चूंकि संघ के लोगो ने देश की आजादी की लड़ाई में हिस्सा ही नहीं लिया था, इसलिए इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है कि उस समय के बारे में उनका ज्ञान बहुत कम है। लेकिन जैसा कि उनके समर्थक कहते हैं दुनिया के सबसे अधिक लोकप्रिय नेता नरेन्द्र मोदी को यह बताना चाहिए कि आजादी के बाद संघ ने किसके हाथों कष्ट उठाया।
मोदीजी भारतीय जनता पार्टी की पूर्ववर्ती जनसंघ की बात भी कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी का गठन 1980 में हुआ था। उसका पहला अवतार जनसंघ था, जिसका 1977 में जनता पार्टी में विलय हो गया था। जनसंघ की स्थापना पहले लोकसभा चुनाव के पहले की गई गई थी, लेकिन उसे लोगों ने स्वीकार नहीं किया। यदि लोगों ने उसे स्वीकार नहीं किया, तो इसका कारण था उसकी अपनी नीतियां। यानी उसके लिए वह पार्टी खुद दोषी है। उसके कारण ही जनसंघ राजनैतिक बियावान में भटक रहा था।
1952 के लोकसभा चुनाव में उसकी जीत सिर्फ तीन सीटों पर हुई थीं। 1957 में उसकी स्थिति थोड़ी सुधरी और 4 सीटों पर उसकी जीत हुई। 1962 में उसके सांसदों की संख्या बढ़कर 14 हो गई। जनसंघ का सबसे बेहतर प्रदर्शन 1967 का था, जिसमें उसे 35 सीटें प्राप्त हुई थीं। उसी साल कांग्रेस का पतन होना शुरू हो गया था। उसी साल हुए विधानसभा के चुनावों में अनेक राज्यों मंे गैर कांग्रेसी दलों की संविद सरकारें बनी थीं। कुछ संविद सरकारों में जनसंघ भी शामिल थी।
लेकिन 1971 में बांग्लादेश की मुक्ति के बाद कांग्रेस फिर मजबूत हुई और जनसंघ का फिर पतन शुरू हुआ। उसी का नतीजा था कि जनसंघ ने 1977 में अपना अस्तित्व ही समाप्त कर दिया और उसका विलय नवगठित जनता दल में हो गया। जनता पार्टी की सरकार के पतन के बाद संघियों ने भारतीय जनता पार्टी के नाम से एक अलग पार्टी बना ली।
उसके बाद तो कांग्रेस की गलतियों के कारण ही भारतीय जनता पार्टी को फायदा होता गया। भारतीय जनता पार्टी ने अपने आपको मजबूत करने के लिए कुछ खास काम नहीं किया। उसे कुछ खास करना भी नहीं पड़ा।
1977 में भी कांग्रेस को अपने कारणों से ही हारना पड़ा। यदि उसने 1975 में आपातकाल की घोषणा नहीं की होती, तो फिर 1977 मे उसे हार का मुह भी नहीं देखना पड़ता। 2014 में भी भारतीय जनता पार्टी की जीत कांग्रेस की बेवकूफियों के कारण ही हुई है। 2009 में जीत के बाद यदि कांग्रेस सुधार कार्यक्रमों को पहले की तरह जारी रखती, तो उसे 2014 में भी हार का सामना नहीं करना पड़ता। सोनिया गांधी ने आर्थिक सुधार कार्यक्रमों मंे अड़ंगा लगाया और उसका लाभ नरेन्द्र मोदी को मिल गया। इसके बावजूद भारतीय जनता पार्टी को मात्र 31 फीसदी मतों से ही संतोष करना पड़ा।
भारतीय जनता पार्टी की जीत वहीं हुई, जहां कांग्रेस थी अथवा जहां के क्षेत्रीय दल नेता कांग्रेस के साथ दिख रहे थे। ओडिसा, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल मंे भाजपा को मुह की खानी पड़ी थी।
अब नरेन्द्र मोदी कोशिश कर रहे हैं कि उनकी पार्टी की अल्पसंख्यक विरोधी छवि समाप्त हो। इसके लिए उन्होने योगी आदित्यनाथ और साक्षी महाराज जैसे लोगों पर लगाम लगाई है और अभी हाल में असामाजिक गौररक्षकों के खिलाफ भी बोला है।
यह बात कि संघ शिकार नहीं, बल्कि दोषी है, यदि मोदी को जल्द में समझ आ जाय, तो उनके लिए और उनकी पार्टी के लिए भी अच्छा होगा। (संवाद)
इतिहास की गलत समझ है प्रधानमंत्री मोदी को
संघ शिकार नहीं, बल्कि दोषी है
अमूल्य गांगुली - 2016-08-25 13:26
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के वाडनगर के जिस स्कूल से पढ़ाई की है, उसके एक शिक्षक का कहना है कि वे एक औसत छात्र थे। प्रधानमंत्री अब उसे साबित कर रहे हैं कि उनके पास इतिहास की सही जानकारी नहीं है। एक बार तो उन्होंने महात्मा मोहन दास को महात्मा मोहनलाल तक कह दिया था। अब वे कह रहे हैं कि आजादी के पहले कांग्रेस को जितने संकटों का सामना करना पड़ा था, उससे ज्यादा संकटों का सामना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को 1947 के बाद करना पड़ा।