इस समय प्रदेश में भयंकर जलसंकट चल रहा है। किसान सूखे का सामना कर रहे हैं। सूखे का सामना कर रहे किसानों को राहत देने का काम सरकार करती है, लेकिन राहत का काम सही तरीके से नहीं चल रहा है। इसके कारण किसानों में भारी असंतोष पैदा हो रहा है।
ऐसी हालत में बजट सत्र में सरकार के सामने विपक्ष द्वारा कठिन चुनौती पेश की जा रही है, लेकिन पिछले मैहर विधानसभा के उपचुनाव में जीत हासिल कर सत्तारूढ़ भाजपा बढ़े हौसले के साथ उन चुनौतियों का सामना कर रही है।
विपक्ष सरकार के ऊपर जल संकट के मसले पर हमला करने वाली है और सूखे की समस्या से ग्रस्त किसानों को राहत में दिखाई जा रही सुस्ती भी सरकार को मुश्किल में डालने वाला है।
कांग्रेस विधायक महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा ने मीडिया को बताया कि उनकी पार्टी विधानसभा में पीने के पानी के बढ़ते संकट के मामले को उठाएगी। इसके अलावे वे सूखे से परेशान किसानों को राहत के मामले और नील गायों द्वारा फसलों को हो रहे नुकसान के मामले को भी उठाया जाएगा। उन्होंने बताया कि नीलगायों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और उसके कारण खेतों की बर्बादी भी ज्यादा हो रही है। इन मसलों के साथ साथ कांग्रेेेेेेस कानून व्यवस्था की बिगड़ी स्थिति और भ्रष्टाचार को भी उठाएगी।
उन्होंने कहा कि भारत में सबसे ज्यादा बलात्कार की घटनाएं मध्यप्रदेश मंे ही हो रही हैं और ऐसा कोई महकमा नहीं है, जहां बिना रिश्वत के काम हो सके।
विधानसभा के सूचना पदाधिकारी के अनुसार 6721 नोटिस प्राप्त हुए हैं। काॅलिंग अटेंशन मोशन के 94 नोटिस भी प्राप्त हुए हैं। एक एडजाॅर्नमेंट मोशन का नोटिस भी है। जीरो आवर के लिए 26 नोटिस भी प्राप्त हुए हैं।
लेकिन सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती प्रदेश की खराब वित्तीय स्थिति है।
केन्द्र सरकार से पहले जैसा फंड अब नहीं मिल पा रहा है। इसके कारण अब राज्य सरकार को ज्यादा राजस्व उगाही की कोशिश करनी होगी और उसके लिए तरीके ढूंढ़ने पड़ेंगे। 2018 में विधानसभा के चुनाव भी होने हैं।
पिछले साल अक्टूबर महीने में वार्षिक बजट में प्रदेश सरकार ने 15 फीसदी की कटौती कर दी थी, ताकि किसानों को सहायता पहुंचायी जा सके। पर उस कटौती के कारण विकास कार्यो को नुकसान पहुंच रहा है। इसका असर बहुत ज्यादा हो रहा है और इसके कारण सामाजिक सेक्टर को भारी नुकसान पहुंच रहा है। सच कहा जाय, तो वर्तमान वित्तीय वर्ष मंे सालान बजट में 50 फीसदी तक कटौती हो चुकी है।
केन्द्र से राज्य को मिलने वाले अनुदान में भी भारी कमी आई है। वित्त विभाग के एक सर्कुलर के अनुसार केन्द्र से मिलने वाली सहायता राशि में 30 फीसदी की कटौती हो गई है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में आई कमी के कारण राजस्व उगाही में भी कमी आ गई है।
कमजोर मानसून के कारण प्रदेश के एक बड़े हिस्से में खरीफ की फसल प्रभावित हुई है। यही कारण है कि किसानों को राहत पहुंचाने के लिए अतिरिक्त सहायता की जरूरत है।
विकास संवाद के सचिन जैन ने इस संवाददाता को बताया कि चालू वित्त्ीय वर्ष में सोशल सेक्टर के खर्च में 54 फीसदी की कटौती हो गई है। इसके कारण सर्व शिक्षा अभियान, स्वास्थ्य, मनरेगा और अन्य अनेक कार्यक्रमों पर बहुत ही खराब प्रभाव पड़ा है। (संवाद)
मध्य प्रदेश विधानसभा में जलसंकट
सामाजिक सेक्टर में कटौती से प्रदेश को झटका
एल एस हरदेनिया - 2016-02-27 10:25
भोपालः विधानसभा का सत्र 23 फरवरी से शुरु हुआ। इस बात को लेकर शंका व्यक्त की जा रही है कि क्या इस सत्र में कुछ काम भी हो पाएगा या यह भी बेकार जाएगा।