भारतीय जनता पार्टी भी डीएमडीके को अपने साथ लाना चाह रही थी। वह तो विजयकांत को गठबंधन का नेता और उनकी डीएमडीके को गठबंधन की मुख्य पार्टी बनाने के लिए भी तैयार थी। इसके लिए प्रकाश जावडेकर बहुत कोशिश कर रहे थे और विजयकांत से उनकी मुलाकातों का सिलसिला लगातार चल रहा था। उधर करूणानिधि को लग रहा था कि डीएमडीके एक ऐसा पका हुआ फल है, जो उनकी गोद में ही गिरेगा।

चुनाव पूर्व जो स्थिति है, उसे देखते हुए लग रहा है कि जयललिता दूसरी लगातार दूसरी बार प्रदेश की मुख्यमंत्री बन सकती हैं। हालांकि 93 साल के करुणानिधि जयललिता के हाथ से सत्ता छीनने के लिए पूरी तरह से किलेबंदी करने में जुटे हुए हैं। प्रदेश की छोटी छोटी पार्टियां जयललिता और करुणानिधि के खिलाफ खड़ी दिख रही हैं।

विजयकांत की डीएमडीके को प्रदेश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी माना जाता है। वह सभी 234 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है। उनके इस निर्णय से प्रदेश का चुनावी गणित बिगड़ जाने की पूरी संभावना है और कुछ ऐसे नतीजे आ सकते हैं, जिनके बारे में अभी अनुमान तक नहीं लगाया जा सकता। डीएमडीके के अलावा अनेक छोटी छोटी पार्टियां चुनावी ताल ठोंक रही हैं और बहुपक्षीय मुकाबले की स्थिति बन गई है।

लेकिन क्या डीएमडीके के नेता विजयकांत कोई तीसरा बड़ा मोर्चा बनाने की सोच रहे हैं, जिनमें डीएमके और अन्नाडीएमके के अलावा अन्य छोटी छोटी पार्टियों को शामिल करेंगे? उन्होंने यह कहते हुए अकेले जाने की घोषणा की है कि उनकी पार्टी उन्हें किंग बनाना चाहती है किंगमेकर नहीं।

विजयकांत की पत्ली प्रेमलता ने कहा कि डीएमके और अन्नाडीएमके की विरोधी समान विचारधारा वाली पार्टियां अभी भी डीएमडीके से बात कर सकती हैं। यानी पार्टी ने अभी भी अपने दरवाजे उन पार्टियों के लिए बंद नहीं किए है, जो उन्हें मुख्यमंत्री उम्मीदवार मानने के लिए तैयार हैं।

विजयकांत की अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद सबसे पहली प्रतिक्रिया अन्नाडीएमके की तरह से आई है। उसने विश्वास जाहिर किया है कि चुनाव के बाद भी उसी की सरकार रहेगी। डीएमके की ओर से निराशाभरी प्रतिक्रिया आ रही है।

डीएमडीके द्वारा अपने आपको तीसरी ताकत घोषित करने का स्वागत पीपल्स वेलफेयर फ्रंट ने किया है। यह चार पार्टियों का फ्रंट है, जिसमें सीपीआई, सीपीएम, वायको का एमडीएमके और तिरुनावलावन का वीसीके शामिल है। यह देखना दिलचस्प होगा कि पीपल्स वेलफेयर फ्रंट और डीएमडीके एक साथ आता है या नहीं।

डाॅक्टर रामदाॅस की पीएमके ने भी अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है। इसके पहले यह पार्टी हमेशा दो बड़ी पार्टियों में से एक से गठबंधन करके ही चुनाव लड़ती रही है। डाॅक्टर अम्बुमणि रामदास इसके मुख्यमंत्री उम्मीदवार हैं।

पीएमके और डीएमडीके लोकसभा चुनाव के समय भारतीय जनता पार्टी के साथ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में थी, लेकिन उसके बाद दोनों उससे अलग हो गई है। पीएमके के साथ वनियार जाति के लोग हैं, लेकिन पीएमके और डीएमडीके के नेताओं द्वारा अपने बूते बहुमत हासिल करना संभव नहीं है।

भारतीय जनता पार्टी के सभी सपने भी चकनाचूर हो गए हैं। वह स्थानीय पार्टियों के साथ मिलकर इस प्रदेश में एक ताकत बनने का सपना देख रही थी। भारतीय जनता पार्टी ने यहां जबर्दस्त सदस्यता अभियान चला रखा था और अमितशाह उसमें निजी दिलचस्पी ले रहे थे। नरेन्द्र मोदी भी यहां पार्टी का समर्थन आधार बढ़ाने के लिए सभाएं आयोजित कर रहे थे।

विजयकांत ने भाजपा के उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है, जिसमें उनसे प्रदेश मंे राजग का नेतृत्व करने के लिए कहा गया था। भारतीय जनता पार्टी डीएमडीके के नेता विजयकांत को मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में पेश करने के लिए भी तैयार थी। अब भारतीय जनता पार्टी को वहां अकेले चुनाव लड़ने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है। (संवाद)