1996 में कांग्रेस ने उन्हें अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाना चाहा था, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया, लेकिन उसके बाद हमेशा कोई न कोई पार्टी उन्हें अपने पाले में खींचने की कोशिश करती है। जब 1996 में कांग्रेस उन्हें अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाना चाह रही थी, तो उन्होने उस समय कांग्रेस के आॅफर को ठुकराते हुए मूपनार की तमिल मणिला कांग्रेस- डीएमके गठबंधन का समर्थन किया था। तब उन्होंने कहा था कि यदि जयललिता दुबारा मुख्यमंत्री बनीं, तो भगवान भी तमिलनाडु को बचा नहीं सकेगा।

उसके बाद रजनीकांत ने कभी भी किसी पार्टी के समर्थन की घोषणा नहीं की। हमेशा वे सस्पेंस बनाए रखते हैं। वे राजनीति को छोड़कर अब सिर्फ फिल्मों पर ही अपना ध्यान केन्द्रित करते रहे हैं। उनके प्रशंसकों को लगता है कि रजनीकांत अभी भी सुपरस्टार हैं और राजनीति में जाने के लिए उनके पास पर्याप्त समय है। उनके प्रशसक क्लबों की संख्या 50 हजार के आसपास है और वे भारत और विदेशों में फैले हुए हैं। ट्विटर पर उनके अनुयाइयों की संख्या बढ़कर 30 लाख से भी ज्यादा हो गई है।

फिल्मों में उनका सितारा बुलंदी पर बना हुआ है। जब भी उनकी किसी फिल्म का रीलीज होता है, सबके सारे काम पीछे छूट जाते हैं। उनकी ताजा फिल्म कबाली ने तो कमाल कर दिया। सिर्फ तमिलनाडु में ही उसने पहले ही दिन बाॅक्स आॅफिस पर साढ़े 21 करोड़ रुपये की कमाई कर डाली। दूसरे देशों मे भी कबाली का जलवा बरकरार है। उनकी लोकप्रियता सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात मलेशिया, आॅस्ट्रेलिया और जर्मनी जैसे देशों में तो है ही, जापान में भी उनके प्रशंसकों की भारी तादाद है।

आखिर इस रजनीकांत बुखार के पीछे क्या है? अभिनेता में जो गुण होने चाहिए, उनमें से कोई भी उनके पास नहीं हैं। उनका चेहरा बहुत अच्छा नहीं है। उनकी लंबाई भी औसत से कम ही है। अभिनय की विभिन्नता भी उनके पास नहीं है। उनका शरीर भी ऐसा नहीं है, जिसे देखकर कोई उनके हीमैन कह सके। लेकिन इसके बावजूद दर्शक उन्हें काफी पसंद करते हैं। उनकी सफलता को सबसे बड़ा कारण यह है कि वह फिल्मों के द्वारा समाज में अच्छे संदेश भेजते हैं और एक अच्छा काम करने वाले व्यक्ति की छवि पेश करते हैं।

रजनीकांत फेनोमेनन को समझने के लिए दक्षिण भारत के लोगों के मनस को समझना पड़ेगा। रजनीकांत अपने आपको तमिलनाडु के गरीब लोगों के साथ जोड़ते हैं। राजनैतिक पार्टियां उनके इसी गुण का दोहन करना चाहती हैं। इसलिए चुनाव के पहले वे उनके पीछे पड़ जाती हैं।

एमजीआर को लोग इसके कारण ही पसंद करते थे। इसके कारण ही एमजीआर राजनीति में सफल हो गए और वहां के मुख्यमंत्री भी बन गए। एमजीआर की अनुयाई जयललिता भी तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बन गईं। एक अन्य स्टार विजयकांत ने भी अपनी पार्टी बना ली और उनकी पार्टी को 10 फीसदी से भी ज्यादा मत मिल गए थे। एनटी रामाराव फिल्म अभिनेता थे और वे भी आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए थे। यही कारण है कि लोगों को लगने लगा कि रजनीकांत भी राजनीति में आ सकते हैं।

रजनीकांत का अपना जीवन भी कुछ कम फिल्मी नहीं रहा है। उनका मूल नाम शिवाजी राव गायकवाड़ है। वे पहले कुली का काम करते थे। उसके बाद वे बंगलूरु में एक बस के कंडक्टर बन गए। फिर 1975 में एक फिल्म में उन्हें एक छोटी सी भूमिका मिली। उसके बाद वे तेजी से आगे बढ़ते गए। 1975 की पहली फिल्म में ही उनका फिल्मी नाम रजनीकांत मिला। उसके बाद वे इसी नाम से जाने जाते हैं। (संवाद)