अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि मुलायम सिंह यादव ने अपने बेटे अखिलेश यादव को प्रदेश का मुख्यमंत्री क्यों बनाया था। इसका कारण यह है कि साढ़े चार साल पहले लड़ा गया विधानसभा का वह चुनाव मुलायम को मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में प्रोजेक्ट करके ही लड़ा गया था। पर पूर्ण बहुमत आने के बाद अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बना दिया गया।
अखिलेश मुख्यमंत्री तो बनें, लेकिन उन्हें मुक्त होकर काम नहीं करने दिया गया। व्यंग्य में कहा जाता था कि उत्तर प्रदेश में साढ़े चार मुख्यमंत्री हैं। मुलायम सिंह, शिवपाल यादव, रामगोपाल यादव और आजम खान मिलकर चार मुख्यमंत्री हैं और अखिलेश यादव शेष आधे मुख्यमंत्री हैं। पिछले साढ़े चार साल के दौरान आधा मुख्यमंत्री शेष चार मुख्यमंत्रियों से लड़ता रहा। कभी अखिलेश यादव ने अपने आपको पूर्ण मुख्यमंत्री के रूप में स्थापित नहीं किया। मुलायम सिंह यादव ने पार्टी के अंदर वरिष्ठताक्रम को अभी तक स्पष्ट नहीं किया है। उसके कारण ही अनेक किस्म के संकट मंडराते रहते हैं।
मुलायम सिंह यादव को सबसे ज्यादा चिंता होनी चाहिए, क्योंकि इस बार पार्टी सत्ता में रहते हुए चुनाव जीतने की कोशिश कर रही है। लोगों में समाजवादी पार्टी को लेकर असंतोष है। पार्टी के कार्यकत्र्ता भी नेताओं में हो रहे संघर्ष को लेकर असमंजस में हैं। मायावती की बहुजन पार्टी सत्ता की सबसे प्रबल दावेदार है। वह समाजवादी पार्टी के मुस्लिम जनाधार में तेजी से संेधमारी कर रही हैं। यदि मुस्लिम दलित समीकरण बन जाता है, तो फिर मायावती को रोकना मुलायम के लिए असंभव हो जाएगा, क्योंकि मुलायम सिंह का जनाधार भी यादवों के अलावा मुसलमान ही हैं। उधर भारतीय जनता पार्टी भी पूरा जोर लगा रही है कि वह अपनी स्थिति मजबूत करे। पिछले लोकसभा चुनाव में उसने 80 मे से 73 सीटों पर अपने सहयोगी अपना दल के साथ मिलकर जीत हासिल की थी।
पिछले साढ़े चार साल से मुलायम के परिवार के अंदर चल रहा संघर्ष अब सार्वजनिक होने लगा है। खुले रूप से शिवपाल यादव ने मंत्री पद से इस्तीफे की धमकी दे डाली थी। उसके अगले दिन ही मुलायम ने सार्वजनिक रूप से अपने मुख्यमंत्री बेटे अखिलेश यादव को डांट लगानी शुरू कर दी। उन्होंने शिवपाल का पक्ष लेते हुए कहा कि उनके खिलाफ कुछ लोग साजिश कर रहे हैं। उन्होंने अखिलेश को यह भी कहा कि यदि शिवपाल ने पार्टी छोड़ दी तो समाजवादी पार्टी के आधे लोग उनके साथ चले जाएंगे। सार्वजनिक रूप से मुलायम ने यह संकेत देने की कोशिश की कि वे अपने भाई शिवपाल के साथ खड़े हैं। ऐसा करके उन्होंनंे शिवपाल द्वारा इस्तीफा देने के किसी कदम की संभावना को समाप्त कर दिया।
लेकिन जब शिवपाल सिंह यादव की पहल पर मुख्तार अंसारी के कौमी एकता दल का विलय समाजवादी पार्टी मे हो गया था, तो उस निर्णय को पलटकर मुलायम ने अपने बेटे अखिलेश यादव का साथ दिया था। मुख्तार अंसारी जेल में हैं और उनके खिलाफ अनेक मुकदमे चल रहे हैं। अखिलेश यादव की इच्छा के खिलाफ और उनको अंधेरे मंे रखते हुए कौमी एकता दल का विलय समाजवादी पार्टी में हो गया था। इस अखिलेश ने तीखी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए विलय की मध्यस्थता करने वाले एक मंत्री को अपने मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया। बाद मंे विलय की घोषणा को वापस लिया गया और उस मंत्री को भी सरकार में वापस ले लिया गया।
उस घटना के बाद चाचा और भतीजे के बीच और भी तल्खी बढ़ गई है। तल्ख होने वाले नेताओं मे समाजवादी पार्टी के महासचिव और मुलायम के मौसेरे भाई रामगोपाल यादव भी शामिल हैं। जाहिर है, समाजवादी पार्टी के लिए आने वाले दिन बहुत ही मुश्किल दिखाई दे रहे हैं। (संवाद)
समाजवादी पार्टी में दरार
अखिलेश और शिवपाल के बीच बढ़ा तकरार
कल्याणी शंकर - 2016-08-19 12:41
मुलायम सिंह यादव के परिवार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। परिवार का झगड़ा अब सार्वजनिक हो गया है। विधानसभा का चुनाव सिर पर है और सरकार के खिलाफ लोगों का असंतोष पार्टी की चुनाव संभावना को कमजोर कर रहा है। वैसी हालत में देश का सबसे बड़ा राजनैतिक परिवार में छिड़ा युद्ध कोई अच्छा संकेत नहीं है। गौरतलब हो कि मुलायम सिह यादव का परिवार देश का सबसे बड़ा राजनैतिक परिवार है, जिसके कम से कम 20 सदस्य किसी न किसी महत्वपूर्ण राजनैतिक पद पर बैठे हैं।