खुद कलकत्ता का नाम बदल दिया गया है। कलकत्ता को वहां के स्थानीय बंगाली लोग कोलकोता कहा करते थे। यह उनके विशेष किस्म के उच्चारण करने का नतीजा था, लेकिन अब उन्होंने कलकत्ता को कोलकाता कर दिया है और जिन्हें कलकत्ता उच्चारण में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं थी, उन्हें भी अब कोलकाता ही उच्चारण करना होता है।

उसी तरह बंबई का नाम बदलकर मुंबई कर दिया गया। जब शिवसेना के नेतृत्व में वहां शिवसेना और भाजपा गठबंधन की सरकार थी, तभी उसका नाम बदल दिया गया था। बाला साहेब ठाकरे की जिद थी कि नाम बदला जाय। उनका और अन्य अनेक लोगों का मानना था कि उस महानगर की मुख्य देवी का नाम मुम्बा देवी है। इसलिए महानगर का नाम भी मुम्बई होना चाहिए। उनका यह भी कहना है कि अंग्रेजों द्वारा गलत उच्चारण किए जाने के कारण ही इसका नाम बंबई पड़ा था।

मद्रास का नाम बदलकर भी चेन्नई कर दिया गया। कहते हैं कि एक लैंड डीड में यह नाम आया था। उसी को आधार बनाकर मद्रास का नाम बदलने की मांग की जा रही थी। उसके पहले पूरे प्रेसिडंेसी को ही मद्रास कहा जाता था, लेकिन उसका नाम बदलकर तमिलनाडु कर दिया गया। दक्षिण भारत के कुछ अन्य राज्यों के नाम भी बदले हैं।

कोचीन और त्रावणकोर नाम का एक राज्य हुआ करता था। उसका नाम बदलकर केरल कर दिया गया। मैसूर नाम का भी एक राज्य था, जिसका नाम बदलकर कर्नाटक कर दिया गया। बंबई नाम की एक प्रेसिडंेसी थी। इसी नाम का एक प्रांत भी बना, लेकिन उसका विभाजन होने के बाद उसके अंदर से जो मुख्य प्रदेश बनाया गया, उसका नाम बंबई नहीं रखा गया, बल्कि उसका नाम महाराष्ट्र कर दिया गया।

एक मध्य भारत नाम का भी राज्य हुआ करता था, लेकिन उसका नाम भी बदल दिया गया। उस राज्य को आजकल मध्यप्रदेश के नाम से जाना जाता है। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल है। कहते हैं कि राजा भोज के नाम से इसका नाम भोपाल पड़ा है। अब मांग की जा रही है कि जब राजा भोज के नाम से इसका नाम भोपाल है, तो सीधे इसका नाम भोजपाल क्यों नहीं कर दिया जाय। आश्चर्य नहीं होगा, यदि इस मांग को पूरा करते हुए इसका नाम भाजपाल कर दिया जाय।

कलकत्ता को कोलकाता 2011 में किया गया। उस समय बुद्धदेव भट्टाचार्य की वामपंथी सरकार थी। अब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चाहती हैं कि पश्चिम बंगाल का नाम भी बदल दिया। वे ऐसा क्यांे चाहती है, इसका कारण बहुत रोचक है। राज्यों की परिषद की बैठक में वह शिरकत कर रही थीं। सभी मुख्यमंत्रियों को अपनी अपनी बात रखनी थी। सभी मुख्यमंत्री अपनी अपनी बातें रख भी रहे थे, लेकिन मुख्यमंत्रियों के बुलाने का क्रम राज्य के नाम के आधार पर हो रहा था। पश्चिम बंगाल को अंग्रेजी में वेस्ट बंगाल कहा जाता है। वेस्ट का पहला अक्षर डब्ल्यू है और इसके कारण प्रदेशों के नाम की तालिका में पश्चिम बंगाल सबसे अंत में आता है। इसके कारण ममता बनर्जी को सबसे अंत में अपना भाषण करना पड़ा। तब उन्हें लगा कि उनके राज्य मे से वेस्ट शब्द हटा दिया जाना चाहिए। वैसे भी अब कोई पूर्वी और ईस्ट बंगाल तो हैं नहीं कि जिससे अंतर दिखाने के लिए वेस्ट बंगाल नाम की जरूरत पड़े, इसलिए वह चाहती हैं कि राज्य का नाम सिर्फ बंगाल हो। और यदि बंग या बांग्ला होता है, तब भी उनको कोई एतराज नहीं है।

यही कारण है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी विधानसभा से प्रस्ताव पारित कर नाम बदलने के लिए केन्द्र का दरवाजा खटखटा सकती हैं। विभाजन के बाद बंगाल पूर्वी और पश्चिमी बंगाल में बंट गया था। पूर्वी बंगाल देश के विभाजन के बाद पूर्वी पाकिस्तान बन गया था। पाकिस्तान के विभाजन के बाद पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश हो गया है। इसलिए अब पश्चिम बंगाल के साथ पश्चिम हटाने का कोई प्रभावी विरोध भी नहीं करेगा और इसके कारण देश के राज्यों के नामों की सूची में यह प्रदेश नीचे से उठकर बहुत ऊपर पहुंच जाएगा। (संवाद)