पश्चिम बंगाल राज्य में सत्तारूढ़ वामपंथी गठबंधन ने राज्य सरकार से मुसलमानों को नौकरियों और शिक्षा अवसरों में १० प्रतिशत आरक्षण देने के लिए कहने का फैसला किया है। गठबंधन के चेयरमैन बिमान बोस ने सोमवार को कहा कि १० प्रतिशत आरक्षण उन धार्मिक अल्पसंख्यकों को मुहैया कराया जाएगा जो सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े हुए हैं। राज्य सरकार के इस निर्णय का तृणमूल कांग्रेस ने विरोध किया है तथा कहा है कि चुनावों के मद्‌देनजर राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया है।

बिमान बोस ने कहा कि यह एक राजनीतिक फैसला है। वामपंथी दल जस्टिस रंगनाथ मिश्रा आयोग की उन सिफारिशों से सहमत हैं जिनमें कहा गया है कि धार्मिक अल्पसंख्यक, खासतौर से मुसलमान शिक्षा और विकास में पिछड़ गए हैं। हमारे फैसले का उद्देश्य उन्हें विकास के अवसर मुहैया कराना है।

लेकिन राज्य के मुख्य मंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने बाद में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उनकी सरकार किसी भी समुदाय को आरक्षण देने के लिए आर्थिक परिस्थितियों को आधार बनाएगी। उन्होंने कहा कि धार्मिक अल्पसंख्यकों के केवल वे ही परिवार दस प्रतिशत आरक्षण के दायरे में आएंगे जिनकी वार्षिक आय साढ़े चार लाख रुपए से कम है। उन्होंने कहा कि ये धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के इस अभावग्रस्त हिस्से को अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल किया जाएगा।

प्रदेश भाजपा ने इस निर्णय की निंदा करते हुए कहा है कि चुनाव के समय मुसलमानों को खुश करने के लिए राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया है। भाजपा का कहना है कि अपने डांवाडोल राजनीतिक काफिले को राज्य में बचाने के लिए यह एक बहुत घटिया राजनीतिक पैंतरेबाजी है। अल्पसंख्यकों का तुष्टिकरण कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों का हमेशा से ही चलन रहा है और हम इसकी तीखी आलोचना करते हैं।