गौरतलब है कि बाबूलाल गौर को पिछले दिनों मंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए बाध्य कर दिया गया था। हालांकि वे अपना सरनेम गौर लिखते हैं, लेकिन वे जाति से यादव हैं। एक बार गौर ने खुद पत्रकारों से कहा था कि बिहार के नेता लालू यादव ने उन्हें सलाह दी थी कि वे गौर की जगह अपने नाम के साथ यादव लिखना शुरू कर दें, लेकिन उन्होंने उनकी बात नहीं मानी।

बाबूलाल गौर मूल रूप से उत्तर प्रदेश से हैं, लेकिन उनके पिता काम के सिलसिले में भोपाल आकर बस गए थे। अपने पिता के साथ वे भी भोपाल आ गए थे।

जिस दिन से उन्हें मंत्री पद से हटाया गया है, उसी दिन से यादवों के नेता व अन्य लोग उनसे मिलने के लिए आ रहे हैं और उनके प्रति अपना समर्थन जाहिर करते हैं। वे नेता भारतीय जनता पार्टी की आलोचना करते हैं। उनका कहना है कि पार्टी ने बाबूलाल गौर का अपमान किया है।

बाबूलाल गौर भारतीय जनता पार्टी के इक्के दुक्के वरिष्ठतम नेताओं में से एक हैं। उनकी उम्र 86 साल की है और वे 1973 से लगातार विधानसभा का चुनाव लड़ते और जीतते रहे हैं। कभी भी चुनाव नहीं हारने का रिकाॅर्ड उनके पास है। वे 10 बार विधानसभा का चुनाव लड़े हैं और हमेशा विजयी रहे हैं। वे अनेक पदों पर रहे हैं। वे मध्यप्रदेश विधानसभा में विपक्ष का नेता भी रह चुके हैं। वे एक बार मुख्यमंत्री भी बने थे। मुख्यमंत्री बनने के पहले वे अनेक भाजपा सरकारों में मंत्री का पद भी शोभित कर चुके हैं।

एक मुकदमे में फंसने के बाद जब उमा भारती को मुख्यमत्री का पद छोड़ने के लिए कहा गया था, तब बाबूलाल गौर को प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया गया था। लेकिन बाद में उन्हें भी मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया और शिवराज सिंह चैहान को मुख्यमंत्री बनाया गया। उस मंत्रिपरिषद मे बाबूलाल गौर को बतौर मंत्री बनने का आॅफर दिया गया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया।

2005 से ही शिवराज सिंह चैहान मंत्रिपरिषद में बाबूलाल गौर मंत्री बने हुए थे। पर कुछ दिन पहले उनसे इस्तीफा मांगा गया। कहा गया कि पार्टी की नीति है कि 75 साल से अधिक उम्र के नेताओं को सरकार अथवा संगठन में कोई पद नहीं दिया जाय। बाबूलाल गौर 86 साल की उम्र के होने के बावजूद अपने आपको मंत्री पद के लिए फिट मान रहे थे। फिर भी पार्टी की इच्छा का आदर करते हुए उन्होंने अपना पद छोड़ दिया।

लेकिन केन्द्रीय मंत्री कलराज मिश्र भी 75 साल से ज्यादा के हो गए हैं। इसके बावजूद वे अपने पद पर बने हुए हैं। यही कारण है कि श्री गौर उनके समर्थकों को लगता है कि उनके खिलाफ अन्याय हुआ है।

दूसरी तरफ कलराज मिश्र का कहना है कि उनके पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है कि पार्टी में 75 साल से अधिक आयु के नेता को कोई पद और जिम्मेदारी नहीं देने की कोई नीति है। उन्होंने कहा कि अबतक इस तरह का कोई निर्णय पार्टी की कार्यकारिणी में नहीं लिया गया है।

भोपाल में आयोजित यादवों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए बाबूलाल गौर ने अपनी जाति के लोगों को एक होने के लिए कहा और कहा कि यदि वे अपने अधिकारों को पाना चाहते हैं, तो उनको उसी तरह एक होना होगा, जिस तरह से जैन समाज के लोग एक हैं। उन्होंने यादवों को पटेलों की एकता का भी उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि अब शांत रहने का समय नहीं है, बल्कि सुदर्शन चक्र उठाने का समय आ गया है।

स्वाल यह है कि क्या बाबूलाल गौर अपनी पार्टी के खिलाफ सुदर्शन चक्र उठाने और चलाने का मन बना चुके हैं? (संवाद)