कांग्रेस इस विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी को फिर से जिंदा करने की उम्मीद कर रही है। उसकी उम्मीद का एक कारण यह है कि इस बार प्रियंका गांधी ने पूरे प्रदेश में प्रचार करने का मन बना लिया है। पार्टी के नेताओ का मानना है कि प्रियंका में लोगों को इन्दिरा गांधी दिखाई देती है।

कानून व्यवस्था प्रदेश मे एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनकर उभरा है। प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हुई है, लेकिन अखिलेश यादव को ऐसा नहीं लगता। उनका कहना है कि इस तरह की बातें सिर्फ उनकी पार्टी और सरकार पर हमला करने के लिए की जाती हैं। वे कहते हैं कि उनकी पार्टी को किसी से गठबंधन करने की जरूरत नहीं है और उनकी पार्टी अपने दम पर बहुमत में आ जाएगी।

2017 के विधानसभा चुनाव के केन्द्र में अखिलेश यादव ही होंगे। उनसे जब पूछा गया कि उनका चुनावी नारा क्या होगा, तो उन्होंनंे कहा कि हमारे चार साल के काम लोगों को दिखाई दे रहे हैं। अब उत्तर प्रदेश उम्मीदों का प्रदेश हो गया है और रोज नये कदम को रेखांकित करने पर हम जोर देंगे। उनका दावा है कि चुनाव घोषणा पत्र में उन्होंने जो वायदे किए थे, उससे ज्यादा काम उन्होंने करके दिखा दिया है।

जब अखिलेश से पूछा गया कि क्या वे जल्दी चुनाव के पक्ष में हैं, तो उन्होंने कहा कि उन्होंने निर्वाचन आयोग को कह दिया है कि वे समय से पहले भी चुनाव के लिए तैयार हैं, लेकिन उनका मानना है कि चुनाव समय पर ही हों, तो अच्छा रहेगा, क्योंकि इसके कारण उन्हें अपनी परियोजनाओ ंको पूरा करने का समय मिल जाएगा।

जब उनसे पूछा गया कि उनका मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी से है या भारतीय जनता पार्टी से, तो उन्होंने कहा कि इस समय तो बहुजन समाज पार्टी तीसरे स्थान पर है। भारतीय जनता पार्टी के साथ उसका दूसरा स्थान पाने के लिए संघर्ष चल रहा है।

भारतीय जनता पार्टी को भी वे कमजोर बताते हैं और कहते हैं कि यदि वह मजबूत होती, तो स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे नेता को क्यों स्वीकार करती और पूर्वी उत्तर प्रदेश में छोटी छोटी पार्टियों के साथ क्यों गठबंधन करती?

क्या कानून और व्यवस्था के मुद्दे पर मायावती को उनके ऊपर बढ़त प्राप्त है, इस सवाल के जवाब पर अखिलेश कहते हैं यह कहना गलत है कि मायावती की सरकार के समय में कानून व्यवस्था की स्थिति बेहतर थी। उस समय वह अधिकारियों को अपमानित करती थीं और उनसे मिलने के लिए अधिकारियों को अपने जूते खोलकर जाने पड़ते थे। उन्होंने कहा कि यदि उस समय कानून व्यवस्था अच्छी होती, तो मायावती की बहुजन समाज पार्टी के सिर्फ 80 विधायक ही 2012 के चुनाव में क्यों जीतकर आते?

वे कहते हैं कि जब मायावती मुख्यमंत्री थीं, तो उस समय एक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का मकान ही जला दिया गया था और यह काम बहुजन समाज पार्टी के लोगों ने ही किया था। इस तरह की घटना हो, तो फिर आप कैसे कह सकते हैं कि उस समय कानून और व्यवस्था की स्थिति अच्छी थी।

समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के जनाधार मजबूत हैं। यादव समाजवादी पार्टी के साथ पूरी तरह जुड़े हुए हैं, तो जाटव मायावती के साथ जुड़े हुए हैं। जाटवों के अलावा अन्य दलित जातियों में भी मायावती का अच्छा समर्थन है। दोनों पार्टियों ने मुसलमानों के बीच भी अच्छी पैठ बना रखी है।

दोनों पार्टियों का प्रदेश नेतृत्व भी बहुत मजबूत है। जिला और प्रखंड स्तरों पर भी उन्होंने अपने आपकों मजबूत कर रखा है। यह फायदा भारतीय जनता पार्टी के पास नहीं है।

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी सरकार विरोधी भावना का शिकार हो रही है। यही कारण है कि बहुजन समाज पार्टी की स्थिति सुधर गई है। (संवाद)