खाद्य पदार्थों के बढ़ती कीमत को काबू रखने में असफल सरकार को चारो तरफ से आलोचना का शिकार होना पड़ रहा है।ऐसी परिस्थिति में पेट्रोलियम पदार्थो केे दाम बढाया जाना कहां तक जायज है। इस प्रश्न के उत्तर में कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी का कहना था कि अतंराष्ट्ीय तेल बाजार के भाव को देख कर अगर उचित समझा गया तो पेट्रोल,गैस और डीजल के दाम थोड़ा बढ़ाया जा सकता है। लेकिन यह आम आदमी की क्षमता को देख कर ही बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार हमेशा आम आदमी के हित केा ध्यान में रख कर ही कोई फैसला लेती रही है।

जब उनसे यह पूछा गया कि सरकार को सौ दिन में मंहगाई कम करने का वादा का क्या हुआ तो उन्होंने कहा कि बटन दबा कर मंहगाई पर काबू नहीं पाया जा सकता है। सरकार इसके लिए प्रयास कर रही है।

सूत्रों की माने तो केद्र सरकार पारिख समिति की रिपोर्ट को ले कर गंभीर है। लेकिन वह ऐसा कोई कदम नहीं उठाना नहीं चाहती कि उसे आम आदमी के साथ साथ अपने सहयोगी दलों को नाराज करना पड़े।सरकार के वरिष्ठ के्रदीय मंत्रियों ने आम सहमति बनाने के लिए त्रृणमूल कांग्रेस और एमडीके के नेताओं से बातचीत किया हैं।ममता बनर्जी और संचार मंत्री ए राजा को पेट्ोलियम मंत्री मुरली देवड़ा अतंराष्ट्ीय बाजारों में तेल की कीमत बढ़ने और तेल कंपनियों पर छा रहे संकट के बारे में बी्रफ किया है। उनसे रजामंदी मिल गयी है। अतिशीघ्र इस बारे में निर्णय ले लिया जाएगा।22 फरवरी से संसद का बजट शुरू होने वाला है, इसे देखते हुए सरकार इस पर जल्द ही फैसला ले सकती है।

ज्ञात हो कि पारिख समिति की रसोई गैस की कीमत सौ रु बढ़ाने की सिफारिश आम जनता को सबसे ज्यादा चुभी थी। सरकार इस बात को लेकर चुप्पी साधे हुई थी।सूत्रों के अनुसार कीमत सभी की बढ़ाई जाएगी चाहे गरीबों का मिट्टी का तेल की बात ही क्यों ही न हो।लेकिन यह सब आम आदमी की क्षमता को ध्यान में रख कर किया जाएगा।