सीपीएम के पोलित ब्यूरो के सदस्य पी विजयन खास तौर से कांग्रेस की उस रणनीति के शिकार हो गए हैं और वे एक बार फिर अपने खिलाफ ही गोल करते हुए दिखाई दे रहे हैं।

पी विजयन पूर्व मुख्यमंत्री और विधानसभा में विपक्ष के वर्तमान नेता वीएस अच्युतानंदन को लेकर काफी संवेदनशी हैं और विरोधी दलों पर बयानबाजी के साथ साथ अपनी ही पार्टी के अच्युतानंदन से लड़ते दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने एक प्रेस कान्फ्रंेस में कहा कि अलाप्पुझा के प्रदेश सम्मेलन में अच्युतानंदन के खिलाफ पार्टी द्वारा किया गया सेंसर अभी भी वैध है और उन्हें पार्टी का उम्मीदवार बनाने का मतलब यह नहीं है कि पार्टी ने उन्हें माफ कर दिया है।

पी विजयन का वह बयान कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ के लिए तो भगवान से मिला एक वरदान से कम नहीं है। अभी तक वह अपने कार्यकाल के दौरान हुई भ्रष्टाचार की घटनाओं पर पूछे जा रहे सवालों का जवाब देने में कठिनाई महसूस कर रहा था, लेकिन विजयन ने तो प्रचार का रुख ही बदल दिया है।

विजयन के उस बयान का कांग्रेस नेताओं ने खूब फायदा उठाया। इसके द्वारा उन्होंने अब सीपीएम को रक्षात्मक रुख अपनाने के लिए बाध्य कर दिया है। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सुधीरन ने कहा कि विजयन के बयान से पता चलता है कि सीपीएम के अंदर भारी संकट का दौर चल रहा है। सीपीएम के नेता पार्टी के अंदर चल रही गुटबाजी को रोकने में विफल साबित हो रहे हैं, यह आरोप लगाते हुए सुधीरन ने कहा कि पार्टी के अंदर फिरकापस्ती चल रही है।

अपने बयान पर कांग्रेस की तरफ से हो रहे हमले के बाद विजयन ने नुकसान को कम करने का अभियान छेड़ दिया। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उनके बयान को वे तोड़ मरोड़कर पेश कर रहे हैं और उन्होंने कभी भी अच्युतानंदन को पार्टी विरोधी नहीं कहा। उन्होंने मीडिया पर ही आरोप लगा दिया कि वह उनके और अच्युतानंदन के बीच मतभेद पैदा करने की कोशिश करते रहते हैं।

आप विजयन के इस हताशा भरे बयान से अच्युतानंदन के तरीके की तुलना करें। उन्होंने बहुत ही शालीनता के साथ इस मामले को संभाला।

काबिले गौर है कि विजयन का यह रिमार्क बहुत ही गलत समय पर आया है। यह बयान उस समय आया, जब अच्युतानंदन विजयन के लिए उनके विधानसभा क्षेत्र में चुनाव सभा को संबोधित करने जा रहे थे। अपनी उस सभा में अच्युतानंदन ने विजयन के उस बयान की चर्चा तक नहीं की और सभा में आए लोगों से अपील की कि वे विजयन को भारी मतों से विजयी बनाएं।

लेकिन अच्युतानंदन ने फेसबुक द्वारा विजयन के उस बयान पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की। उन्होंने कहा कि पार्टी के नेताओं को उन मसलों पर चुप ही रहना चाहिए, जिन्हें उठाने से आपसी विवाद पैदा होता हो। उन्होंने फेसबुक में डाले गए एक अन्य पोस्ट में कहा कि विजयन की सफाई के बाद अब इस मामले को बंद समझा जाना चाहिए। (संवाद)