ममता बनर्जी की विधानसभा चुनाव में जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें बधाई दी थी। ममता बनर्जी ने भी उसका आभार मानते हुए भारतीय जनता पार्टी की असम में जीत पर भारतीय जनता पार्टी को बधाई दी थी और उसकी जीत पर प्रसन्नता जाहिर की थी।
लेकिन यह सब औपचारिकता थी, पर उसके कारण कुछ लोग इस भ्रम में पड़ गए थे कि भारतीय जनता पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के बीच कुछ आपसी समझ बन गई है। इस तरह के आरोप कांग्रेस और वाम मोर्चे की पार्टियां लगा रही थीं।
राजनैतिक पर्यवेक्षकों को भी कुछ वैसा ही लग रहा था। इसका एक कारण यह भी था कि शारदा घोटाले में सीबीआई की जांच सुस्त पड़ गई थी। गौरतलब हो कि उस घोटाले में अनेक तृणमूल नेताओं को जेल जाना पड़ा था और लग रहा था कि उसकी आंच ममता बनर्जी तक भी पहुंच सकती है। लेकिन उस घोटाले की जांच इतनी सुस्त हो गई है कि लगता है कि उसपर विराम लग चुका है।
दोनों के बीच समझ बनने का एक कारण जीएसटी पर मसले ममता बनर्जी का केन्द्र सरकार को समर्थन करना भी शामिल था। उसके अलावा ममता बनर्जी के साथ बैठकांे में प्रत्येक केन्द्रीय मंत्री का यही कहना होता था कि वे पश्चिम बंगाल का विकास करने में ममता बनर्जी सरकार को पूरा सहयोग करेंगे।
तृणमूल कांग्रेस भी आतंकवाद के खिलाफ केन्द्र के प्रयासों में पूरा सहयोग करने का वायदा कर रही थी। सबको पता है कि तृणमूल कांग्रेस को मुसलमानों का पूरा समर्थन हासिल है, उसके बावजूद आतंकवाद के मसले पर भाजपा के सुर मंे सुर मिलाना दोनों पार्टियों के बीच किसी समझ का संकेत दे रहा था।
लेकिन लगता है कि दोनों के बीच जो समझ बनी थी, वह गड़बड़ा गई है।
इसका पहला संकेत उस समय मिला जब तृणमूल कांग्रेस ने क्षेत्रीय पार्टियों की एकता मे दिलचस्पी दिखानी शुरू कर दी। कहने की जरूरत नहीं कि इस तरह की एकता भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ लक्ष्य रखते हुए की जाती है। तृणमूल कांग्रेस ने इस प्रकार की एकता बनाने के लिए तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता से बात करनी शुरू दी। नीतीश कुमार से भी संपर्क साधा गया और केजरीवाल से भी मुलाकात की गई। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसमें व्यक्तिगत रूप से दिलचस्पी ली। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के सांसदों को कहा कि वे केन्द्र सरकार के उस कदम का जबर्दस्त विरोध करें, जिससे पश्चिम बंगाल के हितों को खतरा पहुंचने का अंदेशा हो।
एक उदाहरण गैस सब्सिडी को आधार कार्ड से जोड़ने के केन्द्र सरकार के प्रयास का तृणमूल द्वारा किया गया विरोध है। जब यह मामला सामने आया, तो संसद में तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने इसका जबर्दस्त विरोध किया और कहा कि सभी को आधार कार्ड प्राप्त नहीं है, इसलिए इस नीति पर सरकार को नहीं चलना चाहिए।
यही कारण है कि जब ममता बनर्जी बहुत दिनों के अंतराल के बाद प्रधानमंत्री से दिल्ली में मिलीं, तो उनकी बैठक मात्र 15 मिनट तक ही चली। उस बैठक में ममता बनर्जी ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने केन्द्र से जो कर्ज ले रखा है कि उसकी वापसी पर फिलहाल रोक लगा दी जाय या केन्द्र सरकार दूसरे तरीके से राज्य सरकार की सहायता करे। लेकिन प्रधानमंत्री ने उस पर किसी प्रकार का वायदा नहीं किया।
ममता बनर्जी द्वारा भाजपा विरोधी मोर्चे को मजबूती करने के प्रयासों के बाद केन्द्र की सत्तारूढ़ पार्टी के साथ तृणमूल की ठन गई है। आने वाले दिनों में दोनों के बीच हो रही रस्साकसी के नजारे देखने को मिलेंगे। (संवाद)
पश्चिम बंगाल में एक नई राजनैतिक लड़ाई
भाजपा के नेतृत्व वाले केन्द्र बनाम तृणमूल
आशीष बिश्वास - 2016-08-06 01:35
कोलकाताः पश्चिम बंगाल में एक नई किस्म की लड़ाई चल रही है। यह लड़ाई भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार और पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस के बीच की लड़ाई है।