भगवा समर्थक झुंड बनाकर श्रीनगर जाते और वहां के राष्ट्रवादी छात्रों के प्रति अपना समर्थन जाहिर करते। वे परिसर के अंदर उनके द्वारा तिरंगा फहराने का समर्थन करते। वे एनआईटी में केन्द्रीय आरक्षित पुलिस बल की स्थाई नियुक्ति की मांग करते और कहते कि एनआईटी कश्मीर में तिरंगा झंडा स्थाई रूप से लहराता रहे। गौरतलब है कि स्मृति ईरानी ने एक निर्देश जारी किया है जिसके तहत देश के सभी विश्वविद्यालयों में तिरंगा झंडा अनिवार्य कर दिया गया है।

कश्मीर में इसके कारण जो तनाव होता, उसका इस्तेमाल कर भारतीय जनता पार्टी देश के अन्य इलाकों में अपनी स्थिति मजबूत करती दिखाई देती। जम्मू के हिन्दुओं पर वह अपनी पकड़ मजबूत करती। देश के उत्तरी और पश्चिमी राज्यों में वह अपना आधार बढ़ाने का ख्वाब देखती।
लेकिन पिछले दिनों एनआईटी श्रीनगर में जो घटना घटी, उस पर भाजपा की प्रतिक्रिया बिल्कुल उलटी हुई। जब भगवा हितों के स्वयंघोषित संरक्षक अनुपम खेर ने एनआईटी श्रीनगर में प्रवेश करने की कोशिश की, तो उन्हें हवाई अड्डे पर ही रोक लिया गया। यह काम वहां की भाजपा की सरकार ने ही किया। उसके बाद श्री खेर को वापस मुंबई भेज दिया गया। जिन वकीलों ने दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट परिसर में कन्हैया पर हमला किया, यदि वे भी आज एनआईटी श्रीनगर जाने की कोशिश करें, तो उन्हें भी वही नतीजा भोगना पड़ेगा, जो अनुपम खेर को भोगना पड़ा।

कश्मीर में भाजपा सत्ता में है और सत्ता में होने के कारण वह कुछ जिम्मेदारियों से बंधी हुई है। जिम्मेदारियों के बोझ ने उसे कुछ जिम्मेदार बना दिया है और उसे अहसास हो रहा है कि जो वह चाहेगी वह नहीं कर पाएगी। उसे कश्मीर की घटना और उस पर अपनी प्रतिक्रिया को देखते हुए सबक लेना चाहिए कि उग्र हिन्दुत्व की अपनी विचारधारा से वह बाज आए और एक सेक्युलर देश में सेक्युलर मूल्यों की उपयोगिता को समझे। अपने सभी विरोधियों को वह देशद्रोही कहना बंद करे।

भाजपा को पता है कि यदि उसने सेक्युलर मूल्यों को अपनाना शुरू किया, तो उसके उग्र हिन्दुत्ववादी समर्थक उससे नाराज होने लगेंगे और आरोप लगाएंगे कि वह भी कांग्रेस की राह पर चल रही है। लेकिन भाजपा के सामने कोई दूसरा विकल्प है ही नहीं। उसे मध्यमार्गी होना ही पड़ेगा। यदि उसे लंबे समय तक केन्द्र की सत्ता में रहना है, तो उसे अपने उग्र हिन्दुत्व से बाज आना ही होगा।

यह सबको पता है कि संघ परिवार में ऐसे अनेक लोग हैं, जो सत्ता में आने के बाद भी वास्तविकता को पचा नहीं पा रहे हैं। यही कारण है कि वे बीफ खाने के खिलाफ फतवा जारी करते हैं। वे चाहते हैं कि लोग उनके साथ भारत माता की जय का नारा लगाएं और वे यह भी चाहते हैं कि हिन्दू औरतें ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करें।

लेकिन कश्मीर ने सभी उग्र हिन्दुत्ववादियों के दिमाग को शांत कर दिया है। उनमें दमखम नहीं कि भारत माता की जय कहने और तिरंगा फहराने वाले एनआईटी के छात्रों के पक्ष में कुछ कार्रवाई कर सकें। हैदराबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू में दिखाया गया उनका पौरुष गायब हो गया है।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में जब कुछ बाहरी लोगों ने भारत विरोधी नारे लगाए थे, तो गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने जोश में आकर उस विश्वविद्यालय के छात्रों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिल्ली के पुलिस कमिश्नर बस्सी को दे दिया था। लेकिन एनआईटी श्रीनगर के मसले पर उनकी आवाज निकल ही नहीं रही है और निकलती भी है, तो वे हकलाने लगते हैं। अच्छी बात है कि कश्मीर से भारतीय जनता पार्टी के लोग कुछ सबक सीख रहे हैं।(संवाद)