लेकिन रक्षामंत्री के उस जवाब के बाद पाकिस्तान के नर्क होने या न होने की चर्चा होने लगी। यह कोई गंभीर चर्चा नहीं थी। रम्या कुछ दिन पहले पाकिस्तान गई थीं और वहां से लौटी थी। उनसे पूछा गया कि क्या आप रक्षामंत्री की इस बात से सहमत हैं कि पाकिस्तान नर्क है। उनका जवाब था कि पाकिस्तान नर्क नहीं हैं और वहां के लोग हमारे देश के लोगों की तरह ही अच्छे हैं। अब उनका यह बयान राष्ट्रद्रोह या देशद्रोह या राजद्रोह की श्रेणी में कैसे आ गया? लेकिन फिर भी एक वकील ने इस कानून के तहत रम्या पर मुकदमा कर दिया है। और वह मुकदमा स्वीकार भी हो गया है।
उस बयान से रम्या रक्षामंत्री के एक बयान का खंडन कर रही थी। दोनों दो पार्टियों मंे हैं और दो पार्टियों के नेता इस तरह एक दूसरे के बयानों का खंडन करते रहते हैं और अपनी असहमतियां जताते रहते हैं। यह लोकतांत्रिक राजनैतिक प्रकिया का हिस्सा है। इस तरह की बयानबाजी में अतिरेक भी होता है और अतिशयोक्ति भी। जैसे रक्षामंत्री जब पाकिस्तान को नर्क कह रहे थे, तो वह उनकी अतिशयोक्ति थी और जब रम्या कह रही थी कि वह नर्क नहीं है, बल्कि वहां के लोग भारत के लोगों की तरह ही हैं, तो वह एक सीधी साधी बात कहकर परिकर की अतिशयोक्ति का खंडन कर रही थीं।
यह सच है कि भारत पाकिस्तान के रिश्ते इस समय बेहद तनावपूर्ण है और यह भी सच है कि इसके लिए पाकिस्तान ही जिम्मेदार है, जो कश्मीर में अलगाववादियों को सह दे रहा है और वहां पाकिस्तान से आतंकवादियों को भी भेज रहा है। भारत पर पाकिस्तान से आकर आतंकवादी हमला करने वालों के खिलाफ पाकिस्तान कोई कार्रवाई नहीं करता। इतना ही नहीं, वह कश्मीर में मारे गए आतंकवादियों को शहीद भी कहता है। पाकिस्तान की इन हरकतों का एक आम भारतीय कभी भी पसंद नहीं कर सकता, लेकिन इसके कारण एक कांग्रेस के नेता द्वारा यह कह दिया जाना राजद्रोह नहीं हो जाता कि पाकिस्तान के लोग हमारे देश के लोगों की तरह ही हैं और वह नर्क नहीं है।
किसी देश की यात्रा के लोगों के अपनू अपने अनुभव हो सकते हैं। एक ही जगह किसी को बहुत अच्छा लग सकता है और किसी को बहुत खराब। जिसे जगह अच्छी लगेगी, वह उस अच्छा कहेगा और जिसे खराब लगेगी, वह खराब कहेगा। यह तो अपना अपना अनुभव और अपनी अपनी पसंद की बात हुई। लेकिन राजद्रोह कानून के तहत एक पर मुकदमा कर दिया जाय, तो इससे बुरी बात और कुछ नहीं हो सकती।
भारत एक लोकतांत्रिक देश है और हमारा संविधान हमें अपनी अभिव्यक्ति की आजादी देता है। इसलिए हम अपनी राय व्यक्त करें और वह किसी मंत्री की राय से उलटा हो, तो इसके लिए राजद्रोह का मुकदमा क्यों? लेकिन मुदकमा इसलिए किया जाता है, क्योंकि एक राजद्रोह कानून भारतीय दंड सहिता का हिस्सा है, जिसके तहत कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति अपने बयान से या लेख से या किसी अन्य तरीके से कानून द्वारा स्थापित सरकार के खिलाफ किसी सरकार के खिलाफ अरुचि, घृणा, अलगाव अथवा अवमानना पैदा करता है या पैदा करने की कोशिश करता है, तो उसे जेल या जुर्माने की सजा दी जा सकती है।
यह कानून 1870 में अंग्रेजों की सरकार द्वारा बनाई गई थी। सरकार अपने खिलाफ होने वाले किसी प्रकार के विद्रोह को दबाने के लिए इस तरह कानून लेकर आई थी। उसे डर था, जो सही भी साबित हो गया, कि भारत के लोग उसके खिलाफ विद्रोह कर उसे बाहर करने की कोशिश करेंगे। इसी डर से उसने वह कानून बनाया था।
लेकिन भारत के आजाद होने क बावजूद हम उस कानून को अभी तक ढो रहे हैं। जब देश आजाद हो गया और हमने एक लोकतांत्रिक सरकार को अपना लिया, तो फिर उस राजद्रोह कानून की आवश्यकता ही खत्म हो गई। न केवल उसकी आवश्यकता खत्म हुई, बल्कि वह कानून हमारे मौलिक अधिकारों के खिलाफ भी है। हमारे मौलिक अधिकार हमें अभिव्यक्ति की आजादी देते हैं और हम अपनी इस आजादी का इस्तेमाल कर अपनी सरकार के खिलाफ बोलते हैं। यदि वह सरकार गलत काम कर रही है, तो उसके खिलाफ आंदोलन किया जाता है। उसके खिलाफ लोगों में अरूचि पैदा की जाती है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग आंदोलन में शामिल हो। लेकिन 1870 के उस राजद्रोह कानून के तहत वैसा करना अपराध है।
जाहिर है, वह कानून असंवैधानिक है, क्योंकि हमारा संविधान हमें वह करने की इजाजत देता है, जिसे करने की इजाजत अंग्रेज काल का वह कानून नहीं देता। फिर भी हम उसे न केवल ढोते जा रहे हैं, बल्कि पिछले कुछ दिनों में उसका दुरुपयोग भी बढ़ गया है। उसके तहत मुकदमा किया जाता है और जिसके खिलाफ मुकदमा किया गया है, उसे देशद्रोही और राष्ट्रविरोधी तक करार दिया जाता है और कहा जाता है कि उसके खिलाफ राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चल रहा है। जबकि राजद्रोह का वह कानून राष्ट्रवादियों को तंग करने के लिए अंग्रेजों ने बनाया था।
रम्या के पहले भी अनेक लोगों पर इस कानून के तहत मुकदमे चलाए गए हैं। विद्रोही स्वभाव रखने वाले कन्हैया कुमार जैसे छात्रों और हार्दिक पटेल जैसे युवकों पर भी चलाया गया है। यह बहुत गलत है। रम्या पर चलाए जा रहे मुकदमे के बाद इसे समाप्त करने की मांग तेज हो जानी चाहिए। (संवाद)
रम्या पर राजद्रोह का मुकदमा
अब इसे खत्म कर दिया जाना चाहिए
उपेन्द्र प्रसाद - 2016-08-27 11:01
दक्षिण भारत की अभिनेत्री, जो कांग्रेस की नेता भी हैं, पर किसी ने राजद्रोह, जिसे आजकल देशद्रोह और राष्ट्रद्रोह भी कहा जाता है, का मुकदमा कर दिया है। उनपर आरोप है कि पाकिस्तान के पक्ष में एक बयान देकर उन्होंने देश के साथ द्रोह कर दिया है। रम्या ने कोई देश विरोधी बयान नहीं दिया है। उन्होंने भारत के खिलाफ कुछ नहीं कहा है। सिर्फ इतना कहा है कि पाकिस्तान नर्क नहीं है। हां, उनके इस बयान का एक विशेष संदर्भ है। उनके इस बयान के पहले रक्षा मंत्री मनोहर परिकर ने कहा था कि पाकिस्तान जाने का मतलब है नर्क में जाना। वह इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि वित्तमंत्री अरुण जेटली दक्षेस (सार्क) के वित्तमंत्रियों की बैठक में शामिल होने के लिए जाएंगे या नहीं। ऐसा कहकर वह यह संकेत देना चाह रहे थे कि वित्तमंत्री शायद वहां न जायं। और हुआ भी वही। भारत के वित्तमंत्री ने सार्क के वित्तमंत्रियों की उस बैठक का बहिष्कार कर दिया।