सीपीएम के सामने भी इसी तरह की समस्या आ सकती है। उसका अपना एक जनाधार है और उस आधार के पीछे एक विचारधारा है। पर सीपीएम अपनी विचारधारा को ताक पर रखकर केरल कांग्रेस (मणि) पर डोरे डालती दिखाई पड़ रही है।

सीपीएम के मुखपत्र देशाभिमानी ने अपने संपादकीय में केरल कांग्रेस (मणि) का सहयोग के लिए स्वागत किया है। गौरतलब हो कि मणि की यह कांग्रेस कुछ दिनों पहले तक कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ के साथ थी और उसने हाल ही में अपना नाता कांग्रेस और उसके नेतृत्व वाले मोर्चे से तोड़ा है। अब वह विपक्ष में कांग्रेस से अलग एक ब्लाॅक में बैठती हैं

उस संपादकीय ने वाम लोकतांत्रिक मोर्चे में हलचल पैदा कर दी है। सीपीआई ने उस पर अपनी आपत्ति जताने में किसी प्रकार की देरी नहीं की। सीपीआई के प्रदेश सचिव के राजेन्द्रन ने कहा कि सीपीएम के मुखपत्र का संपादकीय न तो सीपीआई के विचार से मेल खाता है और न ही वाम लोकतांत्रिक मोर्चे के विचार से।

राजेन्द्रन ने उस संपादकीय अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि संपादकीय लिखने वाले को उसी मुखपत्र देशाभिमानी में 1986 के बाद छपे ईएमएस नंबूदरीपाद के लेख पढ़ने चाहिए।

वे लेख नंबूदरीपाद ने एम वी राघवन को सीपीएम से निकाले जाने के तुरंत बाद लिखे थे। गौरतलब हो कि राघवन ने उस समय इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के साथ गठबंधन करने का प्रस्ताव किया था।

उस समय देशाभिमानी ने छपे अपने लेखों में ईएमएस नंबूदरीपाद ने कहा था कि मुस्लिम लीग जैसी सांप्रदायिक पार्टी के साथ सीपीएम का कोई समझौता नहीं हो सकता। राजेन्द्रन ने संपादकीय लेखक को याद दिलाया है कि नंबूदरीपाद द्वारा लिए गए उस सिद्धांतवादी निर्णय का पार्टी को फायदा भी हुआ था।

राजेन्द्रन अपनी जगह पर बिल्कुल सही हैं। मणि एक भ्रष्ट नेता हैं। एलडीएफ के नेता विपक्ष मे रहते हुए उनसे वित्तमंत्री के पद से इस्तीफे की मांग किया करते थे और उनके दबाव के कारण मणि को मंत्री का पद छोड़ना भी पड़ा था। अब जब मणि कांग्रेस से अलग हो गए हैं, तो फिर वे कैसे ईमानदार हो गए?

राजेन्द्रन ने कहा है कि सीपीएम के मुखपत्र में लिखा वह संपादकीय पार्टी की पिछली कांग्रेस से उलटा विचार रख रहा है, क्योंकि कांग्रेस में साफ शब्दों में प्रस्ताव किया गया था कि पार्टी किसी भ्रष्ट और सांप्रदायिक संगठन से किसी प्रकार का तालमेल नहीं रखेगी।

सीपीआई के प्रदेश सचिव ने कहा कि वामपंथियों को अल्पसंख्यकों तक अपनी पहुंच बनाने के लिए किसी विचैलिए की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि वाम लोकतांत्रिक मोर्चा को अभी भी इस मसले पर आपस में बातचीत करनी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी पार्टी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग या केरल कांग्रेस (मणि) जैसी किसी सांप्रदायिक पार्टी के साथ समझौता करने के खिलाफ है।

दबी जुबान में कहा जा रहा है कि सीपीआई केरल कांग्रेस(मणि) के मोर्चे में आने की संभावना से इसलिए डर रही है, क्योंकि उसे अपने पोजीशन पर खतरा दिखाई पड़ रहा है। राजेन्द्रन ने तरह की बातो ंको बकवास बताते हुए कहा कि उसकी पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनाव में 27 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए और उनमें से 18 19 पर उनकी जीत हुई, जबकि मणि की पार्टी ने मात्र 15 उम्मीदवार खड़े किए थे और उनमें से भी मात्र 6 ही जीते। इसलिए उनकी पार्टी के साथ मणि की पार्टी का कोई मुकाबला नहीं है। (संवाद)