गौरतलब हो कि कश्मीर में इस समय भारी हिंसा का माहौल बना हुआ है। जारी हिंसा में 50 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं और 8 हजार से भी ज्यादा लोग घायल हैं और घायलों में आधा से ज्यादा तो सुरक्षा बलों के जवान ही हैं। यह एक महीने का आंकड़ा है। हिंसा का यह दौर आतंकवादी बुढ़ान वाणी की एक पुलिस मुठभेड़ में मौत के बाद शुरू हुई थी। उसके बाद हिंसक प्रदर्शन होने लगे और नेतृत्वहीन युवक न्याय की गुहार लगाते हुए सड़कों पर निकलने लगे।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बहुत दिनों तक कश्मीर के मसले पर चुप्पी साधे रहे पर पिछले दिनों उन्होंने अपना मुह खोल ही दिया। एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने वहां हो रही हिंसा की निंदा की। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए उनके द्वारा कहे गए कुछ जुमलों को दुहरा दिया।

मोदी ने साफ साफ कहा कि देश का प्रत्येक व्यक्ति कश्मीर को प्यार करता है। उन्होंने कहा कि देश के अन्य हिस्सों के लोग जिस प्रकार की आजादी का अहसास कर रहे हैं, वही अहसास कश्मीर के लोगों को भी करना चाहिए। लेकिन उन्होंने अपने भाषण में यह नहीं बताया कि कश्मीर समस्या का हल करने के लिए उनके पास नक्शा क्या है।

यह पहली बार नहीं है कि कश्मीर के मसले पर हमारी संसद में या हमारे देश के नेताओं द्वारा इस तरह की बातें की गई है। इसके पहले भी इस तरह की बातें की जा चुकी है, लेकिन समस्या जहां की तहां पहले की तरह ही बनी हुई है।

नरेन्द्र मोदी ने कश्मीर पर चुप्पी महबूबा मुफ्ती के दिल्ली दौरे के बाद तोड़ी। उस दौर के दौरान महबूबा ने प्रधानमंत्री से कश्मीर मसले में हस्तक्षेप करने की मांग की थी और कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री कश्मीर की अशांति को दूर करने की कोशिश करेंगे। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई थी कि अटल बिहारी ने बातचीत शुरू करने की तो बात अपने प्रधानमंत्रित्व कार्यकाल में की थी, उन्हें मोदी आगे बढ़ाएंगे। प्रधानमंत्री से महबूबा कश्मीर के जख्म को भरने की भी उम्मीद कर रही थी।

सबसे अच्छी बात यह है कि संसद में कश्मीर मसले पर सब नेताओं की आवाज एक जैसी रही। उन्होंने कश्मीर मसले पर चिंता जताई और वहां बाहरी हस्तक्षेप की एक स्वर में निंदा की। लेकिन सब लोगों ने वहां की समस्या को हल किए जाने की जरूरत को भी रेखांकित किया। लेकिन कश्मीर को अब सिर्फ भाषणों से शांत नहीं किया जा सकता। वहां कुछ करने की जरूरत है।

महबूबा मुफ्ती लगातार कह रही है कि कश्मीर को मरहम ही जरूरत है। लेकिन कश्मीर समस्या सिर्फ एक कानून व्यवस्था की समस्या नहीं है। यहां की समस्या बहुआयामी है। यह भावनात्मक है, राजनैतिक है, सांप्रदायिक और इसका अंतरराष्ट्रीय आयाम भी है। इस सब समस्याओं को ध्यान में रखकर ही इसका समाधान निकाला जा सकता है।

इस समस्या के अंतरराष्ट्रीय आयाम भी हैं। संसद में बोलते हुए गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इसके पीछे पाकिस्तान है। लेकिन पाकिस्तान कश्मीर में ही नहीं, बल्कि दुनिया के अन्य देशों में भी भारत के खिलाफ प्रचार कर रहा है। हमें उस मोर्चे पर पाकिस्तान को जवाब देना होगा।
दूसरी समस्या वहां जल्द से जल्द शांति की स्थापना की है। वहां लगातार कफ्र्यू लगाए जा रहे हैं और हिंसक प्रदर्शनों का दौर जारी है। शांति स्थापित करने के लिए जो भी किया जा सकता है, वहां किया जाना चाहिए।

तीसरा स्तर वहां के लोगें के साथ बातचीत करने का है। गृहमेंत्री ने कहा कि सरकार वहां की राजनैतिक पार्टियों के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है। लेकिन इस तरह की बातचीत की सफलता के लिए जरूरी है कि सरकार उसके पहले एक रोडमैप तैयार करे। (संवाद)