कांग्रेस ने प्रशांत किशोर को अपना उत्तर प्रदेश चुनाव का रणनीतिकार बनाया है। उन्हीं की रणनीति को अपनाते हुए कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर को बनाया है, जबकि शीला दीक्षित को मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में पेश किया गया है।
जाति संतुलन को बनाए रखते हुए कांग्रेस ने पार्टी के अभियान का प्रमुख ठाकुर नेता संजय सिंह को बनाया है।
कांग्रेस ने सांप्रदायिक कार्ड भी खेला है, जिसके तहत इमरान मसूद को पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया गया है। गौरतलब है कि 2014 के लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान इमरान मसूद नरेन्द्र मोदी के खिलाफ एक भड़काऊ और आपत्तिजनक बयान दिया था, जिसके कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा था।
तीन अन्य लोगांे को भी पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया गया है। उनमें एक तो राजेश मिश्र हैं, जो पूवी उत्तर प्रदेश के हैं। राजा रामपाल को भी पार्टी का प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया है। वे ओबीसी हैं। एक दलित को भी पार्टी का प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया है।
भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी ओबीसी मतदाताओं पर जोर दे रहे हैं। मायावती दलितों पर जोर दे रही हैं। भाजपा भी दलितों को अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रही है, जबकि कांग्रेस का प्रयास ब्राह्मणों पर केन्द्रित है।
ब्राह्मण कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक हैं, लेकिन इस समय वह पार्टी से छिटक गए हैं। कांग्रेस उन्हें फिर से अपने पाले में लाना चाहती है। दलित भी कांग्रेस का कभी वोट बैंक हुआ करते थे। अब वे ज्यादातर मायावती के साथ हैं। कांग्रेस उन्हें भी अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रही है। मुस्लिम मतदाताओं को भी पार्टी फिर इसे अपना समर्थक बनाने की कोशिश कर रही हैं
उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण अभी उहापोह की स्थिति में हैं। रामजन्मभूमि मंदिर आंदोलन के समय वे कांग्रेस छोड़कर भाजपा के पाले में चले गए थे। पिछले लोकसभा चुनाव में भी वे भाजपा के साथ ही थे।
लेकिन जब से भाजपा ने केशव प्रसाद मौर्य को अपना प्रदेश अध्यक्ष बनाया है, ब्राह्मणों मे बेचैनी है। कांग्रेस इसी बेचैनी का लाभ उठाकर फिर से ब्राह्मणों में पैठ बनाना चाहती है।
मायावती के साथ ब्राह्मण विवशता में जुड़ते हैं। भाजपा के निराश होकर वे जबतब मायावती को भी समर्थन देते रहे हैं और मायावती उनका वोट पाने के लिए उन्हें भारी संख्या में अपनी पार्टी का टिकट देती रही हैं। लेकिन इस बार ब्राह्मण मायावती को भी नापसंद कर रहे हैं, क्योंकि वह आक्रामक मुस्लिम कार्ड खेल रही हैं। यही कारण है कि कांग्रेस को लगता है कि ब्राह्मण उनके साथ आ सकते हैं।
कांग्रेस की नजर गैर जाटव दलितांे पर भी है। जाटव मायावती को सपोर्ट करते हैं। इस बार भी वे उन्हें ही सपोर्ट करेंगे। कांग्रेस की नजर गैर जाटव दलित मतों पर है। यही कारण है कि एक गैर जाटव पासी को पार्टी ने अपना प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया है।
कांग्रेस द्वारा शीला दीक्षित को अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाने के बाद मायावती ने जो प्रतिक्रिया व्यक्त की है, उससे साफ लगता है कि वह कांग्रेस के इस निर्णय से नर्वस है।
मायावती ही नहीं, समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल सिंह यादव और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष केशव मौर्य ने भी शीला के मुख्यमंत्री उम्मीदवार और राज बब्बर के प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और उन दोनों का कहना है कि इससे उत्तर प्रदेश की राजनीति पर कोई असर नहीं पड़ेगा। (संवाद)
उत्तर प्रदेश में शीला दीक्षित
कांग्रेसियों ने किया स्वागत
प्रदीप कपूर - 2016-07-21 17:19
लखनऊः शीला दीक्षित को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाए जाने का कांग्रेसी नेताओं और कार्यकत्र्ताओं ने जोरदार स्वागत किया है। 17 जुलाई को लखनऊ में शीला दीक्षित के लिए एक रोड शो आयोजित किया गया था। उस शो में कांग्रेसियों की जबर्दस्त भीड़ उमड़ी। उसमें पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर भी शामिल थे।