टकराव कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के उच्चपदस्थ नेताओं के बीच में भी है। भारतीय जनता पार्टी ने पूरी तरह से मन बना लिया है कि अगस्ता हेलिकाॅप्टर सौदे पर वे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके बेटे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को किसी प्रकार नहीं छोड़ेंगे। वे इशरत जहां को भी मुद्दा बना रहे हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड में कांग्रेसी सरकारों को गिराने के मसले पर मोदी सरकार को संसद में घेरने में लगी हुई है।
देश के पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं। असम में तो मतदान हो चुके हैं, पर शेष राज्यों में अभी भी पूरी तरह से मतदान नहीं हो पाया है। वहां हो रहे चुनावों को देखते हुए यह उम्मीद की जा रही थी कि संसद में सत्तापक्ष और विपक्ष जरूर एक दूसरे से भिड़ेंगे। असम और केरल में इस समय कांग्रेस की सरकारें हैं। वह दोनों राज्यों में अपनी सरकारों को फिर से स्थापित करने में लगी हुई हैं। वह चाहती है कि इन दोनों में से किसी एक में तो कम से कम उसकी सरकार बन ही जाय।
दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी भी इन चुनावों मंे अपनी स्थिति हर हालत में बेहतर करना चाहती है, हालांकि उनमे से किसी में भी उसकी सरकार नहीं है। पर पिछले लोकसभा चुनाव में मिले समर्थन को वह और भी मजबूत करना चाहती है। असम में सरकार बनाने की वह एक प्रबल दावेदार है। वहां मतदान हो चुके हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल में अभी मतदान पूरी तरह समाप्त नहीं हुए हैं। वहां भारतीय जनता पार्टी ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतकर अपना पैर जमाना चाहती है। केरल में भी भाजपा को खाता खुलने की उम्मीद है। इन सबको ध्यान में रखकर वह संसद में अपने आपको मजबूती के साथ पेश कर रही है, लेकिन उसके वैसा करने के कारण संसद में कामकाज ढंग से नहीं हो पा रहा है।
अनेक मसलों पर टकराव हो रहे हैं। सबसे बड़ा मुद्दा उत्तराखंड है। वहां भारतीय जनता पार्टी अपनी सरकार बनाना चाहती है, जबकि कांग्रेस अपनी सरकार की वापसी चाहती है। गौरतलब हो कि कांग्रेस की हरीश रावत सरकार को वहां बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासल लागू कर दिया गया है। उसके बाद वहां राजनैतिक संकट चल रहा है। मामला अदालतों में भी है। हाई कोर्ट ने तो राष्ट्रपति शासन को ही समाप्त कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसके आदेश पर रोक लगा रखी है और यह मामला देश के सर्वोच्च अदालत में चल रहा है। इस बीच इसे लेकर संसद में खासका हंगामा हो रहा है।
दूसरा मसला इशरत जहां से संबंधित है। इशरत जहां मसले पर पूर्व कांग्रेसी मंत्री पी चिदंबरम पर हलफनामे में बदलाव का आरोप है। भाजपा के लोग आरोप लगा रहे हैं कि वह बदलाव कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के इशारे पर किए गए थे। कांग्रेस इस मसले पर रक्षात्मक मुद्रा में है।
पठानकोट मसले पर भी हंगामा हो रहा है। यह केन्द्र की पाकिस्तान नीति से जुडा मामला बन गया है। इस मसले पर भारतीय जनता पार्टी और उसकी सरकार रक्षात्मक मुद्रा में है। कांग्रेस का आरोप है कि पाकिस्तान नीति पर केन्द्र सरकार दिशाहीन हो गई है।
लेकिन अगस्ता हेलिकाॅप्टर की सौदेबाजी में हुए भ्रष्टाचार के मसले ने अन्य सभी मसले को अब पीछे छोड़ दिया है। इटली की एक अदालत ने उस सौदे में हुए एक भ्रष्टाचार के मुकदमे पर फैसला सुनाया है, जिसमें भारत के लोगों को घूस देने वाले को सजा सुनाई गई है। उस फैसले में श्री मती गांधी, अहमद पटेल और मनमोहन सिंह का नाम भी आया है। इसके कारण भारतीय जनता पार्टी के नेता काफी आक्रामक हो गए हैं, लेकिन उसी आक्रामकता के साथ कांग्रेस सरकार को कार्रवाई करने की चुनौती भी दे रही है। कुल मिलाकर शिकार संसद का सत्र ही हो रहा है। (संवाद)
संसद हो रही है क्षुद्र राजनीति की शिकार
एक और सत्र हो रहा है बर्बाद
कल्याणी शंकर - 2016-04-29 09:49
संसद का एक और सत्र बर्बादी की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है। इसका कारण सत्तापक्ष और कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष के बीच हो रहा टकराव है। दोनों पक्षों के पास एक दूसरे पर हमले के लिए पर्याप्त हथियार है और दोनों में से कोई एक दूसरे के साथ समझौते के लिए तैयार नहीं हैं। सरकार खुद विपक्ष को मनाने की कोई कोशिश नहीं कर रही है।