जीत होती है, तो इससे पार्टी कार्यकत्र्ताओं के हौसले काफी बुलंद होंगे और उनमें नये जोश का संचार होगा।

बहुजन समाज पार्टी इन उपचुनावों मंे हिस्सा नहीं ले रही है। उसके कोई उम्मीदवार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। लेकिन पार्टी सुप्रीमों मायावती ने अपनी पार्टी के कार्यकत्र्ताओं को कह रखा है कि वे सबसे ज्यादा मजबूत निर्दलीय उम्मीदवारों के लिए काम करें और समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों को हराने की हर संभव कोशिश करें।

ए आई एम आई एम के अध्यक्ष असादुद्दीन औवैसी के लिए भी ये उपचुनावों काफी मायने रखते हैं। वे उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव में दमखम के साथ भाग लेने की बात कर रहे हैं। वे यहां कितने पानी में है, इसका पता इसी उपचुनाव में लग जाएगा। वे बिकापुर से अपनी पार्टी का उम्मीदवार खड़ा कर रहे हैं। उनकी सभाओं में बहुत भीड़ उमड़ रही है और वे दलित मुस्लिम एकता की बात कर रहे हैं। बिकापुर से वे एक दलित उम्मीदवार को खड़ा कर चुके हैं। अब देखना है कि ओवैसी की अपील का लोगों पर क्या असर पड़ता है।

बिकापुर संवेदनशील फैजाबाद क्षेत्र में पड़ता है। वहां ओवैसी ने मुलायम सिंह यादव के खिलाफ अभियान छेड़ रखा था। वे चुनाव सभाओं के दौरान कह रहे थे कि 2017 के चुनाव मुलायम और उनके बेटे अखिलेश यादव की राजनीति समाप्त कर देंगे।

यह देखना भी दिलचस्प है कि क्या आवैसी मायावती के दलित आधार में सेंधमारी कर पाए हैं। यदि ऐसा होता है, तो इन उपचुनावों में मायावती का भाग नहीं लेना उनके लिए आत्मघाती साबित हो सकता है। (संवाद)