उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (महात्मा गांधी नरेगा) के कारगर क्रियान्वयन में पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि इसके लिए ग्राम सभाओं को ग्राम पंचायतों के पास विशेष परियोजनाओं को भेजना होगा और नरेगा कार्यों का सामाजिक लेखा-जोखा तैयार करना होगा। जिला कार्यक्रम समन्वयकर्ताओं और कार्यक्रम अधिकारियों को जिला और अन्तर्मध्य पंचायतों को उनके कार्य निष्पादन में सहायता करनी होगी ।
डॉ. जोशी ने कहा कि महात्मा गांधी नरेगा के ये विशेष पहलू पंचायती राज संस्थानों को खास तौर पर ग्राम पंचायतों को और ग्राम सभाओं को मजबूत और समर्थ बनाने के लिए एक अनोखा अवसर प्रदान करते हैं। इससे नई ऊर्जा से युक्त और समर्थ पंचायत इस योजना को ज्यादा सफल बनाने में शक्तिशाली उपकरण बन सकेंगे । आम तौर पर यह देखा गया है कि आवश्यक मानव क्षमता के साथ जीवंत और अधिक आकार वाले पंचायत जिन राज्यों में हैं वहां महात्मा गांधी नरेगा को बेहतर रूप से लागू किया गया है।
मंत्री महोदय ने महात्मा गांधी नरेगा के बारे में बेहतर जागरूकता उत्पन्न करने के लिए, ग्राम पंचायत के लिए आवश्यक स्टाफीकरण और बुनियादी सुविधाओं के लिए,ग्राम पंचायतों को धन के प्रत्यक्ष प्रवाह के लिए, पंचायतों की बेहतर पारदर्शिता और जिम्मेदारी के लिए और शिकायत निपटारे और निगरानी के लिए कारगर प्रणाली के लिए मुख्यमंत्रियों से कुछ सामाजिक कार्य अथवा उपाय पर विचार करने का अनुरोध किया है।
डॉ. जोशी ने आशा व्यक्त की है कि राज्यों की सकारात्मक प्रतिक्रिया और कार्यों से पंचायतों को पुनर्जीवित करने के मिशन में मदद मिलेगी और महात्मा गांधी नरेगा (आईडब्ल्यू एमपी, पेयजल, एसजीएसवाई और बीआरजीएफ जैसे संबंधित कार्यक्रम समेत) की योजना और इसके क्रियान्वयन की प्रक्रिया को मजबूती मिलेगी।#
नरेगा कोष का कम से कम 50 प्रतिशत ग्राम पंचायतें खर्च करेंगी
विशेष संवाददाता - 2010-02-08 18:38
नई दिल्ली: केन्द्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री डॉ.सी.पी. जोशी ने सभी मुख्यमंत्रियों को लिखे अपने पत्र में उन्होंने कहा कि इस अधिनियम की धारा 13 के तहत नरेगा की योजना और क्रियान्वयन के लिए जिला, अन्तर्मध्य और ग्राम स्तरों पर पंचायतें ही मुख्य प्राधिकरण हैं और नरेगा कोष का कम से कम 50 प्रतिशत हिस्सा ग्राम पंचायतों द्वारा खर्च किया जाएगा ।