बब्बर शेर वाले मजाक का उत्तर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ’’मेक इन इंडिया’’ एक महत्वाकांक्षी योजना है और इसका उद्देश्य भारत को बेहतर बनाना है। यदि यह योजना सफल नहीं होती है, तो इस पर विचार किया जा सकता है कि यह क्यों सफल नहीं हो रही है, लेकिन इसका मजाक उड़ाना गलत है और इस तरह का संदेश दुनिया भर में देना गलत है कि हम भीख का कटोरा लेकर दुनिया भर में घूम घूम कर भीख मांग रहे हैं।

नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण में नेहरू, इन्दिरा और राजीव गांधी के संसद में दिए गए बयानों को उद्धृत करते हुए राहुल गांधी के ऊपर स्कोर करना चाहा। ऐसा कर वे विपक्ष को यह बताने की कोशिश कर रहे थे कि उन्हें सरकार के साथ सहयोग करना चाहिए।

राहुल इस बार भाषण करते समय आत्मविश्वास से भरे हुए थे। उनकी आक्रामकता भी देखने लायक थी। सत्तापक्ष की ओर से राहुल के भाषणों के दौरान अनेक बार बाधाएं खड़ी की गईं, लेकिन वे लगातार शांत रहे। भाजपा के विरोध के बावजूद वे उत्तेजित नहीं हुए और अपने भाषण को बहुत ही सहजता के साथ जारी रखा। उसके पहले भी उन्होंने अनेक बार लोकसभा में भाषण किया है, लेकिन इस बार का उनका भाषण बिल्कुल ही अलग था। वे मजाकिया अंदाज में बहुत ही गंभीर बातों को कह रहे थे। उन्होंने कहा कि जब वे महात्मा गांधी नरेगा के बारे में बजट में सुन रहे थे, तो उन्हें लगा कि चिदंबरम का भाषण हो रहा है। गौरतलब हो कि पी चिदंबरम यूपीए सरकार में वित्त मंत्री थे।

राहुल गांधी ने कच्चे तेल की कीमत बताने में गलती कर दी। उन्होंने कहा कि कच्चे तेल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 135 रुपये प्रति बैरल से घटकर 35 रुपये प्रति बैरल हो गया है। जल्द ही उन्हें गलती का अहसास हो गया और उन्होंने उस गलती को दुरुस्त करते हुए रुपये की जगह डाॅलर का इस्तेमाल किया। लेकिन साथ साथ उन्होंने बहुत ही विनम्रता से स्वीकार किया कि वे गलती करते हैं, लोगों की सुनते हैं और अपनी गलती सुधार भी लेते हैं। वे आरएसएस के नहीं हैं कि अपने को सर्वज्ञानी समझें।

राहुल गांधी ने विदेशों से काले धन को भारत लाकर प्रत्येक लोगों को 15 लाख रुपये देने के वायदों की याद दिलाई और उसके बदले में काले धन को सफेद करने की केन्द्र सरकार के नये फैसले का मजाक उड़ाया। उन्होंने दाल की बढ़ती कीमतों पर भी मोदी सरकार के खिलाफ सवाल दागे। उन्होंने मोदी सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि वह न तो जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के लोगों को दबा सकती है और न ही देश के गरीब लोगों को।

राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री द्वारा नवाज शरीफ से पाकिस्तान जाकर मिलने का भी मजाक उड़ाया और कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की मां से मिलना उन्होंने जरूरी समझा, लेकिन रोहित वेमुला की मां से उन्होंने फोन पर भी बात नहीं की। (संवाद)