शायद पहले के दोनों बजट पेश करने के लिए वित्तमंत्री के पास पर्याप्त समय नहीं थे और शायद अनुभव की भी कमी थी, लेकिन 2016 के बजट के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता। तो सवाल उठता है कि मोदी सरकार का पहला असली बजट कैसा होगा? उस बजट से लोगों की क्या उम्मीदें हैं?

नरेन्द्र मोदी का प्रधानमंत्री बनने के पहले का नारा था, ’’सबका साथ, सबका विकास’’। इस नारे को जमीन पर उतारने के लिए यह जरूरी है कि उन लोगों पर ध्यान दिया जाय, जो विकास की रेस में पिछड़ गए हैं और पिछड़ रहे हैं। सबके लिए एक तरह की नीतियां अपनाकर आप सबका विकास सुनिश्चित नहीं कर सकते। और यही कारण है कि देश के लोगों की उम्मीद इस बजट से यही होगी कि जो तबका पिछड़ गया है, उसके लिए बजट में विशेष प्रावधान हो। और वह तबका निश्चय रूप से देश का किसान है। पिछले 25 साल की आर्थिक नीतियों में यदि किसी सेक्टर की सबसे ज्यादा उपेक्षा की गई है, तो वह कृषि सेक्टर ही है। इसके कारण किसानों की हालत बहुत खराब है। खेती एक घाटे का व्यवसाय हो गया है और किसानों की आत्महत्याएं आये दिन मीडिया की सुर्खियां बनी रहती हैं। अब तक के बजट में किसानों के लिए कोई खास प्रावधान नहीं किए गए हैं। फसल बीमा और मौसम के कारण फसल की तबाही पर मुआवजा देने के जो प्रावधान किए गए वे नाकाफी साबित हो रहे हैं। पश्चिम प्रदेशों के किसानों में आत्महत्या की प्रवृति लगातार जोर पकड़ रही है और पूर्वी क्षेत्र के खेत अभी भी हरित क्रांति का इंतजार कर रहे हैं।

देश के पूर्वी हिस्से की खेती में हरित क्रांति लाने का संकल्प प्रधानमंत्री अनेक बार सार्वजनिक रूप से व्यक्त करते रहे हैं। उसके लिए छिटपुट राशि बजट प्रावधानों में डाल दी जाती है, लेकिन उस क्रांति को सफल बनाने के लिए जितना बजटीय प्रावधान होना चाहिए वह हो नहीं पाता। इसलिए यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बजट में क्या होता है?

खेती ही नहीं, प्रधानमंत्री पूर्वी और पश्चिमी भारत के बीच पनपी क्षेत्रीय विषमता पर भी जबतब बोलते रहते हैं और इस विषमता को समाप्त करने के प्रति अपने संकल्प का इजहार भी करते रहते हैं। अभी जो स्थिति है, उसके कारण पूर्वी भारत में निजी निवेश ज्यादा नहीं होता और उसे संभव बनाने के लिए निजी निवेशकों को विशेष प्रोत्साह की जरूरत है। इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र को विकास का जिम्मा सौंपने की जरूरत है। उम्मीद की जा रही है कि वित्तमंत्री इस दिशा में अपने बजट में कोई गंभीर प्रयास करता दिखाई देंगे।

कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट ने केन्द्र सरकार को काफी राहत दे रखी है। इसके कारण केन्द्र सरकार का राजकोषीय घाटा अपने तय हद तक बना हुआ है और सरकार नये नये क्षेत्रों में खर्च को बढ़ावा दे सकती है। आर्थिक विकास की दर पहले से तेज हुई है, लेकिन भविष्य में इसे और तेज बनाने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में भारी पैमाने पर निवेश की जरूरत है। सरकार के पास इस समय कोष की कमी नहीं है और यह उसके लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में निवेश बढ़ाने का सही समय है।

स्टार्टअप इंडिया मोदी सरकार का एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है और उस कार्यक्रम को सफल करने के लिए केन्द्र सरकार बजट में क्या क्या प्रावधान करती है, ये देखना दिलचस्प होगा। मेक इन इंडिया को सफल बनाने के लए स्किल इंडिया को भी सफल बनाना होगा, उसके लिए की जा रही अबतक कोशिशें अपर्याप्त हैं। उन कोशिशों को बल देने के लिए बजट में अनेक प्रावधान करने होंगे और वे प्रावधान क्या होंगे, इस पर सबकी नजर लगी हुई है।

भारत विदेशी निवेश आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सारा जोर भारत को विश्व की मैन्युफैक्चर भूमि बनाने की है। उसमें छिटपुट सफलता मिलने की भी खबरें आ रही हैं, लेकिन अभी भी उन बड़े निवेशों का इंतजार है, जिनके द्वारा मोदी सरकार के कार्यकाल के 5 सालों मंे 5 करोड़ लोगों को रोजगार मिल सके।

भारत के भुगतान संतुलन में भी असंतुलन के चिन्ह दिखाई पड़ रहे हैं। यह सच है कि कच्चा तेल सस्ता हुआ है और हमारा कच्चे तेल का आयात बिल कम हुआ है, लेकिन निर्यात में लगातार कमी आ रही है। इसका असली कारण तो दुनिया भर में चल रही मंदी है, लेकिन रुपये की गिरती विनिमय दर के माहौल में निर्यात की यह बुरी स्थिति चिंता का कारण है। बजट में निर्यातकों के लिए विशेष प्रोत्साहन की हम उम्मीद कर सकते हैं।

कच्चे तेल की गिरी कीमतें हमें इसका बड़ा भंडार स्थापित करने का अवसर दे रही हैं। लेकिन भंडार तैयार करने के लिए हमारे पास पर्याप्त साधन नहीं है। इसके लिए हमें वे साधन तैयार करने होंगे। क्या वित्त मंत्री से यह उम्मीद की जाती है कि उस साधनों के निर्माण में भी बजट की एक राशि का इस्तेमाल करेंगे।

जहां तक आयकर देने वाले मध्यवर्ग की बात है, तो उन्हें हर बजट से उम्मीद रहती है कि टैक्स में उसे राहत मिले। सरकार पेट्रोल और डीजल पर टैक्स बढ़ाकर अपने राजस्व को बढ़ा रही है, तो उससे उम्मीद की जाती है कि आयकर के मामले में करदातओं को छूट दें। मेक इन इंडिया को सफल बनाने के काॅर्पोरेट टैक्स में छूट देने की बात वित्त मंत्री पहले भी कर चुके हैं और पूरी उम्मीद है कि काॅर्पोरेट टैक्स में राहत देंगे। और यदि वे वैसा करते हैं कि व्यक्तिगत आयकर दाताओं को भी कुछ सहूलियत देने से अपने आपको रोक नहीं पाएंगे।

रक्षा क्षेत्र के बजट को भी इस बार बढ़ाए जाने की उम्मीद है, क्योंकि पिछले कई सालों से रक्षा खरीद का काम सुस्त पड़ा हुआ है। इनके अतिरिक्त यह भी उम्मीद की जा रही है कि सरकार की ओर से ऐसे प्रावधान भी बजट में किए जा सकते हैं, जो लोगों को नागवार गुजरे। (संवाद)