गौरतलब हो कि मुजफ्फरनगर दंगे में 70 से ज्यादा लोग मारे गए थे। हजारों लोग बेघर हो गए थे। महीनों में सरकारी कैंपों में रहे और मुश्किल से उन्हें अपने गांवों में दुबारा भेजा जा सके। अनेक तो अपने गांवों में फिर गए ही नहीं।

आयोग की रिपोर्ट 700 पेज की है, जिसमें 40 अधिकारियों के क्रियाकलापों की चर्चा की गई है।

आयोग ने उस दंगे के लिए सिर्फ अधिकारियों को ही जिम्मेदार ठहराया है। उस समय गृह सचिव आर एम श्रीवास्तव थे। उन्हें जिम्मेदार ठहराया गया है। मुजफ्फरनगर के तत्कालीन डीएम और एसपी को भी जिम्मेदार ठहराया गया है। अन्य अनेक अधिकारियो को भी उस दंगे के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है और कहा गया है कि उन्हों महापंचायत में शामिल लोगों के बारे में सही जानकारी अपने ऊपर के अधिकारियो को नहीं दी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि दंगे का असली कारण वहां के डीएम सुरेन्द्र सिंह और एसपी मंजिल सैनी का स्थानांतरण था, जिसके कारण हिन्दू खासकर जाट बहुत ही नाराज हो गए। सचिन और गौरव की हत्या के आरोपी 14 लोगों को थाने से जिस तरह से छोड़ा गया, उसके कारण भी जाटों में भारी गुस्से का संचार हुआ।

इन घटनाओं से जाटों में संदेश गया कि सरकार मुसलमानों का पक्ष ले रही है।

रिपोर्ट में किसी मंत्री या सत्ताधारी पार्टी के किसी अन्य नेता का उल्लेख नहीं है। यानी आयोग ने अखिलेश सरकार को पूरी तरह से दोषमुक्त घोषित कर दिया है।

आयोग ने यह भी कहा है कि भारतीय जनता पार्टी के विधायक संगीत सोम और बहुजन समाज पार्टी के विधायक राणा कादिर और रशीद सिद्दकी पर पहले से ही मुकदमा चल रहा है, इसलिए उन पर और कार्रवाई करने की अनुशंसा करने की कोई जरूरत नहीं है।

बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती ने सहाय आयोग द्वारा उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार को क्लीन चिट दिए जाने की आलोचना की है।

मायावती ने कहा है कि इस तरह के न्यायिक आयोग का गठन ही मामले को रफादफा करने के लिए किया जाता है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ दंगे के बाद बहुत ही कड़ी टिप्पणी की थी। मायावती के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने उस दंगे में उत्तर प्रदेश की संलिप्तता की चर्चा की थी।

मायावती का आरोप है कि उस दंगे के लिए भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी दोनो जिम्मेदार थी और दोनों का वह मिलाजुला खेल था। उन्होंने कहा कि इसका पता इससे भी लगता है कि समाजवादी पार्टी की सरकार ने दंगे में शामिल भाजपा नेताओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं की।

भारतीय जनता पार्टी के नेता हृदय नारायण दीक्षित ने अखिलेश यादव सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि वह इस दंगे की सीबीआई जांच की सिफारिश करे। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव की सरकार अपने मंत्रियों को बचा रही है, जो दंगे के लिए जिम्मेदार रहे हैं।

रिपोर्ट को खारिज करते हुए कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी मिली हुई हैं, इसलिए दोनों एक दूसरे को बचाने की कोशिश कर रही हैं।

मुस्लिम धार्मिक संगठनों ने भी आयोग की आलोचना करते हुए कहा है कि दोषियों को उजागर करने में यह विफल रहा है। (संवाद)