दोनों में एक काॅमन लिंक है अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद। वह भारतीय जनता पार्टी की छात्र शाखा है। हैदराबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय में जब अम्बेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने याकूब मेमन और अफजल गुरू के समर्थन में कार्यक्रम किया था, तो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने ही उसका विरोध किया था। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में जब डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स यूनियन ने अफजल गुरू की स्मृति में एक कार्यक्रम किया, तो वहां भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रों के साथ ही उनका संघर्ष हुआ।
दोनों में एक समानता यह भी है कि दोनों मामले में कुछ केन्द्रीय मंत्रियों ने बहुत तेजी से प्रतिक्रिया दिखाई। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में कुछ मूर्ख वामपंथी छात्रों के कारण भाजपा के मंत्रियों और छात्रों को अपनी देशभक्ति दिखाने का मौका मिला।
हालांकि जेएनयू के छात्र संघ के नेताओं ने कुछ वामपंथी छात्रों द्वारा लगाए गए अलगाववादी नारों का विरोध किया, लेकिन उसके बावजूद भारतीय जनता पार्टी को यह कहने का मौका मिल गया कि उनके विरोधी देश के भी विरोधी हैं। अभी कुछ दिन पहले तक भाजपा के लोग बीफ खाने वालों को देश का विरोधी बता रहे थे।
हैदराबाद में भारतीय जनता पार्टी और अखिल भारतीय विद्याथी परिषद को अपने पांव पीछे खींचने पड़े, क्योंकि रोहित वेमुला ने आत्महत्या कर ली थी। लेकिन अपने पांव पीछे खींचते खींचते भी भाजपा के महासचिव मुरलीधर राव ने कहा कि वेमुला आतंकवादियों का समर्थक था।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में संघ का कैंप जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की छवि को खराब करने की हर संभव कोशिश कर रहा है। भगवा ब्रिगेड के लिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की वामपंथी छवि हमेशा से गले ही हड्डी बनी रही है।
लेकिन इस समय भारतीय जनता पार्टी एक बहुत ही पतली बर्फ के ऊपर अपनी गाड़ी चला रही है और राष्ट्रविरोधी नामक एक शब्द को लेकर काफी हो हल्ला मचा रही है। जो लोग भारतीय जनता पार्टी के दृष्टिकोण से सहमत नहीं हैं, वे उसके राष्ट्रवाद को गंभीरता से नहीं लेते।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पुलिस का हस्तक्षेप उचित नहीं। यदि आपत्तिजनक नारे लगाए भी गए, तो उसके लिए जिम्मेदारी तय करने और सजा देने का जिम्मा विश्वविद्यालय प्रशासन के ऊपर छोड़ देना चाहिए था। लेकिन हैदराबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालयों में तो केन्द्रीय मंत्री अपना भाजपाई बिल्ला लगाकर मैदान मे कूद पड़े।
इसका कारण यह है कि भारतीय जनता पार्टी अपनी काफी चमक खो चुकी है। दिल्ली और बिहार विधानसभा के चुनावों में उसे मिली करारी ने उसे तिलमिला दिया है और वे अपनी स्थिति बेहतर करने की कोशश कर रही है। किस तरह से वे हताश हैं, इसका पता इसी से लगता है कि एक छात्र के ऊपर देशद्रोह का चार्ज लगा दिया गया।
अपनी जाति के लिए आरक्षण मांगने वाले एक आंदोलन का नेतृत्व करने वाले हार्दिक पटेल के ऊपर भी देशद्रोह का मुकदमा कर दिया गया है। इससे यह पता चलता है कि मोदी सरकार युवकों को राजनीति में आने देने से रोकने की हर संभव कोशिश कर रही है।
भारत के खिलाफ युद्ध करने के लिए माओवादियों को तो निशाना बनाया जा सकता है, क्योंकि वे व्यवस्था के खिलाफ एक हिंसक लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने अपनी सेना का गठन कर रखा है और देश के कुछ हिस्सों मंे वे अपनी समानांतर सरकार भी चला रहे हैं।
उसी तरह कश्मीर के अलगाववादियों को भी निशाना बनाया जा सकता है। लेकिन जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में शिक्षा पा रहे किशोरों और युवकों को निशाना बनाना गलत है। (संवाद)
भाजपा ने वामपंथी छात्रों पर निशाना साधा
जेएनयू संकट से केन्द्र के पक्षपात की बू आती है
अमूल्य गांगुली - 2016-02-18 16:34
पिछले महीने हैदराबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय और इस समय जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में जो हो रहा है, उसमें काफी समानता देखी जा सकती है।