पारावुर शहर को तो उस हादसे से उबरने में अभी सालों लग जाएंगे। इस हादसे के लिए अधिकारियों की लापरवाही के साथ साथ कानून तोड़ा जाना भी जिम्मेदार था।

यह हादसा प्राकृतिक नहीं था, बल्कि पूरी तरह व्यक्तियों के कारण हुआ। इसके बाद अब यह बहस चल रही है कि क्या इस तरह के उत्सवों मंे आतिशबाजी पर रोक लगा दी जानी चाहिए? इसके पक्ष में यदि कुछ लोग हैं, तो कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो इस तरह के प्रस्ताव का जबर्दस्त विरोध कर रहे हैं।

प्रतिबंध लगाने का विरोध करने वालों में मुख्यमंत्री ओमन चांडी भी शामिल हैं। उनका कहना है कि आतिशबाजी अनेक धार्मिक कर्मकांडों का हिस्सा बन चुकी है, इसलिए उस पर प्रतिबंध लगा देना गलत होगा। उनका कहना है कि आतिशबाजी के लिए नियम कायदों को सख्त किया जा सकता है और इस तरह के हादसों के घटित होने से रोका जा सकता है।

प्रतिबंध लगाने की मांग करने वालों में मालांकर आॅर्थोडाॅक्स चर्च शामिल है। उसके प्रमुख ने अपने अनुयायियों से कहा है कि चर्च के उत्सवों में वे आतिशबाजी न करें। उन्होंने सरकार से मांग की है कि वह कुछ ऐसा कदम उठाए, जिसके कारण इस तरह की घटनाएं न हों।

विस्फोटकों के मुख्य नियंत्रक द्वारा की गई शुरुआती जांच से पता चला है कि यह हादसा प्रतिबंधित रसायनों के इस्तेमाल और गैरकानूनी ढंग से बनाए गए एक विस्फोटकों के एक गोदाम के कारण हुआ। पोटैशियम क्लोराइड एक प्रतिबंधित विस्फोटक है और उसका उन विस्फोटकों मंे बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया गया था।

आतिशबाजी की जगह और दर्शकों के बीच दूरी तय करने का एक प्रावधान है। उस प्रावधान का भी उल्लंघन किया गया। दूरी को नहीं बनाए रखा गया, जिसके कारण बहुत लोग आतिशबाजी के विस्फोट की जद में आ गए।

नियम के अनुसार आतिशाबाजी की जगह और उसके दर्शकों के बीच 100 मीटर की दूरी होनी चाहिए थी, लेकिन यह दूरी वहां मिट गई थी।

एक और नियम है कि विस्फोटक जहां स्टोर करके रखे जाते हैं, उससे 50 मीटर की दूरी तक आतिशबाजी नहीं हो सकती। उस रात इस नियम का भी उल्लंघन किया गया।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी उस रात उल्लंघन किया गया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार उस समय आतिशबाजी होनी ही नहीं चाहिए थी।

कोल्लम के जिला प्रशासन ने जो आदेश जारी किए थे, उसमें भी खामी थी। पुलिस ने भी आतिशबाजी की अनुमति देकर गलती की थी। दरअसल मंदिर कमिटी के लोगों को राजनीनिज्ञों का संरक्षण प्राप्त रहता है और उनके दबाव में आकर पुलिस ने उस आतिशबाजी की अनुमति दे दी थी।
ऐसी बात नहीं है कि इस तरह के हादसों को रोकने के लिए कानून नहीं है। समस्या यह है कि उन कानूनों का पालन नहीं किया जाता है और इस तरह के हादसे घटित हो जाते हैं। (संवाद)