सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ कितना कृतसंकल्प है, इसका पता इसीसे चलता है कि उसने वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी जैकब थाॅमस को विजिलेंस और एंटी करप्शन ब्यूरो को निदेशक बनाया है। इस काम के लिए श्री जैकब सबसे सही व्यक्ति हैं, क्योंकि उन्हें भ्रष्ट नहीं किया जा सकता।

गौरतलब हो कि श्री थाॅमस ने ही कहा था कि तब के वित्तमंत्री के एम मणि के खिलाफ भ्रष्टाचार के पर्याप्त सबूत हैं। ऐसा उन्होंने बार घूसखोरी के मामले में कहा था और उस मामले में ही मणि को अपना वित्तमंत्री पद छोड़ने के लिए बाध्य होना पड़ गया था।

ईमानदार होने के कारण चांडी सरकार के कार्यकाल में उन्हें बार बार स्थानांतरित होना पड़ता था।

विजिलेंस और एंटी करप्शन ब्यूरो के निदेशन ने पद संभालते ही भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी मुहिम शुरू कर दी है। उन्होंने खाद्य सुरक्षा के लिए दिए जाने वाले लाइसंेसों को जारी करने में की गई गड़बड़ियों की जांच भी शुरू कर दी है। उन्होंने खाद्य निदेशालय में औचक निरीक्षण किया और स्पष्ट कर दिया कि अनियमितता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कुछ मामले में एफआईआर भी दायर करवाए हैं और उनमंे बड़े बड़े पदों पर बैठे लोगों को भी लपेटा गया है। काजू विकास निगम के अध्यक्ष आर चन्द्रशेखरन पर भी मुकदमा दायर किया गया है। गौरतलब है कि श्री चन्द्रशेखरन इंटक के नेता हैं। इंटक कांग्रेस से जुड़ा एक श्रमिक संगठन है।

मुख्यमंत्री ने साफ साफ संदेश जारी कर दिया है और वह यह है कि भ्रष्टाचार किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि राजनैतिक विद्वेष के तहत किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाएगी, लेकिन जब किसी राजनेता या अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला आएगा, तो कानून अपना काम करेगा।

मुख्यमंत्री ने सचिवालय के कर्मचारियों को भी साफ साफ संदेश दिया है कि वे अपना पुराना रवैया बदलें और अपने आपको लोगों का मालिक समझने की पुरानी गलत से बाज आएं। सचिवालय में 4000 कर्मचारियों और अधिकारियों की फौज कार्यरत है। उन्हांेने सचिवालय के कर्मचारियों और अधिकारियों को सख्त हिदायत दी है कि लोगों को वे बेवजह परेशान करना बंद करें और उन्हें एक जगह से दूसरी जगह नहीं दौड़ाएं।

उन्होंने प्रशासन की व्यवस्था में विकेन्द्रीकरण के भी संकेत किए हैं। वे चाहते हैं कि केन्द्रीकृत सत्ता की जगह इसे विकेन्द्रित कर दिया जाए और सारी ताकत सचिवालय के पास ही नहीं रखी जाय। उन्होंने आदेश दिया है कि विलंब से बचा जाना चाहिए और सारे काम तेजी से होने चाहिए।

शिक्षा क्षेत्र में भारी अफरातफरी का माहौल है। यह माहौल पिछले 5 साल के दौरान यूडीएफ सरकार के कार्यकाल में बना है। उसे साफ करने का काम भी विजयन सरकार ने शुरू कर दिया है। वे केरल शिक्षा नियमावली में परिवर्तन करने जा रहे हैं, ताकि स्कूल बंद होने से बचे।

विद्यालयों को बंद करने की प्रवृति तेज हो रही है। उनके घाटे में चलने का बहाना उनके निजी प्रबंधक करते हैं और फिर उन्हें बंद कर दिया जाता है। स्कूलों की जगह को रियल इस्टेट माफिया को दे दिया जाता है। इस तरह से स्कूलों की जमीन पर माफिया काबिज हो रहे हैं। अब सरकार उन स्कूलों को खुद चलाने की जिम्मेदारी लेने जा रही है, हालांकि इसके कारण सरकारी खजाने पर अच्छा खासा बोझ पड़ेगा। (संवाद)