उन्होंने अपने फेसबुक संदेश में कहा था कि गांधी परिवार को देश से माफी मांगनी चाहिए क्योंकि जवाहरलाल नेहरू ने 1947 में भारत को हिन्दु तालिबानी राज्य नहीं बनने दिया था और आसाराम व रामदेव जैसे लोगों को प्रोत्साहित करने के बदले साराभाई और होमी जहांगीर भाभा जैसे लोगों को प्रोत्साहित करने की गलती की थी। इस तरह वे व्यंग्यात्मक लहजे में नेहरू की प्रशंसा कर रहे थे और उनकी आलोचना करने वालों की निंदा कर रहे थे।
श्री गंगवार ने कहा कि वह उनका निजी मत था और उसे उन्होंने अपने दोस्तों के सामने ही व्यक्त किया था। वे कहते हैं कि वह उनका व्यंग्य था, जिसे कुछ लोग पसंद कर सकते हैं और कुछ लोग नापसंद। उन्होंने कहा कि इस तरह का बयान देना उनके मत में राजनैतिक बयानबाजी नहीं है और सरकारी अनुशासन का उल्लंघन नहीं है।
लेकिन उस अधिकारी का बयान उच्च नौकरशाही को पसंद नहीं आया। उसके कारण हंगामा होने लगा। सरकार ने तेजी से निर्णय लिया और उन्हें जिला मुख्यालय से हटाकर सचिवालय में तबादला कर दिया गया।
उसके बाद प्रदेश में अभिव्यक्ति की आजादी पर सवाल खड़ा होने लगे। क्या अफसर को अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है, यह सवाल अब पूछा जा रहा है। अनेक वर्तमान और पूर्व नौकरशाह गंगवार के पक्ष में खड़े हो गए हैं। उनका कहना है कि गंगवार ने किसी नियम या विनियम का उल्लंघन नहीं किया है। उनका कहना है कि गंगवार ने अपने संदेश में न तो किसी राजनैतिक पार्टी के खिलाफ कोई टिप्पणी की है और न ही सरकार के खिलाफ कुछ कहा है।
अधिकारियों और कर्मचारियों के संगठन ने धमकी दी है कि यदि गंगवार के साथ ज्यादती की गई, तो वे सामूहिक रूप से कार्रवाई करेंगे।
एक और महत्वपूर्ण बिन्दु उठाया जा रहा है। वह यह है कि प्रदेश सरकार ने 2006 में आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने की छूट सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को दे दी थी। आरएसएस राजनैतिक गतिविधियों में लिप्त रहने वाला एक अर्धराजनैतिक संगठन है। उस आदेश के द्वारा प्रदेश सरकार ने राजनैतिक गतिविधियों में शामिल होने की इजाजत अधिकारियों को दे दी थी। यदि वैसा है, तो राज्य सरकार को गंगवार के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई करने का नैतिक हक नहीं है।
गंगवार के अलावा एक अन्य जिलाधिकारी को नोटिस जारी किया गया है। उन्होंने चुनाव जीतने पर तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता को बधाई दी थी। बधाई देने वाले जिलाधिकारी हैं शिबी चक्रवर्ती। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफाॅर्म से जयललिता को जीत की बधाई दी और उनके लगातार दो बार मुख्यमंत्री बनने को ऐतिहासिक बताया था।
चक्रवर्ती को भी उनके पद से तबादला कर दिया गया है और उनको लताड़ की लगाई गई है।
कांग्रेस गंगवार के तबादले का विरोध कर रही है और वह कह रही है कि अधिकारी राजेश राजौरिया ने भाजपा के मुख्यालय मंे पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी को संबोधित किया था। कांग्रेस नेता पूछ रहे हैं कि राजौरिया के खिलाफ कार्रवाई क्यो नहीं की जा रही है।
इस बीच प्रदेश के होशंगाबाद जिले में एक अधिवक्ता नवीन अग्रवाल और उनके भाई सुधीर अग्रवाल की क्षतविक्षत लाश पाई गई। इसके बाद भोपाल और हारदा में बड़े बड़े विरोध प्रदर्शन हुए। (संवाद)
मध्यप्रदेश की कुव्यवस्था एक बार फिर आई सामने
अफसर का मुह बंद और वकीलों की हुई हत्या
एल एस हरदेनिया - 2016-06-01 18:02
भोपालः हाल के दिनों में ऐसी दो घटनाएं हुई हैं, जिनसे मध्यप्रदेश सरकार की स्थिति खराब हो रही है। एक घटना तो जिला अधिकारी अजय गंगवार से जुड़ी हुई है, जिन्होंने अपने एक फेसबुक संदेश में जवाहरलाल नेहरू की भारत के राष्ट्र निर्माण में सराहना की थी और दूसरी घटना एक वकील और उसके भाई की हत्या की है।