केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने कांग्रेस आलाकमान के आदेश का पालन करने से मना कर दिया और हुआ वही, जो चांडी चाहते थे। केरल के कांग्रेस इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है।
इसके कारण कांग्रेस का तथाकथित आलाकमान अब अब पुरानी साख खो चुका है। इन्दिरा गांधी के समय से ही आलाकमान ने अपनी साख बना रखी थी और उसके अनुसार यही माना जाता था कि कांग्रेस के अंदर आलाकमान के आदेश के बिना एक पत्ता तक नहीं हिलता।
लेकिन अब समय बदल चुका है। कांग्रेस कमजोर हो चुकी है और उसके साथ कांग्रेस का आलाकमान भी कमजोर हो गया है। यह किसी अन्य राज्य के लिए सही हो या न हो, लेकिन केरल के लिए बिल्कुल सच है।
केरल में कांग्रेस गुटबाजी की शिकार रही है और यह गुटबाजी बहुत पुरानी है। आलाकमान को चाहिए था कि वह गुटबाजी समाप्त करने के लिए कुछ करती, लेकिन उसने इस समस्या को नजरअंदाज करने की नीति बना रखी थी। इसके कारण प्रदेश कांग्रेस के दोनों प्रमुख गुट लगातार मजबूत होते चले गए। एक गुट का नेतृत्व मुख्यमंत्री चांडी के पास है, तो दूसरे गुट का नेतृत्व रमेश चेनिंथाला करते हैं।
और अब तो वे गुट इतने मजबूत हो गए हैं कि वे केन्द्रीय आलाकमान तक को चुनौती देने लगे हैं।
अभी जो कुछ हुआ है, उसे लोग भूल जाएंगे, लेकिन इसके कारण कांग्रेस आलाकमान की जो प्रतिष्ठा गई है, वह कभी वापस नहीं आएगी। कांग्रेस में जो कुछ हुआ है, उससे अन्य राज्यों के कांग्रेसी सत्रप भी उत्साहित हो जाएंगे और वे भी जरूरत पड़ने पर कांग्रेस आलाकमान को आंखें दिखा सकते हैं।
जहां तक केरल की बात है, तो यहां वहीं हुआ, जो मुख्यमंत्री चांडी चाहते थे। एक को छोड़कर अपने सभी विश्वस्त समर्थकों को वे कांग्रेस का टिकट दिलाने में सफल हो गए हैं। उनका एक मात्र समर्थक जिन्हें टिकट नहीं मिल पाया, वे हैं बेन्नी बेहनन। वे त्रिक्कारा सीट से टिकट चाहते थे, लेकिन आलाकमान के इशारे पर उन्हें टिकट देने से इनकार कर दिया गया।
कहा जा रहा है कि राहुल गांधी नहीं चाहते थे कि चांडी के खासमखास केसी जोसफ को इरिकुर से टिकट दिया जाय, लेकिन राहुल गांधी की इच्छा को धता बताते हुए चांडी उन्हें टिकट दिलाने में सफल हो गए।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुधीरन चांडी के चार प्रमुख सिपहसालारों का टिकट काटना चाहते थे, लेकिन उसमें एक को छोड़कर सभी के सभी टिकट पाने में सफल हो गए।
ओमन चांडी ने यह कहकर पार्टी आलाकमान को चुप करा दिया कि यदि उनके लोगों को टिकट नहीं मिलता है, तो खुद भी चुनाव नहीं लड़ेंगे। पार्टी आलाकमान को बताया गया कि चांडी के बिना चुनाव मैदान में उतरना पार्टी के लिए आत्मघाती हो सकता हैं यही कारण है कि आलाकमान को चांडी के सामने झुकने के लिए मजबूर होना पड़ा।
इस सारे प्रकरण में पार्टी के अंदर तीखापन बहुत ही ज्यादा बढ़ गया है, जिसका असर आने वाले दिनों में भी दिखाई देगा। इस समय तो सबकुछ शांत लग रहा है, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि इसका कैसा असर चुनावी नतीजों पर पड़ता है। (संवाद)
कांग्रेस आलाकमान को होना पड़ा शर्मसार
चांडी ने जीती लड़ाई, क्या वह युद्ध जीत पाएंगे?
पी श्रीकुमारन - 2016-04-06 12:01
तिरूअनंतपुरमः एक कहावत है कि जो जैसा बोता है, वह वैसा पाता है। केरल के मामले में कांग्रेस के केन्द्रीय आलाकमान पर यह कहावत बहुत सटीक बैठती है।