लेकिन पिछले 26 जुलाई की उनकी एक घोषणा ने सबको आश्चर्यचाकित कर दिया। उस दिन उन्होंने अपनी भूख हड़ताल समाप्त करने की घोषणा कर दी। इसके साथ उन्होंने कहा कि वे अब चुनाव लड़ेंगी। यदि सबकुछ योजना के मुताबिक चलता रहा, तो वे गोवा के अपने आंग्लोइंडियन दोस्त के साथ शादी करेंगी।

शर्मिला 44 साल की हैं। उन्होंने कहा कि उस कानून के खिलाफ वह अकेली लड़ाई लड़ रही थी और कोई उनका साथ देने के लिए नहीं आया। उन्होंने कहा कि उनकी लड़ाई का कोई नतीजा भी नहीं निकला।

शर्मिला ने बताया कि उनकी भूख हड़ताल की विफलता ने उनको लड़ाई का अपना तरीका बदलने की प्रेरणा दी और उन्होंने लड़ाई का अपना तरीका बदल दिया है, क्योंकि वह सफलता चाहती हैं।

उन्होंने बताया कि अपने 16 साल के संघर्ष में उन्होंने किसी प्रकार का बदलाव नहीं देखा। इस बीच वह देखती थीं कि उन्हें समय समय पर हिरासत में ले लिया जाता था। उन्हें तब पुलिस अधिकारियों द्वारा जबर्दस्ती खिलाने की कोशिश की जाती थी और उनकी नाक में लगी ट्यूब का वे इसके लिए इस्तेमाल करते थे।

शर्मिला अगले 9 अगस्त को फिर खाएंगी और इस तरह उनका 16 साल से चल रहा अनशन समाप्त हो जाएगा। इसे दुनिया का सबसे लंबा चलने वाला अनशन माना जाता है। इसके बाद वे अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में हिस्सा लेंगी। उन्हें लगता है कि उस चुनाव मंे उनकी जीत पक्की है।

शर्मिला ने 2000 में अपनी भूख हड़ताल शुरू की थी। ऐसा उन्होंने सेना के जवानों द्वारा 10 लोगों की हत्या किए जाने के बाद किया था। उनके घर के पास के बस स्टाॅप पर ही 10 लोगों को मार दिया गया था। शर्मिला को पता चला कि एक कानून ने सेना के जवानों को असीमित अधिकार दे रखे हैं, जिसके कारण वे किसी को भी पकड़ सकते हैं और किसी के घर में वे छापे मार सकते हैं। उन अधिकारों के कारण वे किसी को भी मार सकते हैं। उन्होंने उस कानून के खिलाफ अपना आंदोलन शुरू कर दिया था।

अब शर्मिला को सामान्य ढंग से खाने-पीने और रहने में 4 से 6 सप्ताह का समय लगेगा। वे पिछले 16 साल से तरल पदार्थो के सेवन से जिंदा थीं। उनकी नाक मे एक पाइप लगा दिया गया था और उन्हें उसी के द्वारा जबर्दस्ती तरल पदार्थ के रूप में प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेड दे दिया जाता था।

जब उन्होंने अपनी भूख हड़ताल समाप्त करने की घोषणा की तो सबको आश्चर्य हुआ। उनके बड़े भाई सिंहजीत को भी इसका पता नहीं था कि वह भूख हड़ताल तोड़ने जा रही हैं, जबकि पिछले 16 साल से वे लगातार अपनी बहन की देखरेख कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उनका अपना स्वास्थ्य पिछले कुछ दिनों से खराब चल रहा है, इसलिए उन्होंने इस बीच शर्मिला से कभी बात नहीं की। दूसरे लोगों से उन्हें मालूम हुआ कि उनकी बहन अब अनशन समाप्त करने जा रही है।

शर्मिला के भाई ने कहा कि जब उसने अपनी भूख हड़ताल शुरू की थी, तो वे लगातार उसे समझा रहे थे कि वह भूख हड़ताल तोड़ दे, लेकिन उसने उनकी बात नहीं मानी। वे समझाते समझाते थक गए और अ्रंत में उसकी भूख हड़ताल को स्वीकार कर लिया और वायदा किया कि उसके संघर्ष मे वे अंत तक उसका साथ देंगे।

शर्मिला द्वारा भूख हड़ताल तोड़कर चुनावी प्रक्रिया में शामिल होने की घोषणा हमारे लोकतंत्र की जीत है। उनकी भूख हड़ताल की समाप्ति मणिपुर में नया बदलाव ला सकती है और यह केन्द्र सरकार के लिए भी नई चुनौती पेश कर सकती है। (संवाद)