इस बीच सिंहस्थ एक और ऐतिहासिक पहल का साक्षी बन गया, जब महाकुंभ के इतिहास में पहली बार सभी धर्मों के धर्माचार्य एक मंच पर आकर देश में स्वच्छता क्रांति लाने के लिए सद्भावना संकल्प लिए। यह बहुत ही अहम मामला है, जब सिंहस्थ जैसे धार्मिक आयोजन के माध्यम से सामाजिक संदेश देने का प्रयास किया गया। इस पहल से उम्मीद की जा रही है कि स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करने में बड़ी मदद मिलेगी। धर्म गुरूओं ने कहा कि शौचालय का उपयोग कर नदियों एवं पानी के अन्य स्रोतों को खुले में शौच से होने वाले प्रदूषण से मुक्ति दिलाने के लिए हमें वह हर कार्य करना चाहिए, जो हम कर सकते हैं।
ग्लोबल इंटफेथ वाॅश अलायंस (जीवा) द्वारा यूनिसेफ के तकनीकी सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में पांच धर्मों - हिन्दू, इस्लाम, सिख, ईसाई एवं जैन के वरिष्ठ धर्म गुरूओं ने भाग लिया। सद्भावना संकल्प के अवसर जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद महाराज की अगुवाई में संकल्प लिया गया। उन्होंने कहा कि धरती परएक फीसदी से भी कम पानी पीने योग्य है, इसलिए जल का संरक्षण बहुत ही जरूरी है। हर धर्म में पानी का किसी न किसी रूप में सम्मान किया जाता है। यह बहुत ही ऐतिहासिक समय है, जब यहां सभी धर्म गुरू एक साथ क्षिप्रा के तट पर जल संरक्षण और स्वच्छता के लिए इकट्ठा हुए हैं। जीवा के सह संस्थापक स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि धर्म गुरू अगर कुछ कहते हैं, तो लोगों में कुछ-कुछ होता है। शिवालय हमारे मन की शुद्धि के लिए है और शौचालय हमारे मन के मंदिर शरीर की शुद्धि के लिए है। इन दोनों को हमें साथ-साथ लेकर चलना होगा।
उल्लेखनीय है कि भारत में करीब 60 करोड़ लोग शौचालय का उपयोग नहीं करते। यह अनुमान है कि खराब स्वच्छता के कारण 20 सेकेंड में एक बच्चे की मौत होती है। मध्यप्रदेश में 67 फीसदी आबादी खुले में शौच जाती है। ग्रामीण इलाकों में यह 80 फीसदी है। पिछले साल लगभग 10 लाख लोगों ने शौचालय की सुविधा हासिल की है। मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर के चांवरपाठा विकासखंड, सीहोर जिले के बुदनी विकासखंड और संपूर्ण इंदौर जिले को खुले में शौच से मुक्त किया गया है।
आॅल इंडिया इमाम आॅर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष विख्यात सुन्नी नेता इमाम उमर इलियासी ने कहा कि स्वच्छता, पवित्रता और प्रकृति के सम्मान को सभी धर्मों ने मान्यता दी है। वे स्वच्छता के संदेश का प्रचार-प्रसार करने के लिए देश भर के इमामों को एकजुट करेंगे। शिया प्रमुख नेता डाॅ. सईद कल्बे सादिक ने कहा कि देश को स्वच्छ बनाने का संकल्प हमारे दिल में होना चाहिए। जैन मुनि आचार्य लोकेश ने कहा कि अहिंसा एवं स्वच्छता साथ-साथ दिखाई देना चाहिए। अस्वच्छता से रोजाना मासूमों की मृत्यु होती है। जीवा की महासचिव साध्वी भवती सरस्वती ने कहा कि जीवा की स्थापना सभी धर्मों के भाई-बहनों को साफ पेयजल, स्वच्छता और सफाई मिले, इसके लिए की गई है। यूनिसेफ भारत की वाॅश यूनिट की प्रमुख सू कोट्स ने कहा कि धर्म गुरू हमारे परिवार और समाज में प्रभावी होते हैं। उनका सहयोग समाज में सुरक्षित पेयजल और स्वच्छता को बढ़ावा देने में प्रेरक हो सकता है।
यूनिसेफ के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में विभिन्न धार्मिक गुरूओं के इकट्ठा होने को सामाजिक मुद्दे पर एक सकारात्मक संदेश देने में सफलता मिली है। इस दरम्यान उनलोगों ने इस बात पर भी जोर दिया कि सभी प्रमुख नदियों के अलावा अन्य छोटी नदियों और जल स्रोतों को बचाने के लिए वे समाज के साथ खड़े हैं। निश्चय ही यह पहल स्वच्छता के प्रति समाज में जागरूकता लाने में मददगार साबित होगी। (संवाद)
शिवालय और शौचालय दोनों ही जरूरी
सिंहस्थ में धर्मगुरूओं के स्वच्छता पर संदेश
राजु कुमार - 2016-05-05 11:59
मध्यप्रदेश के उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ कुंभ के बीच सामाजिक मुद्दों पर भी धर्मगुरूओं के संदेश आ रहे हैं। बेटी बचाओ का मामला या फिर बालिका शिक्षा का, पर्यावरण बचाने का मामला हो या फिर स्वच्छता के प्रति जागरूकता का, कई मामलों पर यहां आए महामंडलेश्वर और साधू-संत अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं। इस बार के सिंहस्थ में महिला अखाड़ा अपनी मान्यता के लिए संघर्षरत है, तो दूसरी ओर किन्नर अखाड़े को सरकार ने पेशवाई की अनुमति दी, यद्यपि इन्हें अभी अखाड़ा परिषद ने मान्यता नहीं दी है।