उसके लिए पी विजयन की सरकार ने एक पंचवर्षीय योजना बनाई है। उस इस दौरान अमल मे लाया जाएगा।

अपने चुनाव घोषणापत्र में वाम लोकतांत्रिक मोर्चा ने केरल सरकार की बीमार ईकाइयों को फिर से स्वस्थ करने की धोषणा की थी। सच कहा जाय तो घोषणाओं की प्राथमिकताओं में यह बहुत ही ऊपर थी।

पिछली ओमन चांडी की सरकार के दौरान इन सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों की घोर उपेक्षा की जा रही थी। उस सरकार की प्राथमिकता निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने की थी। इस कोशिश में उसने फायदे में चल रही कुछ सरकारी कंपनियों को घाटे में धकेल दिया था।

उद्योग मंत्री ई पी जयराजन ने विधानसभा में उन कंपनियों को फिर से फायदे में लाने के कदम उठाने की घोषणा की।

उन्होंने कहा कि इन ईकाइयों में जल्द ही पेशेवर और ताकतवर प्रबंधक नियुक्त किए जाएंगे।

राज्य सरकार ने इन कंपनियों के प्रबंध निदेशक के पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि इन कंपनियों की रुग्णता के लिए प्रबंधन का गैरपेशेवर होना, भ्रष्टाचार, भूमंडलीकरण और अन्य क्षेत्रों की ओर देखने मे कंपनियो का विफल होना है।

पिछली चांडी सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की घोर उपेक्षा कर रही थी। इसका सबसे बड़ा सबूत यह है कि फायदे मंे चलने वाली कंपनियों भी उसके दौर मे घाटे में चलने लगी।

2011 में जब अच्युतानंदन की वाम लोकतांत्रिक मोर्चा की सरकार थी, तब 18 सरकारी कंपनियां फायदे मे चल रही थी, लेकिन चांडी की सरकार के दौरान उन 18 में से 8 कंपनियां घाटे मे आ गईं।

उद्योग मंत्री ने विधानसभा में कहा कि वह लोगों को आश्वस्त करना चाहते हैं कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को मरने नहीं दिया जाएगा और सरकारी पैसे की लूट नहीं होगी।

विधानसभा में पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार 53 कंपनियां घाटे में चल रही हैं और उनका कुल् घाटा 889 करोड़ रुपये पिछले वित्तीय साल में दर्ज किए गए हैं।

केरल प्रदेश सड़क परिवहन निगम अकेले 621 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का घाटा उठा रहा है, जबकि प्रदेश नागरिक आपूर्ति निगम का घाटा 98 करोड़ 34 लाख रुपये का है।

कुछ कंपनियां फायदे में भी चल रही हैं। आगामी पांच साल के दौरान घाटे में चल रही कंपनियों को लाभ की कंपनियां बनाने के लिए समुचित उपाय किए जाएंगे। (संवाद)