यूडीएफ पहले से ही गुटबाजी और बिखराव का सामना कर रहा है। भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान के तेज होते ही उसका बिखराव और तेज होता जा रहा है।
निगरानी और भ्रष्टाचार विरोधी ब्यूरो का नेतृत्व जैकब थाॅमस कर रहे हैं। उन्होंने छापेमारी की गति तेज कर दी है और पूर्व मंत्री के एम मणि और के बाबू के ठिकानों पर छापेमारी करवाई है।
थाॅमस विरोधी पार्टियों के नेताओं द्वारा अपने ऊपर लगाए जा रहे आरोपों का खंडन कर रहे हैं और कह रहे हैं कि वह सिर्फ प्रदेश सरकार की नीतियों का क्रियान्वयन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की नीति है कि भ्रष्टाचार को पूरी तरह समाप्त किया जाय और वे उसी दिशा में काम कर रहे हैं।
कांग्रेस और यूडीएफ के अन्य दलों के नेताओं की मुख्य समस्या यह है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ छेड़े गए इस अभियान का लोगों द्वारा व्यापक पैमाने पर स्वागत किया जा रहा है।
जैसा कि स्वाभाविक है कांग्रेस और अन्य यूडीएफ दलों के नेता भ्रष्टाचार के खिलाफ तेज किए गए इस अभियान की आलोचना कर रहे हैं। वे सरकार पर राजनैतिक कारणों से परेशान करने का आरोप लगा रहे हैं।
वे कह रहे हैं कि यह छापेमारी राजनैतिक लोगों के खिलाफ की जा रही साजिश का हिस्सा है। हालांकि वे अभी तक बहादुरी से उन छापामारियों का सामना कर रह हैं लेकिन स्पष्ट है कि सरकार अपने कदम को पीछे खींचने वाली नहीं है और इन छापामारियों ने विपक्षी नेताओ को अंदर से हिला कर रख दिया है।
मणि और बाबू के खिलाफ तो छापेमारी की ही गई है, लेकिन वह अंतिम छोपमारी नहीं है। उसके बाद अन्य अनेक लोगों को इसके गिरफ्त में लाया जाएगा। माना जा रहा है और भी बड़े बड़े नेताओं के खिलाफ इस तरह की छापेमारियां हो सकती हैं।
जिनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है, उनमे कांग्रेस और यूडीएफ के 20 अन्य प्रमुख नेता भी शामिल हैं। उस सूची में बेनी बेहनान भी शामिल हैं, जो पूर्व मुख्य मंत्री ओमन चांडी के निजी सचिव रह चुके हैं। पूर्व मंत्री अदूर प्रकाश पर भी खतरा मंडरा रहा है। पूर्व गृहमंत्री और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके रमेश चेनिंथाला का नाम भी उस सूची में शामिल है।
कांग्रेसी नेताओं के अलावा मुस्लिम लीग के नेता और आरएसपी के नेताओं पर भी शिकंजा कसने की तैयारी हो रही है।
इस छापेमारी के कारण कांग्रेस के अंदर की गुटबाजी और भी तेज होती जा रही है। के बाबू पर हुई छापेमारी के बाद इस गुटबाजी को देखा गया। उस पर पार्टी का क्या रुख हो, उसे लेकर पार्टी मे दो तरह के मत दिखाई पड़े।
ओमन चांडी और रमेश चेनिंथाला ने उस छापेमारी की निंदा की, जबकि केरल प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष वी एम सुधीरन ने इस पर चुप्पी साध ली है। सुधीरन की चुप्पी से कांग्रेसी खेमे में खलबली छा गई है। रमेश चेनिंथाला और ओमन चांडी के गुटों के लोग उनकी चुप्पी पर सबसे ज्यादा चिंतित हैं।
गौरतलब हो कि वी एम सुधीरन के बाबू को टिकट दिए जाने के खिलाफ थे। वे चांडी से जुड़े कुछ अन्य लोगों को भी टिकट नहीं देना चाहते थे। उनका कहना था कि इन सबके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप हैं, इसलिए उन्हें टिकट नहीं मिलना चाहिए।
कांग्रेस और मुस्लिम लीग के नेताओ की ओर से सुधीरन पर दबाव पड़ रहा है कि वे उन छापेमारियों का विरोध करें। पर सुधीरन कह रहे हैं कि प्रदेश कांग्रेस कमिटी की बैठक के बाद ही वह कुछ बोल पाएंगे। वह बैठक 24 सितंबर को होने वाली है। (संवाद)
भारतः केरल
भ्रष्टाचार विरोधी अभियान ने जोर पकड़ा
छापों ने कांग्रेस की दरारें बढ़ाईं
पी श्रीकुमारन - 2016-09-10 17:42
तिरुअनंतपुरमः एलडीएफ सरकार ने भ्रष्टचार विरोधी अभियान तेज कर दिया है और उसके तेज होते ही विपक्षी यूडीएफ में चिंता बढ़ती जा रही है।